सुरक्षित नहीं जेल, अंदर बंद कैदी करते मोबाइल पर बात
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जगाधरी स्थित जिला जेल से बार-बार मोबाइल मिलने से सुरक्षा पर बड़ा
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जगाधरी स्थित जिला जेल से बार-बार मोबाइल मिलने से सुरक्षा पर बड़ा सवालिया निशान लगा हुआ है। इतनी सुरक्षा होने के बावजूद जेल के अंदर कैदियों से मोबाइल मिलने का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा। शायद ही कोई माह जाता होगा जिसमें जेल से मोबाइल मिलने का केस दर्ज न होता हो। इतनी कड़ी सुरक्षा के बीच जेल के अंदर मोबाइल कैसे जा सकता है। इसे सुरक्षा में सेंध कहा जा सकता है या फिर लापरवाही। 11 नवंबर को ही जेल से एक साथ चार मोबाइल मिले थे।मोबाइल अंदर कैसे पहुंचे इसका खुलासा अब तक नहीं हो सका है। जेल में 1200 कैदियों को रखने की व्यवस्था है। फिलहाल इसमें 1050 से ज्यादा कैदी बंद है।
मोबाइल के पैकेट मिल चुके हैं जेल से
जड़ौदा स्थित जिला जेल से मोबाइल मिलना कोई नई बात नहीं है। इससे बड़ी बात तो ये है कि इतनी सुरक्षा होने के बावजूद मोबाइल जेल के अंदर कौन ले जा रहा है। तीन दिसंबर 2016 को जेल के अंदर एक पैकेट मिला था। तलाशी लेने पर पैकेट के अंदर से 8 मोबाइल, 4 चार्जर मिले थे। जबकि इसके कुछ दिन बाद ही एक अन्य पैकेट मिला था जिसमें तीन मोबाइल, चार बैटरी व एक चार्जर था। इसके अलावा पैकेट में बीड़ी व तम्बाकू भी था। हालांकि अधिकारियों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि किसी ने जेल के अंदर बाहर से मोबाइल फेंके हैं। क्योंकि जेल की एक दीवार खेतों से लगती है।
सभी मोबाइल तो बाहर से नहीं आए
जेल का उत्तरी हिस्सा खेतों से लगता है। ये भी माना जा सकता है कि लोग जेल के अंदर बाहर से मोबाइल फेंकते होंगे। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि बाहर से किसी ने मोबाइल फेंका हो और ठीक उसी को मिलता है जिसके लिए फेंका गया था। इसका मतलब है कि सब कुछ प्ला¨नग के साथ हो रहा है। बाइक से मोबाइल फेंकने वाले और जेल के अंदर से उठाने वाले कैदियों की टाइ¨मग एकदम सही है। लेकिन हर बार ऐसा नहीं हो सकता। अंगुली उन पुलिस कर्मचारियों की तरफ भी उठती है जो इसकी सुरक्षा में तैनात है। जब कैदी कोर्ट में पेशी के बाद वापस जाते हैं तो उन्हें गहन तलाशी के बाद ही जेल में भेजा जाता है। जेल के अंदर भी परिजनों को मिलने की अनुमति नहीं है। फिर कैदियों तक मोबाइल कैसे पहुंच रहे हैं। क्या ये गड़बड़ कोर्ट में पेशी से से जेल जाने के दौरान की जा रही है।
एक भी केस नहीं सुलझा
जेल में मोबाइल मिलता है तो कैदी के खिलाफ केस दर्ज कर कागजी कार्रवाई पूरी कर ली जाती है। परंतु जगाधरी थाना शहर पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं लेती। शायद ही अब तक कोई मामला पुलिस ने सुलझाया हो। इसलिए जेल से मिले सभी मोबाइल की दर्ज एफआईआर की जांच होनी चाहिए। जबकि यह बहुत गंभीर मामला है। कैदियों से पूछताछ होनी चाहिए। एक्सपर्ट की माने तो इस तरह के मामले सीआईए स्टाफ को सौंप देने चाहिए।
अब तक जेल में नहीं लगे जैमर
जिला जेल के अंदर जैमर भी नहीं लगे हैं। जिससे जेल के अंदर इस्तेमाल हो रहे मोबाइल नेटवर्क को जाम किया जा सके। काफी समय से जेल में जैमर लगाए जाने की बात कही जा रही है परंतु अब तक ऐसा नहीं हुआ। इसका फायदा जेल के अंदर बंद कैदी उठा रहे हैं। अब तक दर्जनों कैदियों से मोबाइल मिल चुके हैं। फिर भी जेल में जैमर लगाने को गंभीरता से नहीं लिया गया। जेल के अंदर बैठ कर ही कैदी लोगों को धमकाते हैं। यमुनानगर के पूर्व विधायक दिलबाग ¨सह के बड़े भाई पर कुछ माह पहले जब गोली चली थी तो उसने ऐसा ही मामला सामने आया था। गोली चलाने से पहले ही आरोपी ने फेसबुक पर कमेंट कर दिया था।
तलाशी लेते रहते हैं : बिश्नोई
सुपरिटेंडेंट जेल आत्माराम बिश्नोई का कहना है कि जेल के अंदर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध है। बाहर से मोबाइल अंदर नहीं जा सकते। जेल की दीवार खेतों से लगती है। बाहर से ही मोबाइल फेंके जाते हैं। जेल में जैमर लगाने की योजना है। जैमर लगने के बाद अंदर कोई भी कैदी मोबाइल से बात नहीं कर सकेगा।