निगम को अपने एक्सइएन व जेई पर नहीं भरोसा, सालाना 50 लाख देकर प्राइवेट कंपनी से बनवा रहे डिजाइन
नगर निगम में डिजाइन व एस्टीमेट के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। विभिन्न विकास परियोजनाओं के डिजाइन व एस्टीमेट के लिए हर वर्ष 50 लाख रुपये से अधिक खर्च किया जा रहा है जबकि नगर निगम के पास जेई एसडीओ एमई व एक्सईन जैसे सभी पद भरे हुए हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
नगर निगम में डिजाइन व एस्टीमेट के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। विभिन्न विकास परियोजनाओं के डिजाइन व एस्टीमेट के लिए हर वर्ष 50 लाख रुपये से अधिक खर्च किया जा रहा है, जबकि नगर निगम के पास जेई, एसडीओ, एमई व एक्सईन जैसे सभी पद भरे हुए हैं। अब 69 कॉलोनियों में सिगल टेंडर के मामले में डिजाइन व एस्टीमेट के नाम पर लाखों रुपये की बात सामने आने पर परतें भी खुलने लगी हैं। ट्विन सिटी में एक नहीं बल्कि काफी काम ऐसे हैं जिनका डिजाइन व एस्टीमेट निजी कंपनी ने मोटे पैसे लेकर तैयार किया। बावजूद इसके काम मौका मुताबिक करने पड़ रहे हैं। कई डिजाइन सिरे न चढ़ने पर कई काम रुके पड़े हैं। करीब एक वर्ष पहले वर्क अलॉट हो चुके हैं। पांच माह में काम पूरा करना था, लेकिन आठ माह बीत चुके हैं। इनसेट
ये काम अधर में :
डिजाइनिग में खामियों के चलते झंडा चौक से बिलासपुर रोड तक सड़क के निमा्रण व चौड़ीकरण का काम अधर में है। वर्क अलॉट भी हो चुका है। बावजूद इसके ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया है। यह सड़क दो करोड़ रुपये की लागत से तैयार होना है। डिजाइनिग के लिए निजी कंपनी को पेमेंट भी की। बावजूद इसके डिजाइन रास नहीं आ रहा है। इसी तरह प्रकाश चौक से झंडा चौक तक सड़क का निर्माण व निकासी का काम अधर में है। यहां नाले का डिजाइन व लेवल सही नहीं है। इसलिए काम रुका हुआ है। सवाल यह उठता है कि जब डिजाइन काम के अनुरूप नहीं है तो टेंडर कैसे लग गया? ऐसे ही दो करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले हनुमान गेट वाली सड़क भी अधर में लटकी पड़ी है। सड़कों का निर्माण न होने के कारण शहरवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इनसेट
यहां भी नाले के निर्माण पर उठे सवाल
मधु चौक-कन्हैया साहिब चौक रोड पर पानी की निकासी के लिए नाले का निमा्रण किया जा रहा है। इस पर तीन करोड़ 77 लाख रुपये लागत आएगी। इस नाले के निर्माण पर भी सवाल उठ रहे हैं। यहां नाले के डिजाइन में बिजली के पोल नहीं हटवाए गए। जहां बिजली के पोल हैं, वहां से नाले का आकार छोटा कर दिया। ऐसा करने से पानी की निकासी बाधित होगी। इसके अलावा कमानी चौक से वर्कशॉप रोड तक सड़क के चौड़ीकरण व निकासी का डिजाइन में भी फेरबदल किया जा चुका है। इनसेट
वार्ड नंबर-18 से कुसुम का कहना है कि हम यह बात कई बार उठा चुके हैं कि जब नगर निगम के पास अपने जेई, एसडीओ, एमई, एक्सईएन व एसई हैं तो विभिन्न कार्यों का डिजाइन तैयार करने के लिए निजी कंपनियों को मोटी रकम क्यों दी जा रही है। सरकार के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। चिता की बात यह है कि जो डिजाइन कंपनियां तैयार करके देती हैं, उनके मुताबिक काम भी नहीं होते। इनसेट
वार्ड नंबर-20 से रेखा राणा का कहना है कि हमने हाउस की बैठक में यह मुद्दा उठाया था। जितना पैसा निजी कंपनियों को दे रहे हैं, वह विकास कार्यों पर खर्च किया जाना चाहिए। डिजाइन व एस्टीमेट बनाने के लिए नगर निगम के पास अपने अधिकारी हैं। वे ही डिजाइन तैयार करें। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। नगर निगम में पूरी तरह अफसरों की मनमानी है। इस मामले की शिकायत स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज से करेंगे। इनसेट
जगाधरी में काम रुकने के कई कारण हैं। डिजाइन का सही न होना भी उनमें से एक है। जेई व एमई के पद रिक्त होने के कारण डिजाइन व एस्टीमेट निजी कंपनी से तैयार करवाया जाता है। हमारा प्रयास है कि जल्दी काम शुरू हों।
रवि ऑबराय, एक्सईएन, जगाधरी।