अवैध खनन ही नहीं, सामाजिक सरोकार में क्या काम हुआ, इसका भी हो सर्वे
कैग की रिपोर्ट में अवैध खनन का मामला उजागर होने के बाद प्रदेश में खलबली मची हुई है। तीन दिन से विशेष टीम के अधिकारी जिले की विभिन्न साइटों का दौरा कर रहे हैं। लेकिन टीम की कार्रवाई अभी तक सामने नहीं आई।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर
कैग की रिपोर्ट में अवैध खनन का मामला उजागर होने के बाद प्रदेश में खलबली मची हुई है। तीन दिन से विशेष टीम के अधिकारी जिले की विभिन्न साइटों का दौरा कर रहे हैं। लेकिन टीम की कार्रवाई अभी तक सामने नहीं आई। सीनियर सर्वेयर सुदेश कुमार अब इतना ही कहते है कि टीम को सर्वे कर रिपोर्ट खनन विभाग के डायरेक्टर जनरल को सौंपनी है। शुरुआत में टीम के संपर्क में स्थानीय अधिकारी भी थे। अब टीम ने इनसे भी दूरी बना ली है। विभाग में इसकी भी पूरी चर्चा है। मगर कोई भी कर्मचारी इस बारे में खुलकर करने से कतरा रहे हैं। अवैध माइनिग के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिकाकर्ता व हरियाणा एंटी करप्शन सोसायटी के अध्यक्ष एडवोकेट वरयाम सिंह ने अवैध खनन के अलावा सामाजिक सरोकार में हुई कार्यों की भी जांच की मांग की है। माइनिग अधिकारी भूपेंद्र सिंह का कहना है कि टीम हमारे संपर्क में नहीं है।
ये भी जांच करेंगी टीम
जिस समय माइनिग की साइट आवंटित होती है। उससे पहले जनता हित के लिए कई योजनाएं भी बनाई जाती है। इनको अधिनियम में लिया जाता है। एडवोकेट वरयाम सिंह ने बताया कि जिस एरिया में खनन की साइट निर्धारित होती है। वहां पर वायू, पानी, ध्वनि, मृदा, धूल का दमन, पौधारोपण, तार की बाड़, वर्षा जल, सड़कों क मरम्मत रखरखाव, नदी एरिया में प्री मानसून पर भी एक निर्धारित लागत से कार्य करना अनिवार्य होता है। इसका अलावा सुरक्षा को ध्यान में रखकर यह तय किया जाता है कि खनन सामग्री किस सड़क से कितने प्रतिशत जाएगी, ताकि सड़कों व वहां की जनता को कोई हानि न हो। इस मानक के मुताबिक राज्य व जिला मार्ग पर वाहन की संख्या प्रतिशत व क्षमता भी निर्धारित होती है। हरित पट्टी विकास पर भी काम तय किया हुआ है। इसमें सड़कों के किनारे, स्कूलों व सार्वजिनक इमारत व अन्य सामाजिक वानिकी स्थानों पर छाया व फलदार पेड़ लगाने भी अनिवार्य है। इसको जीवित रखना भी जरूरी है। इसका भी रखना होता है ध्यान : जिस एरिया में खनन हो रहा है। वहां पर सामाजिक व व्यावसायिक प्रभाव का ध्यान रखना होता है। धूल से जनता को स्वास्थ्य न बिगड़े। मजदूरों की व्यवस्था भी आसपास के गांवों से हो। धूल के लिए नकाब व उनके समय समय पर हेल्थ की जांच का प्रावधान है। इसके अलावा सामाजिक कल्याण के तहत शैक्षिक व छात्रवृति सुविधाएं, पानी आपूर्ति, पर्यावरण के संबंधित में जागरूक कार्यक्रम, आस-पास के गांव में पानी की आपूर्ति, बाढ़ की चपेट में आने वाले गांवों को विशेष सहयोग राशि देने का भी प्रावधान है। खनन जोन की सीमा के दस किलोमीटर के दायरे में राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य, बायोस्फीयर रिजर्व, संरक्षित वन अध्यन नहीं होने चाहिए। यदि इस निर्धारित सीमा में माइनिग होती है तो वह अवैध है। माइनिग की गहराई तीन मीटर तय की गई है। इस कार्य में ड्रिलिग और ब्लास्टिग की जरूरत नहीं है। सूर्य अस्त से पहले, निर्धारित समय, माल की क्षमता, मशीनों व वाहनों का भी मापदंड निर्धारित है।