बेरहम व्यवस्था : आए थे पीड़ा कम करने, किश्ती में तेल डलवाने के भी ले लिए 500 रुपये, डूबे युवकों का नहीं लगा सुराग
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : पश्चिमी यमुना नहर में डूबे दोनों युवकों के शव सोमवार को भी नहीं मिल पाए।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : पश्चिमी यमुना नहर में डूबे दोनों युवकों के शव सोमवार को भी नहीं मिल पाए। नहर में तलाशने के लिए किश्ती तो आई लेकिन यहां पर भी बेरहम व्यवस्था हावी रही। किश्ती चलाने से पहले उसमें पेट्रोल डलवाने के लिए परिजनों से 500 रुपये मांग लिए। उधर, डीआरओ हरिओम बिश्नोई का कहना है कि जिसने भी रुपये लिए हैं, वो गलत है। इसकी जांच करवा कर कार्रवाई की जाएगी।
नहर में डूबे विनय व नवीन की तलाश करने के लिए परिजन सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे ही नहर किनारे पहुंच गए थे। गोताखोर सुरेंद्र ने अपने साथियों के साथ दोनों की नहर के पानी में काफी तलाश की परंतु उनका कुछ पता नहीं चला। प्रशासन की तरफ से पश्चिमी यमुना नहर किनारे एक किश्ती भेजी गई। उदय राम ने बताया कि किश्ती उतारने के तुरंत बाद ही उससे 500 रुपये ले लिए। उसे बताया गया कि किश्ती में तेल डलवाना है। इसके अलावा उसमें टूटी-ऑयल डलवाने के लिए 150 रुपये अलग से लिए। मौके पर पहुंचे पटवारी ने बताया कि जब तक किश्ती चलेगी, तेल उन्हें खुद ही डलवाना पड़ेगा। उदय राम का आरोप है कि प्रशासन की तरफ से केवल एक ही गोताखोर दिया गया है। अधिकारियों ने उन्हें बताया था कि आक्सीजन किट के साथ कुरुक्षेत्र से गोताखोर बुलाने के लिए बारे बात हुई है। जल्द ही वहां से गोताखोर आएगा जो उनके बच्चों की नहर में तलाश करेगा। पिछले साल किट देने से किया था मना :
प्रशासन ने भले ही कुरुक्षेत्र प्रशासन को आक्सीजन किट व गोताखोर भेजने के लिए लिखा हो लेकिन वहां से इन दोनों का मिलना इतना आसान नहीं है। कुरुक्षेत्र में केवल एक ही आक्सीजन किट है। पिछले साल जब नहर में बच्चे डूब गए थे तो उन्हें तलाशने के लिए कुरुक्षेत्र से आक्सीजन किट मांगी गई थी लेकिन उन्होंने देने से मना कर दिया था। क्योंकि गर्मियों के दिन थे और आक्सीजन किट की जरूरत कुरुक्षेत्र में भी पड़ सकती थी। किट नहीं मिलने के कारण स्थानीय गोताखोरों ने ही जैसे-तैसे बच्चों को पानी में खोजा था। यमुनानगर में नहीं एक भी गैस किट :
पश्चिमी यमुना नहर वैसे तो ज्यादा गहरी नहीं है लेकिन अवैध माइ¨नग के कारण नहर के पानी में गहरे कुंड बन गए हैं। जैसे ही कोई इनमें नहाने के लिए जाता है तो युवक व बच्चे भंवर में फंस जाते हैं। पानी की गति अधिक होने के कारण उन्हें संभलने का मौका भी नहीं मिलता। गहरे कुंड में जाना गोताखोर के लिए भी आसान नहीं होता, क्योंकि जब तब नीचे जाते हैं गोताखोर की सांस टूटने लगती है। आक्सीजन किट के साथ ही इतने गहरे कुंड में जा सकते हैं। इसकी मदद से 20 से 25 मिनट तक पानी के अंदर रहा जा सकता है। कुछ माह पहले नगर निगम ने तत्कालीन डीसी को पत्र लिखकर गोताखोरों के लिए आक्सीजन किट उपलब्ध कराने की मांग की थी। लेकिन डीसी ने मना कर दिया था। क्योंकि यमुनानगर में न तो गोताखोर हैं और नही इनका स्थायी पद है। जो गोताखोर पानी में युवकों को तलाश रहे हैं वो अतिक्रमण हटाओ अभियान की टीम का हिस्सा हैं। इसके बाद हाउस में प्रस्ताव पास कर निगम ने खुद ही आक्सीजन किट खरीदने का निर्णय लिया था लेकिन अब तक इसे लेकर कोई बजट नहीं मिला है। रुपये लेने की जांच की जाएगी : डीआरओ
डीआरओ हरिओम बिश्नोई का कहना है कि यदि किसी ने किश्ती में पेट्रोल डालने के लिए परिजनों से रुपये लिए हैं तो इसकी जांच कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। तेल प्रशासन खुद डलवाएगा। हमने कुरुक्षेत्र प्रशासन को पत्र लिखकर आक्सीजन किट व गोताखोर देने की मांग की है। उम्मीद है मंगलवार सुबह तक वे यमुनानगर आ जाएंगे। इसके लिए मैंने अपनी गाड़ी भी वहां भेजी है।