Move to Jagran APP

शहर में होगी पानी में मौजूद हैवी मेटल की जांच, करनाल की नहीं लगानी पड़ेगी दौड़

शहर और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के अलावा जनस्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पानी में मौजूद हैवी मेटल की जांच के लिए करनाल की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। जल्द ही यह सुविधा शहर में मिलेगी। इसके जगाधरी में चल रही विभाग की डिस्ट्रिक्ट लैब का विस्तार हुए गाबा अस्पताल के सामने बन रही नई बिल्डिग में शिफ्ट किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 09:40 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 06:38 AM (IST)
शहर में होगी पानी में मौजूद हैवी मेटल की जांच, करनाल की नहीं लगानी पड़ेगी दौड़

राजेश कुमार, यमुनानगर

loksabha election banner

शहर और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के अलावा जनस्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पानी में मौजूद हैवी मेटल की जांच के लिए करनाल की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। जल्द ही यह सुविधा शहर में मिलेगी। इसके जगाधरी में चल रही विभाग की डिस्ट्रिक्ट लैब का विस्तार हुए गाबा अस्पताल के सामने बन रही नई बिल्डिग में शिफ्ट किया जाएगा। बिल्डिग का काम अंतिम चरण में है। उसमें अत्याधुनिक मशीनें खरीदी जाएंगी। इसके बाद एनएबीएल लैब (नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड फॉर टेस्टिग एंड केलीब्रेशन लेबोट्रिज) से मान्यता ली जाएगी।

फिलहाल टीडीएस समेत होते हैं 13 टेस्ट : जनस्वास्थ्य विभाग की डिस्ट्रिक्ट लैब जगाधरी में सिविल अस्पताल के नजदीक एसडीओ कार्यालय परिसर में चल रही है। इस लैब में पानी में मौजूद बैक्टीरिया, टीडीएस, हार्डनेस, कलोराइड, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीजियम, सल्फेट, पानी के स्वाद समेत कुल 13 ही तरह की जांच की जा सकती है। इनसे भी ज्यादा पानी में हैवी मेटल का मिलना खतरनाक होता है। हैवी मेटल में मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, थेलियम व लेड हानिकारक होते हैं।

हैवी मेटल सेहत के लिए खतरनाक

चिकित्सक बताते हैं कि हैवी मेटल का शरीर पर गहरा दुष्प्रभाव पड़ता है। कई बार पानी में यूरेनियम, शीशा, पारा, निकेल, मैगजीन, क्रोमियम और जिक जैसे हैवी मेटल की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसा पानी दिखने में तो साफ और शुद्ध प्रतीत होता है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसके लगातार सेवन से कैंसर, आंतों, किडनी तथा हड्डियों आदि से संबंधित घातक रोगों की आशंका बढ़ जाती है।

फिलहाल करनाल भेजे जाते सैंपल

जनस्वास्थ्य विभाग के जितने भी ट्यूबवेल लगे हुए हैं, उन सभी के पानी की केमिकल और हैवी मेटल की जांच छह माह एक बार करानी जरूरी है। केमिकल जांच तो डिस्ट्रिक्ट लैब में हो जाती है लेकिन हैवी मेटल के सैंपल करनाल स्थित लैब में भेजे जाते हैं। वहां से रिपोर्ट आने में 15 दिन लग जाते हैं। करनाल के अलावा ये सुविधा गुरुग्राम में है। दोनों लैब में प्रदेशभर से सैंपल टेस्ट के लिए आते हैं। डिस्ट्रिक्ट लैब में एक साल में तीन हजार सैंपल को टेस्ट करने का टारगेट मिलता है।

हैवी मेटल की भी जांच होगी : गौतम

जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के एक्सइएन गौतम कुमार का कहना है कि जगाधरी स्थित लैब को जल्द नई बिल्डिग में शिफ्ट कर दिया जाएगा। जिसमें हैवी मेटल की भी जांच की जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.