फर्जी दस्तावेजों से बनवाया जन्म प्रमाण पत्र, पिता व बेटे पर केस
फर्जी दस्तावेजों के जरिए रादौर सीएचसी से रादौर निवासी हरीश सेतिया ने अपने बेटे साहिल का जन्म प्रमाण पत्र बनवाया। 2013 में यह जन्म प्रमाण पत्र बनवाया गया। इस संबंध में राजकुमार नाम के व्यक्ति ने सीएम ¨वडो पर शिकायत दी। शिकायत के बाद जांच में यह पूरा मामला खुला। अब एसएमओ डॉ. विजय परमार ने आरोपित हरीश सेतिया व उसके बेटे पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : फर्जी दस्तावेजों के जरिए रादौर सीएचसी से रादौर निवासी हरीश सेतिया ने अपने बेटे साहिल का जन्म प्रमाण पत्र बनवाया। 2013 में यह जन्म प्रमाण पत्र बनवाया गया। इस संबंध में राजकुमार नाम के व्यक्ति ने सीएम ¨वडो पर शिकायत दी। शिकायत के बाद जांच में यह पूरा मामला खुला। अब एसएमओ डॉ. विजय परमार ने आरोपित हरीश सेतिया व उसके बेटे पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है।
31 अगस्त 2018 को सीएम ¨वडो पर शिकायत की गई थी। जिसमें कहा गया था कि हरीश सेतिया ने अपने बेटे का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवाया है। शिकायत के बाद विभाग ने जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि प्रमाण पत्र पूरी तरह से फर्जी है। रिपोर्ट के मुताबिक साहिल सेतिया की जन्मतिथि तीन मार्च 1989 है। उसने पांच जुलाई 2013 को आयु लाभ लेने का प्रमाण पत्र बनवाया। इसे बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए गए और जन्म स्थान तीन जुलाई 2013 का गांव रापड़ी दिखाया। इसके लिए सुशील कुमार शर्मा के नाम का शपथ पत्र भी दिया गया। इसके अलावा हरीश सेतिया ने स्वयं प्रमाणित शपथ पत्र भी दिया। जिसमें उसने अपने दो बच्चे बताए। जो खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अनुसार गलत हैं। जबकि उसके पास तीन बच्चे हैं। एक बच्चा सेल्फ डिकलेरेशन में छुपवा लिया ताकि अपनी इच्छा अनुसार जन्म तिथि दर्ज कराकर लाभ लिया जा सके।
इसके अलावा एक अन्य प्रमाण पत्र छह जुलाई 2007 को रादौर में अप्लाई किया गया। इसका भी अनुपलब्धता प्रमाण पत्र प्राप्त किया कि इस स्थान पर उसका जन्म नहीं है। दस्तावेजों में दाई का भी प्रमाण पत्र लगाया गया था। जबकि दाई के उस पर हस्ताक्षर नहीं थे और न ही दाई जन्म के समय रादौर में रहती थी। दाई की इस रिपोर्ट के आधार पर ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपकेंद्र की रिपोर्ट बनी व इसके बाद जन्म दर्ज करने की सिफारिश की गई।
जिनके नाम के दिए शपथ पत्र, वह मुकरे :
डॉ. विजय परमार ने बताया कि जांच के दौरान शिकायतकर्ता व उन लोगों को बुलाया गया। जिनके शपथ पत्र देकर प्रमाण पत्र बनवाया गया। उनसे पूछताछ की गई, तो वह मुकर गए। दाई ने भी बताया कि उसने गांव रापडी में उस समय कोई डिलीवरी नहीं कराई और न ही कोई प्रमाण पत्र दिया। जिस व्यक्ति के नाम का शपथ पत्र दिया गया था। उन्होंने भी जांच के दौरान माना कि इस तरह का कोई शपथ पत्र उन्होंने नहीं दिया है। इसलिए अब पिता-पुत्र पर केस दर्ज कराया गया है।
कर्मचारी पर मेहरबानी
इस मामले में लापरवाह कर्मचारी पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि प्रमाण पत्र बनाने में कर्मचारी की भी संलिप्तता होनी चाहिए। बिना किसी कर्मचारी के प्रमाण पत्र नहीं बन सकता। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी या कर्मचारी की मिलीभगत से ही यह प्रमाण पत्र बना है।