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आयोग और न ही गोसेवक ले रहे सुध, सड़कों से गोशाला तक कराह रही गाय

गोवंशों को बचाने के लिए गोसेवा आयोग का गठन किया गया। तस्करी पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून बनाए। काउ स्टाफ बनाया गया। नगर निगम के अलग से स्टाफ तैनात किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:32 AM (IST)
आयोग और न ही गोसेवक ले रहे सुध, सड़कों से गोशाला तक कराह रही गाय

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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गोवंशों को बचाने के लिए गोसेवा आयोग का गठन किया गया। तस्करी पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून बनाए। काउ स्टाफ बनाया गया। नगर निगम के अलग से स्टाफ तैनात किया गया। जो सड़कों पर भटक रहे गोवंशों को गोशाला में छुड़ाता है। इसके बावजूद हालात नहीं सुधरे। गोवंश सड़कों पर धक्के खा रहे हैं तो गोशालाओं में गाय भूख से मर रही हैं। शहर से गांव तक गोवंश सड़क पर घूम रहे हैं। इनकी वजह से हादसे हो रहे हैं। हाल ही में शहजादवाला की गोशाला में 12 गोवंशों की मौत हो गई। कई की हालत खराब है। यहां पर काफी समय से गोवंशों की मौत हो रही थी। श्रद्धालु गाय की पूजा करने पहुंचे, तो गोशाला में मृत गोवंशों को देखा। इसके बाद ही यह मामला उजागर हुआ। डॉक्टरों की टीम पहुंची तो पता लगा कि उचित चारा न मिलने की वजह से गोवंशों की मौत हुई है।

यह हालात तब हैं, जब सरकार से गोशालाओं के लिए भरपूर बजट मिल रहा है। प्रति गाय के हिसाब से आचार संहिता के पहले 300 रुपये का बजट गोशालाओं को दिया जा चुका है। इसके अलावा दान भी मिलता है। इसके बावजूद गोशालाओं में हालात बदहाल हैं। न तो यहां पर सफाई है और न ही गोवंशों को रखने का उचित व्यवस्था। यमुनानगर जिले में छह गोशाला हैं। इनमें करीब तीन हजार गोवंश हैं। सबसे खराब हालात शहजादवाला व दामला गोशाला के हैं। सूखा भूसा यहां पर गोवंशों को मिल रहा है। शहजादवाला में शेड तक नहीं है। यह अभी निर्माणाधीन है। यहां पर स्पीकर ने शेड के लिए दस लाख रुपये की ग्रांट भी दी थी। यहां पर 250 गोवंश हैं।

कैटेगरी वाइज रखना जरूरी :

गोशाला में गोवंशों को कैटेगरी वाइज नहीं रखा जाता। तस्करों से मुक्त करवाए गए गोवंशों को यहां पर रखा जाता है। इसके अलावा बिगडैल सांडों को भी गोशाला में छोड़ा जाता है। नियमानुसार सभी गोवंशों को कैटेगरी के हिसाब से रखना जरूरी होता है, लेकिन गोशालाओं में ऐसा नहीं होता। इस वजह से अधिकतर गोवंशों को सूखा भूसा भी नहीं मिल पाता। बरसात व ठंड के मौसम में भी गोवंश बिगडैल सांडों की वजह से शेड के नीचे नहीं जाते। इससे वह बीमार पड़ जाते हैं। पशु चिकित्सकों की भी यहां पर रेगुलर विजिट नहीं होती। गोचरान की भूमि पर कब्जा

जिले में गोचरान की भूमि पर लोगों ने कब्जे कर रखे हैं। इसलिए भी गोवंशों को हरे चारे की दिक्कत आती है। जिले में करीब चार हजार एकड़ गोचरान की भूमि है। इस पर पंचायतों का कब्जा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी गोचरान की भूमि को कब्जा मुक्त करवाने के आदेश दिए, लेकिन प्रशासन सभी जमीनों को मुक्त नहीं करवा सका। खंड के हिसाब से गोचरान जमीन का रिकॉर्ड

ब्लॉक - भूमि - गोचरान भूमि

बिलासपुर -71162 - 865

छछरौली -8907 - 1411

जगाधरी- 47715 -700

सरस्वती नगर -38183 -400

रादौर - 6113 - 210

साढौरा -2074 -500

(नोट: यह डाटा राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज है।) कोट्स :

डीसी आमना तस्नीम का कहना है कि गोशालाओं के लिए गोसेवा आयोग से बजट आता है। ऐसे में किसी तरह की कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। शहजादवाला में भी गोवंशों की मौत होने का मामला संज्ञान में है। वहां पर चारे का प्रबंध करा दिया गया है।


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