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कस्बों में नहीं शौचालयों की व्यवस्था दुरुस्त, कहीं हालत जर्जर, कहीं लटके ताले

कस्बों में शौचालयों की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। सार्वजनिक स्थलों पर बने शौचालयों पर कहीं ताले लटके हैं तो कहीं नियमित तौर पर सफाई नहीं की जाती। ऐसे में क्षेत्र के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। रादौर साढौरा बिलासपुर सरस्वती और छछरौली में शौचालयों की हालत अधिकारियों की बेरुखी बयां कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 06:10 PM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 06:10 PM (IST)
कस्बों में नहीं शौचालयों की व्यवस्था दुरुस्त, कहीं हालत जर्जर, कहीं लटके ताले
कस्बों में नहीं शौचालयों की व्यवस्था दुरुस्त, कहीं हालत जर्जर, कहीं लटके ताले

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कस्बों में शौचालयों की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। सार्वजनिक स्थलों पर बने शौचालयों पर कहीं ताले लटके हैं, तो कहीं नियमित तौर पर सफाई नहीं की जाती। ऐसे में क्षेत्र के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। रादौर, साढौरा, बिलासपुर, सरस्वती और छछरौली में शौचालयों की हालत अधिकारियों की बेरुखी बयां कर रहे हैं। बाजारों में अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि क्षेत्र के लोग कई बार अधिकारियों से मांग कर चुके हैं, लेकिन व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया गया है।

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बिलासपुर

करीब 12 हजार की आबादी वाले बिलासपुर में सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। यहां कपालमोचन रोड पर पंचायती बाजार के पीछे करीब आधा दर्जन शौचालय बने हैं। सफाई न होने के कारण इनका प्रयोग नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा पोस्ट ऑफिस के बैक साइड बने शौचालय बने हुए हैं। यहां पर भी ताले लटके रहते हैं। मुख्य बाजार में अग्रसैन चौक से लेकर छोटा बस स्टैंड तक करीब एक किलोमीटर एरिया एक भी शौचालय नहीं है। दूर-दराज से आए ग्राहकों व दुकानदारों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

छछरौली

छछरौली के मुख्य बाजार और बस स्टैंड पर सार्वजनिक शौचालय नहीं हैं। हालांकि अनाज मंडी में बने हैं, लेकिन ये किसानों के लिए सीजन में ही खुलते हैं। बाकि दिनों में यहां ताला लटका रहता है। ग्राम स्तर पर यहां सार्वजनिक शौचालय नहीं बनाए गए हैं। क्षेत्र के लोगों को शौच के लिए या तो खुले में जाना पड़ता है या फिर किसी निजी अस्पताल की ओर रुख करना पड़ता है।

साढौरा

साढौरा में सार्वजनिक शौचालयों की हालात ज्यादा खराब है। कहने को यहां पार्क में चार शौचालय है। इनको पंचायत के कार्यकाल बनाया गया था। इन शौचालयों पर ताले लटके हुए हैं। दरवाजे जर्जर स्थिति में हैं। पार्क में ही दो नए शौचालय बनाए गए थे, लेकिन इनकी नियमित रूप से देखरेख नहीं होती। बस स्टैंड पर शौचालय नहीं खुलते। वॉश बेसिन से टोंटियां गायब हैं। बस स्टैंड पर वाटर कूलर दिखावे का है। अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी शौचालयों की सुविधा नहीं है।

सरस्वतीनगर

सरस्वतीनगर और छप्पर में सार्वजनिक शौचालयों का अभाव है। सरस्वतीनगर में सरकारी स्कूल के पास तीन बने हैं। सफाई नियमित रूप से नहीं होती। बाजार में करीब पांच सौ दुकानें हैं, लेकिन एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है।

रादौर

रादौर के मेन बाजार में शौचालय नहीं है। न ही कॉलेज रोड पर शौचालय की व्यवस्था है। हालांकि बस स्टैंड, कमेटी चौक व थाने के पास मॉडल शौचालय हैं, लेकिन ये नौ बजे खुलते हैं और पांच बजे इन पर ताले लटक जाते हैं। इसके बाद आवश्यकता पड़ने पर इनका प्रयोग नहीं किया जा सकता। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि ये दिनरात खुले रहने चाहिए। कभी भी आवश्यकता पड़ सकती है।


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