डेढ़ साल में बदले चार डीसी और तीन एडीसी सभी ने बनाए प्लान, किसी पर नहीं हुआ काम
डेढ़ साल में चार डीसी और तीन एडीसी बदल गए।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर:
डेढ़ साल में चार डीसी और तीन एडीसी बदल गए। इससे जिले का विकास रूक गया। सीएम घोषणाओं पर भी अमल नहीं हुआ। शहर की अधिकतर सड़कें बदहाल हैं। रोड सेफ्टी पर काम नहीं हो रहा। सड़क लाल हो रही हैं। शहरवासी परेशान हैं। एडीसी के पास आरटीए का अतिरिक्त कार्यभार भी है। सभी अधिकारियों ने रोड सेफ्टी पर प्लान बनाए, लेकिन गंभीरता किसी ने नहीं दिखाई। कागजों में बने प्लान फाइलों में दब गए। जब तक अधिकारी काम शुरू करता है, उसका तबादला हो जाता है। इस तरह बदले डीसी और एडीसी
15 जनवरी 2017 को आरएस खर्ब ने डीसी का कार्यभार संभाला था। पांच मार्च 2018 को उनका तबादला हो गया। इसके बाद विजय कुमार पांच मार्च को डीसी बने। वे अभी जिले को समझ ही रहे थे कि तीन मई 2018 को उनका तबादला हो गया। सात मई 2018 को नगर निगम के कमिश्नर गिरीश अरोड़ा को जिला सौंपा, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 21 फरवरी 2019 को उनका भी ट्रांसफर हो गया। 21 फरवरी को आमना तस्नीम ने डीसी का चार्ज संभाला। चार दिन पहले इनका भी ट्रांसफर कर दिया गया। इसी तरह लोकसभा चुनाव से पहले एडीसी केके भादू भी ट्रांसफर हो गए। उनके बाद प्रशांत पंवार ने एडीसी का चार्ज संभाला। चार दिन पहले उनकी ट्रांसफर करते हुए दोबारा केके भादू को एडीसी बना दिया गया। बंद कमरे में होती है रोड सेफ्टी पर चर्चा
न्यायालय के आदेशानुसार रोड सेफ्टी की मीटिग आरटीए सचिव की अध्यक्षता में हर माह होनी चाहिए। ताकि इसमें सड़क हादसों को काम करने की प्लानिग की जाती है। एक माह में कितने सड़क हादसे हुए, उनकी क्या वजह रही, पिछली बार हादसों को कम करने के लिए जो काम होने थे उनमें से कितने पूरे हुए और उनके पूरे न होने की क्या वजह रही आदि कार्यों पर चर्चा की जाती है। पहले ये इन सब मुद्दों पर सचिवालय के सभागार में सभी विभागों के अधिकारियों के साथ बात होती थी, परंतु अब ये मीटिग डीसी के कार्यालय में ही होने लगी है, जिसमें कुछ अधिकारी ही बैठ कर चर्चा कर लेते हैं। यहां न तो कोई अपना सुझाव दे पाता है और न ही ठीक से अपनी बात रख पाता है। दावे तो किए पर हुआ कुछ नहीं
जितने भी डीसी और एडीसी आए और सभी ने रोड सेफ्टी पर कई तरह के दावे किए, लेकिन हुआ कुछ नहीं। डीसी के कहने पर जब कुछ नहीं हो पाया तो अन्य विभागों के अधिकारियों की तो कर्मचारी क्या बात मानेंगे। शायद ही शहर का कोई चौक हो जिसका डिवाइडर सही हो। सभी टूटे पड़े हैं। ज्यादातर पर रिफ्लेक्टर ही नहीं है। जगाधरी के डॉ. भीमराव आंबेडकर चौक पर लगी ट्रैफिक लाइट चार माह पहले ट्रक ने तोड़ दी थी। आज तक ये लाइट ही नगर निगम नहीं लगा पाया। सड़कों के बरम नीचे हैं। सड़कों के गड्ढे जानलेवा हैं। अब 16 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी। नए डीसी मुकुल कुमार ने चार्ज संभालते ही कांवड़ यात्रा के संबंध में बैठक ली। जिसमें डिवाइडरों व सड़कों पर बने गड्ढों को ठीक कराने के निर्देश दिए गए। विकास को नहीं मिल रही गति
अधिकारियों के लगातार हो रहे तबादलों से जिला में विकास कार्यों को गति नहीं मिल पा रही है। सीएम ने जिला के लिए इस साल तक 317 घोषणाएं की थी। इनमें से 77 ही पूरी हो पाई। 157 लंबित हैं और 79 पर काम चल रहा है। जगाधरी से बिलासपुर तक स्टेट हाईवे को करोड़ों रुपये खर्च कर चौड़ा किया जाना था। शिलान्यास को ढाई साल हो गए, लेकिन आज तक ये काम शुरू नहीं हो पाया। टूरिज्म पर कोई काम नहीं हुआ, यमुना नहर के घाट पक्के नहीं हो सके समेत कई कार्य लटके हैं। चुनाव आयोग के निर्देश पर हुआ ट्रांसफर : घनश्याम दास
यमुनानगर विधायक घनश्याम दास अरोड़ा का कहना है कि डीसी गिरीश अरोड़ा का तबादला चुनाव आयोग के निर्देशानुसार हुआ था। आमना तस्नीम की जरूरत चंडीगढ़ में ज्यादा थी, इसलिए उन्हें वहां लगा दिया होगा। शहर का विकास हो इसके लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है। तबादलों का असर नहीं होना चाहिए : कंवरपाल
हरियाणा विधानसभा स्पीकर कंवरपाल गुर्जर का कहना है अधिकारियों के ट्रांसफर सीएम करते हैं। वे जरूरत के अनुसार ही अधिकारियों को एक से दूसरी जगह भेजते हैं। विकास कार्यों पर अधिकारियों के ट्रांसफर का असर नहीं पड़ना चाहिए। सरकार के पास बजट की कमी नहीं है।