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निगम की जमीन पर भू-माफिया की नजर, निशानदेही तक नहीं करवा पाए अधिकारी

नगर निगम का गठन हुए एक दशक बीत गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 07:09 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 07:09 AM (IST)
निगम की जमीन पर भू-माफिया की नजर, निशानदेही तक नहीं करवा पाए अधिकारी
निगम की जमीन पर भू-माफिया की नजर, निशानदेही तक नहीं करवा पाए अधिकारी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नगर निगम का गठन हुए एक दशक बीत गया। अधिकारी अपनी जमीन की पहचान तक नहीं करवा पाया। शांति कालोनी में निगम की जमीन बेचे जाने का मामला बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है। यह बानगी मात्र है। यदि जांच की जाए तो अन्य वार्डों में ऐसा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि नगर निगम के गठन के बाद पार्षदों ने हाउस की हर बैठक में यह मुद्दा उठाया, लेकिन निगम अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। अलग-अलग वार्ड में पड़ी निगम की जमीन को चिह्नित करने के लिए गत माह शुरुआत भी हुई, लेकिन कागजी साबित हुई। निगम के 22 वार्डों में 1200 एकड़ जमीन बताई जा रही है। उधर, शांति कालोनी में निगम की जमीन बेचे जाने संबंधी मामले में सोमवार को दोनों पक्षों में बातचीत चलती रही। पीड़ित परिवार अपने मकानों को लेकर चिता में हैं। कमिश्नर धर्मवीर ने कहा कि इस मामले की गहनता से जांच की जाएगी। जमीन पर प्लाईवुड़ फैक्ट्री संचालक का कब्जा

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वार्ड 12 से एमसी संजीव कुमार के मुताबिक पांसरा गांव में गोचरान की करीब पौना एकड़ जमीन पर एक प्लाईवुड फैक्ट्री मालिक का कब्जा है। यह मुद्दा हाउस की बैठक में उठाया जा चुका है। लेकिन निगम अधिकारियों की ओर से किसी तरह की कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। इसके अलावा शादीपुर व रायपुर गांव में तालाबों पर अवैध कब्जे हैं। पांसरा गांव में ही करीब पौना एकड़ जमीन ऐसी है जो आज तक निगम के रिकार्ड में नहीं चढ़ पाई। जबकि इस बार कमिश्नर नगर निगम को लिखा हुआ है। उनकी मांग है कि निगम की जमीन की निशानदेही करवाकर तारबंदी की जाए। तारबंदी तक नहीं करवा पाए अधिकारी

वार्ड 13 में गढ़ी रोड पर नगर निगम की करीब चार एकड़ जमीन खाली पड़ी है। छह वर्ष पहले एक फैक्ट्री मालिक ने इस पर कब्जा कर लिया था। एक वर्ष तक संघर्ष करने के बाद यह जमीन खाली हुई। इस जमीन की तारबंदी के लिए पार्षद ने हाउस की हर बैठक में मुद्दा उठाया। हालांकि नगर निगम अधिकारी यहां कम्युनिटी सेंटर बनाने की योजना बना रहे थे, लेकिन वह भी आज तक फाइलों में ही है। गत वर्ष यह जमीन औने-पौने दामों में फैक्ट्री मालिक को दे दी थी। हाउस की बैठक में मुद्दा उठाए जाने के बाद लीज रद हुई। पार्षद निर्मल चौहान का कहना है कि निगम की जमीन की तारबंदी करवाने की मांग कई बार की जा चुकी है। अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है। नहीं हटवाए अवैध कब्जे

वार्ड 18 से पूर्व पार्षद व पार्षद प्रतिनिधि कर्मवीर का कहना है कि तालाबों की जमीन पर अवैध कब्जे अधिक हो रहे हैं। लगभग सभी वार्डों में ऐसा हो रहा हे। वार्ड नंबर-18 में ही औरंगाबाद में कई एकड़, मंडेबरी में करीब 28 एकड़, मंडेबर में करीब डेढ एकड़, फर्कपुर में तीन एकड़ जमीन की चहारदीवारी के लिए कई बार आवाज उठाई जा चुकी है। आज तक न तो जमीन को कब्जों से मुक्त करवाया गया और न ही खाली पड़ी जमीन की चहारदीवारी करवाई गई है। इस मामले की शिकायत सीएम विडो पर भी की जा चुकी है। निगम बनने के बाद हाउस की पहली बैठक में ही यह बात रखी गई थी। कमेटी बनाने तक सिमटी कार्रवाई

हाउस की बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद वार्डों में लावारिस पड़ी निगम की जमीन की पहचान के लिए कमेटी का गठन किया गया था। इसमें ज्वाइंट कमिश्नर को अध्यक्ष बनाया गया। जबकि संबंधित वार्ड के एमई, पार्षद व पटवारी को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। चार वार्डों में जमीन की पहचान कर तारबंदी के आदेश भी दिए गए, लेकिन आज तक यह तारबंदी भी नहीं हो पाई।


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