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चुनावी सीजन में याद आ रही शहीदों की शहादत, वोट बटौरने के लिए किया जा रहा कैश

चुनावी महा समर में प्रत्याशियों का राष्ट्र प्रेम खूब झलक रहा है। राष्ट्रभक्ति गीतों के माध्यम से मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया जा रहा है। गीत गाते हुए ऑटो व रिक्शा व चालक गली-गली घूम रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 05:23 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 10:47 PM (IST)
चुनावी सीजन में याद आ रही शहीदों की शहादत, वोट बटौरने के लिए किया जा रहा कैश
चुनावी सीजन में याद आ रही शहीदों की शहादत, वोट बटौरने के लिए किया जा रहा कैश

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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चुनावी महा समर में प्रत्याशियों का राष्ट्र प्रेम खूब झलक रहा है। राष्ट्रभक्ति गीतों के माध्यम से मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया जा रहा है। गीत गाते हुए ऑटो व रिक्शा व चालक गली-गली घूम रहे हैं। उधर, इंकलाब मंदिर के संस्थापक व हरियाणा एंटी करप्शन सोसाइटी के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट वरयाम ¨सह ने इसका विरोध किया है। उन्होंने सीएम ¨वडो पर शिकायत देकर वोटों के लिए शहीदों की कुर्बानी को कैश न किए जाने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि वैसे तो शहीदों व उनकी कुर्बानियों को याद नहीं किया जाता है, लेकिन चुनाव के दिनों में हर प्रत्याशी को उनकी याद आती है। केवल वोट बटोरने के लिए ही उनको याद किया जाता है। ऐसा करना गलत है। मतदाताओं को रिझाने के लिए राष्ट्रभक्ति से जुड़े गीत गाए जाते हैं। चुनाव के दिनों में इस प्रकार के गीतों का प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। उनकी शहादत के नाम पर वोट नहीं मांगनी चाहिए।

ऑटो चालक कूट रहे चांदी

नगर निगम चुनाव को लेकर प्रचार-प्रसार जोरों पर हैं। एक ओर जहां प्रचार सामग्री विक्रेताओं की पौ-बारह हो रही हैं वहीं आटो चालक भी खूब चांदी कूट रहे हैं। डीजल प्रत्याशी के हिस्से है जबकि एक आटो चालक एक दिन के 800-100 रुपये ले रहा है। दिनभर सवारियों का मुह ताकने वाले आटो चालक अब सुबह ही प्रचार के लिए निकल पड़ते हैं। आटो चालक महेंद्र का कहना है कि चुनावी सीजन उनके लिए कमाई का जरिया बना हुआ है। दिनभर सवारियां ढोने के बाद इतनी दिहाड़ी नहीं बनती जितने प्रचार के दौरान बन रही है। उनके मुताबिक प्रत्याशियों को प्रचार करने का समय ही कम मिला है, यह तो करीब एक माह होना चाहिए था।

अ¨नद्रा का शिकार हो रहे नेता जी

प्रचार-प्रसार के लिए प्रत्याशियों ने दिनरात एक किया हुआ है। रात को देरी से सोना व सुबह जल्दी उठना इनका रूटीन बना हुआ है। एक प्रत्याशी ने बताया कि दिन भर की भागदौड़ के बावजूद रात को चार घंटे भी नहीं सो पा रहे हैं। कई बार तो शरीर बिल्कुल ही जवाब देने लगता है, लेकिन लोगों का समर्थन उनको ताकत देने का काम कर रहा है।


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