चुनौती से कम नहीं होगा कर्मियों के लिए सफाई व्यवस्था पर काबू पाना
चुनौती से कम नहीं होगा कर्मियों के लिए सफाई व्यवस्था पर काबू पाना
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : 16 दिन की हड़ताल के बाद नगर निगम के सफाई कर्मचारी काम पर अवश्य लौट आएं हैं लेकिन चरमराई सफाई व्यवस्था पर काबू पाना चुनौती से कम नहीं होगा। नगर निगम एरिया में सफाई का जिम्मा 810 सफाई कर्मचारियों पर है। कुल कर्मचारी 880 हैं। इनमें से 380 कर्मचारी नियमित, 350 अनुबंध और 150 कर्मचारी निजी कंपनियों द्वारा नियुक्त किए हुए हैं। 70 कर्मचारी ऐसे हैं, जो अफसरों की कोठियों पर काम कर रहे हैं। हालांकि ठेकेदार के कर्मचारियों ने सफाई व्यवस्था पर काबू पाने का प्रयास किया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। उधर, नालों की सफाई के लिए निगम की ओर से 100 अतिरिक्त कर्मचारी रखे हुए हैं। तीन वार्ड प्राइवेट व 17 सरकारी कर्मचारियों के हवाले
वार्ड नंबर-13, 14 व 15 में सफाई के लिए कंपनी को टेंडर दिया हुआ है। हालांकि डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए छोटे वाहन लगे हुए हैं लेकिन नियमित रूप से कचरा नहीं उठ रहा है। कंपनी प्रति घर व दुकान से कचरा उठाने की एवज में चार्जेज लेती है। अन्य 17 वार्डो में नगर निगम के कर्मचारी सफाई कर रहे हैं और ट्रैक्टर-ट्रालियों के माध्यम से कचरा उठाया जाता है। कचरे के लिए उठान के लिए निगम के पास केवल 20 टिप्पर हैं, जबकि 100 चाहिए।
जगह-जगह लगे कचरे के ढेर
हमीदा हेड के पास पश्चिमी यमुना नहर के साथ पड़ी खाली जमीन में कचरे के ढेर लगे हुए हैं, जो हवा के झोकों के साथ नहर में भी गिर रहा है। कई बार तो यहां आग लगा दी जाती है। इसके अलावा जगाधरी के मिलिट्री ग्राउंड में भी कचरे के ढेर लगे हुए हैं। हर तरफ आबादी होने के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। शहर का कचरा ट्रालियों में भरकर यहां मैदान में गिराया जा रहा है। कैल स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के बाहर तो तमाम हदें पार हैं। अंदर जब जगह नहीं रही तो नेशनल हाईवे पर ही ढेर लगा दिए गए। बारिश का सीजन आने वाला है और बारिश के दिनों में यह कचरा इधर-उधर बहेगा।
नहीं हो रहा कचरे का निस्तारण
शहर से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन के लिए कैल गांव में 18.74 करोड़ रुपये की लागत से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाया हुआ है। कुछ दिन ठीकठाक चलने के बाद प्लांट की गति धीमी पड़ गई। प्लांट का टेंडर हाइड्रो एयर टेक्टोनिक्स नामक कंपनी को दिया हुआ है, जो कि 30 वर्ष के लिए है। जून 2008 में इसका काम शुरू हुआ था। 21 दिसंबर 2012 के पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने इसका उद्घाटन किया था लेकिन दिसंबर 2014 से यह प्लांट बिल्कुल बंद पड़ा है।
हर दिन निकलता है 150 कचरा
नगर निगम एरिया से हर दिन 150 टन कचरा निकलता है। प्लांट बंद पड़ा है। निगम कर्मचारियों को जहां जगह-मिल रही है, वहीं कचरे के ढेर लगाए जा रहे हैं। प्लांट बंद होने के कारण कचरे का निस्तारण नहीं हो रहा है। इसलिए प्लांट के अंदर व बाहर कचरे के ढेर लग गए हैं। हालात ऐसे हैं कि कचरा जगाधरी-अंबाला नेशनल हाइवे तक जा पहुंचा है। हाइवे पर सरपट वाहन दौड़ते हैं। ऐसे में हवा के कारण ये कचरा उड़ता रहता है। जिससे वाहन चालकों को दिक्कत हो रही है।
वार्ड में 25 कॉलोनियां हैं और 25 सफाई कर्मचारी हैं। करीब 25 हजार की आबादी है। सफाई कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। कई-कई सफाई नहीं होती है। इन दिनों तो जगह-जगह कचरा पड़ा हुआ है। कर्मचारियों की संख्या 70 होनी चाहिए। लगभग सभी कॉलोनियों में हालात बिगड़े हुए हैं।
सतपाल शर्मा, पार्षद जगाधरी के पॉश क्षेत्रों में कचरे के ढेर लगे हुए हैं। उठान के लिए टिप्पर की संख्या भी बहुत कम हैं। कई स्थानों से तो 16 दिन में एक बार भी कचरा नहीं उठा है। गंदगी के चलते क्षेत्र के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। उठान के लिए पर्याप्त टिप्पर व सफाई के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था करना जरूरी है।
देवेंद्र ¨सह, पार्षद। ठेकेदार के कर्मचारियों को सफाई का जिम्मा सौंपा हुआ है। सफाई को लेकर शहर के हालात काबू में हैं। हड़ताल पर बैठे कर्मचारी भी अब वापस काम पर लौट आए हैं और नियमित तौर पर सफाई हो रही है। यदि कहीं कचरा पड़ा है तो अब उठ जाएगा। कर्मचारियों की भर्ती का निर्णय सरकार के स्तर पर ही लिया जाएगा।
दीपक सूरा, कार्यकारी अधिकारी, नगर निगम।