Move to Jagran APP

जीएसटी फर्जीवाड़ा : बोगस फर्म ने काटे 4.38 करोड़ के बिल, अब वसूली विभाग के लिए चुनौती

प्लाईवुड और मेटल के काम के लिए मशहूर ट्विन सिटी में बोगस फर्म बनाकर जीएसटी में फर्जीवाड़ा करने वाले अभी तक पकड़ में नहीं आ सके। वहीं इन बोगस फर्मो से व्यापार करने वालों से वसूली करना भी विभाग के लिए चुनौती बन गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 10:27 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jun 2019 06:39 AM (IST)
जीएसटी फर्जीवाड़ा : बोगस फर्म ने काटे 4.38 करोड़ के बिल, अब वसूली विभाग के लिए चुनौती
जीएसटी फर्जीवाड़ा : बोगस फर्म ने काटे 4.38 करोड़ के बिल, अब वसूली विभाग के लिए चुनौती

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

loksabha election banner

प्लाईवुड और मेटल के काम के लिए मशहूर ट्विन सिटी में बोगस फर्म बनाकर जीएसटी में फर्जीवाड़ा करने वाले अभी तक पकड़ में नहीं आ सके। वहीं, इन बोगस फर्मो से व्यापार करने वालों से वसूली करना भी विभाग के लिए चुनौती बन गया है। विभाग की अब तक की जांच में सामने आया कि मॉडर्न इंडस्ट्रीज नाम की बोगस फर्म ने आगे बिल भी फर्जी फर्मों को ही काटे। ऐसे में इनका पता लगाना और भी मुश्किल हो गया। जिले में इस तरह की छह फर्मों के खिलाफ केस दर्ज हुआ। इसकी जांच स्टेट क्राइम ब्रांच कर रहा है। सीजीएसटी इनसे वसूली करने के लिए नोटिस दे रहा है। कई ऐसी भी फर्मो के नाम ई-वे बिल जारी किए गए, जिनका पता फर्जी निकला। सीजीएसटी के नोटिस भी यहां से बिना रिसिविग के वापस आ रहे हैं। बता दें कि बोगस फर्म बनाकर जीएसटी में करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया। ई वे बिल जारी कर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया गया। अभी 60 और फर्म जीएसटी की आइटी सेल के रडार पर हैं, जिनकी छानबीन चल रही है। यह है केसों की स्थिति

अक्टूबर 2018 में पहला केस फर्कपुर थाने में दर्ज हुआ था। जांच में सामने आया था कि बोस्टन के नाम से रेयान नाम के व्यक्ति ने 16 फरवरी 2018 को फर्म बनाई। इस फर्म का पता बैंककर्मी खेतरपाल के नाम से दिखाया गया। मार्च 2018 से जून 2018 तक 12.33 करोड़ रुपये के बिल जारी किए गए। इसकी जांच सीजीएसटी कर रही है। इस फर्म ने जो भी ई वे बिल काटे, वह दिल्ली, पंजाब, गुजरात की फर्मो के नाम काटे। सीजीएसटी के एक अधिकारी ने बताया कि दूसरे राज्यों से ई-वे बिल का व्यापार करने पर वहीं के कार्यालय की ओर से नोटिस जारी किया जाता है। इसलिए इसमें रिकवरी भी अलग-अलग जगह से हो रही है। अभी तक करीब 80 लाख रुपये की रिकवरी हो पाई है। कृष्णा टिबर ने 210 ईवे बिल जारी किए :

