मंत्रालय में संभाल कर रखे जाएंगे बौद्ध संस्कृति के अवशेष
द बौद्धिस्ट फोरम की ओर से अशोक स्तंभ शिलान्यास और सम्मान समारोह का आयोजन डीएवी गर्ल्स कॉलेज में किया गया। उसमें खेल एवं युवा मामलों के केंद्रीय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरेन रिजजू उपस्थित रहे।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : द बौद्धिस्ट फोरम की ओर से अशोक स्तंभ शिलान्यास और सम्मान समारोह का आयोजन डीएवी गर्ल्स कॉलेज में किया गया। उसमें खेल एवं युवा मामलों के केंद्रीय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरण रिजिजू उपस्थित रहे।
उन्होंने कहा कि बौद्ध सभ्यता एवं परंपरा विराट हिदू समाज का ही एक अंग है। आज प्रदेश में स्थानों पर भ्रमण करने के उपरांत उन्हें पता चला है कि विभिन्न स्थानों पर बौद्ध संस्कृति और सभ्यता के अवशेष आज भी मौजूद हैं। वे स्वयं बौद्ध होने के कारण गर्व महसूस करते हैं। प्रदेश के लोगों ने बौद्ध संपदा और सभ्यता को आज भी संजो कर रखा हुआ है। उनकी कोशिश रहेगी कि वे अपने मंत्रालय से फैली बौद्ध संस्कृति के अवशेषों और चिह्नों को और ज्यादा संभाला जाए। विश्व के लोग उन्हें देखने के लिए यहां आएं। युवाओं की प्रशंसा की। यहां के नौजवान खेलों के हर क्षेत्र में अग्रणीय है। हर गांव में अखाड़े हैं। खेलों की परंपरा कायम है।
सिद्धार्थ गोरी को प्रोजेक्ट के साथ बुलाया दिल्ली
द बौद्धिस्ट फोरम के महासचिव सिद्धार्थ गौरी के किए जा रहे प्रयासों की सरहाना की। आज बौद्ध सभ्यता और संस्कृति को विश्व स्तर पर प्रचारित और प्रसारित करने की जरूरत है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे अंतराष्ट्रीय फोरम में यहां दिखाई गई डॉक्यूमेंट्री और रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय के बौद्ध परंपरा विभाग को साथ लेकर हरियाणा की बौद्ध विरासत के संवर्द्धन का कार्य करेंगे। प्रोजेक्ट के लिए सिद्धार्थ को दिल्ली बुलाया है।
वृत्तचित्र कुरु का प्रदर्शन भी किया
सिद्धार्थ गोरी की ओर से निर्मित और निर्देशित स्तूप पर बने वृत्तचित्र कुरु का प्रदर्शन भी किया। पद्म विभूषण से सम्मानित दर्शनलाल जैन और राष्ट्रीय सिख संगत के संरक्षक भूपेंद्र सिंह जौहर ने केंद्रीय राज्य मंत्री किरण रिजिजू और सांसद रतनलाल कटारिया को पगड़ी पहनाकर, अंगवस्त्र, प्रशस्तिपत्र और स्मृति चिह्न भेंट कर अभिनंदन किया। मंच संचालन गुरुनानक खालसा कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. उदयभान सिंह ने किया।
मिलेगी इतिहास की जानकारी
टोपरा कलां गांव में अशोक स्तंभ रिप्लिका स्थापित होने से प्रदेश सहित देश के लोगों को इतिहास की जानकारी मिल सकेगी। जिस स्तंभ को 14वीं शताब्दी में फिरोजशाह तुगलक दिल्ली के कोटला में उखाड़ कर ले गया था। उसी तरह यहां स्तंभ स्थापित किया जाएगा। इस पर कैपिटल बनेंगे। जिस पर राष्ट्रीय चिह्न अंकित होंगे। इसको शेंडस्टोन से बनाया जाएगा। 50 फुट ऊंचा होगा।