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दाम न भुगतान, सांसत में किसान

इन दिनों शिमला मिर्च पर रंगत ऐसी कि हर किसी को भाए। टमाटर पर लाली इतनी कि नजर न टिक पाए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 05:48 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 06:14 AM (IST)
दाम न भुगतान, सांसत में किसान
दाम न भुगतान, सांसत में किसान

माथे से टपकते पसीने की बूंदों से फसल उगा रहा किसान सांसत में है। खेत आबाद हैं, लेकिन बाजार में खरीदार नहीं। इन दिनों शिमला मिर्च पर रंगत ऐसी कि हर किसी को भाए। टमाटर पर लाली इतनी कि नजर न टिक पाए। बावजूद बाजार में दाम नहीं मिल रहे हैं। मंडी तक पहुंचाने का किराया व तुड़ाई का खर्च पूरा नहीं हो पा रह। है। लाचारी में तुड़ाई बंद कर दी। तो उम्मीद फसल से लगाई थी, उनसे समझौता कर लिया। हालांकि सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा योजना शुरू की है, लेकिन किसानों के मुताबिक यह शर्तो के पेच में फंसी है। परेशान इतनी ही नहीं है। गेहूं का भुगतान भी समय पर नहीं हो पा रहा है। सीजन बीत चुका है, लेकिन अभी तक किसान अपनी ही फसल की पेमेंट के लिए चक्कर लगा रहा है। अब कचरे पर तकरार

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ट्विन सिटी से निकल रहा कचरा अफसरों की कोशिशों पर भारी पड़ रहा है। बार-बार बन रही प्रबंधन की योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है। कमी इच्छा शक्ति ही है या फिर कारण कुछ और ही है.. यह तो जांच का विषय है, लेकिन फिलहाल ये कचरा फजीहत खूब करवा रहा है। एक के बाद एक योजना बनीं। दूसरे शहरों की व्यवस्था को खंगाला। बैठकें हुई, बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन सब कागजी साबित हुए। छह साल से बंद पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को नए सिरे से चलाने की योजना तो हवा-हवाई साबित हुई ही, अब कचरे के निपटान पर भी सवाल उठ गए। जन प्रतिनिधियों ने कचरे के निपटान को बहुत ही महंगा करार दिया। उनके मुताबिक 3-4 लाख का काम 16-17 लाख में करवाया जा रहा है। एस्टिमेट में गोलमाल बता रहे हैं, लेकिन अफसर सबकुछ सही बता रहे हैं।

राशन दे रहे हो या परीक्षा ले रहे हो साहब!

लॉकडाउन में हुए सर्वे के बाद प्रशासन ने जरूरतमंदों को राशन वितरित करना कर दिया। बहुत से जरूरतमंद लोगों को राहत मिली, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जिनके लिए राशन ऐसा हो गया जैसा आसमान से तारे तोड़कर लाना हो। व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। जरूरतमंद लोग जिस वार्ड के निवासी हैं, वहां के डिपो के माध्यम से राशन न देकर उनको दूसरे वार्डों से जोड़ दिया। तपती धूप में कई-कई किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ रही है। व्यवस्था से आहत इन लोगों की जुबां पर आ ही गया कि साहब! परीक्षा ले रहे हो या फिर राशन दे रहे हो। लॉकडाउन में लंबे इंतजार के बाद इनको राशन मिलना शुरू हुआ है, लेकिन अब भी इनको धक्के खाने पड़ रहे हैं। सर्वे के बाद जारी राशन वितरण की लिस्ट में काफी खामियां सामने आ रही हैं। साधन संपन्न लोगों को भी राशन कूपन जारी कर दिए। किसको लगेगा स्ट्रीट लाइटों के करंट का झटका

नगर निगम एरिया में लगी स्ट्रीट लाइटों से निकले करंट का झटका किसको लगेगा इस बारे तो कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन मुद्दा इन दिनों काफी हॉट है। जन-प्रतिनिधि आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, लेकिन अफसर कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। हर कोई अपना पल्ला बचाने की फिराक में है। दरअसल, नगर निगम के सभी 22 वार्डों में सोडियम को एलइडी लाइटों में कन्वर्ट किए जाने की योजना बनी। मकसद बिजली के बिल में कटौती व शहर की हर गली को रोशन करना है। योजना कुछ कदम चली। आठ वार्डों में स्ट्रीट लाइट लगाने का काम भी शुरू हो गया। उसके बाद क्वालिटी पर सवाल उठने शुरू हो गए। एसआइटी गठित हुई और मामला सीएम तक पहुंच गया। बस शुरू हो गया सिलसिला जांच का। अब नजर जांच रिपोर्ट पर टिकी है। गाज कब और किस पर गिर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।

प्रस्तुति : संजीव कांबोज


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