जगाधरी सिटी थाने में कृष्णा टिबर नाम की फर्म के खिलाफ केस दर्ज हुआ। 19 जून 2018 में फर्म जीएसटी में रजिस्टर्ड हुई थी। फर्म का पता जगाधरी में आढ़ती की दुकान का दिया हुआ था। जबकि संचालक का नाम लखनऊ निवासी राहुल कुमार दिया हुआ था। मौके पर कोई फर्म नहीं थी। इस फर्म ने 210 ई-वे बिल काटे। सभी बिल यमुनानगर में प्लाईवुड फर्मो के नाम पर काटे। इस फर्म ने 5.52 करोड़ का व्यापार किया। इसने 99 लाख रुपये का टैक्स चोरी किया। सीजीएसटी ने जांच शुरू कर कृष्णा टिबर से नाम से ई-वे बिल लेने वाली प्लाइवुड की फर्मो को नोटिस जारी किए। करीब 60 लाख रुपये की रिकवरी हो चुकी है। एक फर्म पर ई-वे बिल में 40 लाख रुपये का टैक्स दिखाया था, जो बाद में 40 हजार निकला। मॉडर्न ने जिनके नाम के बिल काटे, वह भी फर्जी

सदर यमुनानगर थाने में मॉर्डन इंडस्ट्रीज बाड़ी माजरा के खिलाफ केस दर्ज हुआ। यह फर्म एक अक्टूबर 2018 को रजिस्टर्ड करवाई। अक्टूबर से दिसंबर 2018 तक चार करोड़ 38 लाख रुपये के बिल जारी किए। ऑनलाइन पोर्टल पर फर्म पकड़ में आई। विभाग की ओर से नोटिस जारी किए गए, लेकिन मौके पर कोई भी फर्म नहीं मिली। इस केस में विभाग को सबसे अधिक दिक्कत आ रही है। फर्जी फर्म ने आगे भी फर्जी फर्मों के नाम पर ईवे बिल जारी किए और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया। स्टेट जीएसटी ने भी भेजे नोटिस

अप्रैल माह में एसएम ट्रेडर्स विश्वकर्मा चौक पर भी इसी तरह से फर्जी फर्म पकड़ में आई। एसएम ट्रेडर्स ने साढ़े सात करोड़ के बिल व ई-वे बिल जारी किए। इसके बदले में करीब एक करोड़ 80 लाख रुपये के राजस्व की चोरी की गई। फर्म गुरुग्राम निवासी राजरानी के नाम पर है। मौके पर जांच की गई, तो फर्म का पता सही नहीं मिला। सुबूत के तौर पर इस फर्म ने बिजली का बिल दिया था। उसके साथ भी केवल एक फोटो लगा था। इसकी जांच अभी स्टेट जीएसटी कर रही है। जिन फर्मों को इन्होंने ईवे बिल जारी किए। उन्हें नोटिस जारी किए गए। बैंक खाता तक गलत दिखाया स्मार्ट कॉर्पोरेशन ने

स्मार्ट कॉर्पोरेशन नाम की फर्म के संचालक दिल्ली के नयाबांस निवासी जितेंद्र कुमार ने सुबूत के तौर पर आबकारी एवं कराधान विभाग में किरायानामा और बिजली का बिल दिए थे। जब जांच की गई, तो मौके पर कोई भी फर्म नहीं थी। किरायानामा भगवानगढ़ निवासी सरिता देवी पत्नी राजेश कुमार के नाम पर था। यह भी जांच में सही नहीं मिला। फर्म ने लेन देन के लिए पीएनबी का खाता संख्या 3075002102010154 दिया था। बैंक अधिकारियों से इसके बारे में आबकारी और कराधान विभाग से जानकारी मांगी गई, तो यह भी खाता गलत मिला। यह फर्म 17 अगस्त 2018 को रजिस्टर्ड हुई थी। अगस्त से नवंबर 2018 तक हरियाणा और हरियाणा से बाहर तीन करोड़ 94 लाख 37 हजार 61 रुपये के बिल और ईवे बिल जारी किए। इसके आधार पर फर्म ने 70 लाख 98 हजार 671 रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया। इसके अलावा एक फर्म गायत्री के नाम से फर्म बनी थी। इसका भी पता फर्जी था। जो मोबाइल नंबर दिया गया था। वह भी किसी रेडीमेड की दुकान पर कार्य करने वाले अनुज का मिला।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.