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22 हजार हेक्टेयर में लहलहा रहे जंगल, पर्यावरणविद बोले शहरों में हरियाली को मिले बढ़ावा

यह कुल क्षेत्रफल का 14 प्रतिशत एरिया है। नियमानुसार मैदानी इलाकों में कुल रकबे का 20 प्रतिशत व पहाड़ी क्षेत्र में एक तिहाई एरिया जंगल से कवर होना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 06:11 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 06:11 AM (IST)
22 हजार हेक्टेयर में लहलहा रहे जंगल, पर्यावरणविद बोले शहरों में हरियाली को मिले बढ़ावा
22 हजार हेक्टेयर में लहलहा रहे जंगल, पर्यावरणविद बोले शहरों में हरियाली को मिले बढ़ावा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जिला के 1756 वर्ग किलोमीटर एरिया में से 22 हजार हेक्टेयर जमीन पर हरे भरे जंगल लहलहा रहे हैं। यह कुल क्षेत्रफल का 14 फीसद क्षेत्र है। नियमानुसार मैदानी इलाकों में कुल रकबे का 20 फीसद और पहाड़ी क्षेत्र में एक तिहाई एरिया जंगल से कवर होना चाहिए। 86 वर्ग किलोमीटर में सघन वन हैं। जंगल के मामले में यमुनानगर प्रदेश में पंचकूला के बाद दूसरे नंबर पर है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जंगल का एरिया इससे ज्यादा बढ़ाया जा सकता है परंतु इसके लिए जमीन चाहिए। यदि वन विभाग रकबा बढ़ाता है तो विकास कार्यो में बाधा उत्पन्न हो जाएगी। जैव विवधिता का स्त्रोत कलेसर नेशनल पार्क

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कलेसर नेशनल पार्क शिवालिक पर्वतमाला की पहाड़ियों में स्थित है। इसकी सीमा तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और उत्तरप्रदेश से लगती है। पूरा क्षेत्र जैव विविधता के साथ साल वन, खैर के जंगल और घास से भरा है। 8 दिसंबर 2003 को 11570 एकड़ एरिया को इसे नेशनल पार्क घोषित किया गया था। जैव विविधता के मामले में यह कई औषधीय पौधों का भंडार है। इसमें तेंदुआ, घोरल, बार्किंग डियर, सांभर, चीतल, अजगर, किग कोबरा, मानिटर छिपकली समेत कई खतरनाक जानवर इसमें पाए जाते हैं। राजाजी नेशनल पार्क से इसमें बाघ व हाथी आते रहते हैं। प्रदेश में केवल यही नेशनल पार्क है जो इतनी बड़ी जैव विविधता के साथ अच्छा प्राकृतिक वन है। एग्रो फॉरेस्ट को बढ़ावा दे रहा विभाग

वन क्षेत्र सीमित होने के कारण वन विभाग अब एग्रो फॉरेस्ट को बढ़ावा दे रहा है। इसके लिए किसानों को खेतों में लगाने के लिए पॉपुलर के पौधे दिए जा रहे हैं। इस साल चार लाख पौधे किसानों को देने का लक्ष्य रखा गया है। इससे पर्यावरण को तो फायदा होगा ही साथ में किसानों की आय भी बढ़ेगी। क्योंकि पॉपुलर का पौधा चार से पांच साल में पेड़ बन जाता है। यमुनानगर में मंडौली व जगाधरी के मानकपुर में दो लक्कड़ मंडियां हैं जहां पर इसकी लकड़ी की सबसे ज्यादा डिमांड है। फोटो : 17ए

शहर में पौधे लगाए सरकार : एसएल सैनी

हरियाणा एन्वायरमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो. एसएल सैनी का कहना है कि जितना जंगल पूरे देश में होना चाहिए उतना कहीं भी नहीं है। यमुनानगर में जंगल की हालत ठीक है। परंतु सरकार को शहरी क्षेत्र में वनों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना चाहिए। शहर में पेड़-पौधे होंगे तो जंगल का रकबा तो बढ़ेगा ही साथ में पर्यावरण भी साफ सुथरा रहेगा। चंडीगढ़ व दिल्ली की पॉलिसी हरियाणा सरकार को अपनानी चाहिए। इस बारे में वे वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर से भी मिले हैं। फोटो: 17बी

हर साल पौधे लगाता है विभाग : सूरजभान

डीएफओ सूरजभान का कहना है कि जिला में सबसे ज्यादा प्रताप नगर, छछरौली, साढौरा व बिलासपुर क्षेत्र में जंगल हैं। यहां जंगलों की स्थिति ठीक है। हर साल विभाग लाखों पौधे लगाकर उनकी देखभाल करता है। मानसून सीजन शुरू होते ही पौधे लगाए जाएंगे।


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