30 रुपये में बिक रहा चार रुपये का फार्म, 1995 लोगों ने चालक-परिचालक बनने के लिए किया आवेदन
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : रोडवेज कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बेरोजगार लोगों का
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : रोडवेज कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बेरोजगार लोगों का हजूम बस स्टैंड पर उमड़ पड़ा है। चार दिन में ही चालक-परिचालकों की भर्ती के लिए 1995 बेरोजगारों ने आवेदन किया है। युवाओं की मजबूरी का फोटो स्टेट संचालक भी खूब फायदा उठा रहे हैं। चार पेज का फार्म जिसकी कीमत मात्र चार रुपये है वो 30 रुपये में बेचा जा रहा है। किसी तरह नौकरी लग जाए इस मजबूरी में कोई फार्म की अधिक कीमत का विरोध भी नहीं कर रहा। फार्म जमा करने के लिए बस स्टैंड पर अलग से काउंटर की व्यवस्था की गई है। जहां पर आवेदन करने वालों का धक्का लगा हुआ है।
एमए, बीएससी व एमबीए कर रहे आवेदन
परिचालकों के लिए जो आवेदन मांगे गए हैं उनमें परिचालक पद के लिए कम से कम 10 वर्ष के लाइसेंस का अनुभव होना चाहिए। इसलिए बहुत कम ही युवा ऐसे हैं जिनके पास 10 साल का अनुभव हो। आवेदन करने वाले राहुल, रजनीश, विक्रम, प्रदीप, जगतार ¨सह ने बताया कि सरकार ने 10 साल के अनुभव की शर्त गलत लगाई है। क्योंकि बहुत कम युवकों के पास ही इतने साल का परिचालक लाइसेंस होगा। जबकि जिन लोगों को बस चलानी है उनके लिए महज तीन वर्ष का अनुभव मांगा गया है। भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता 10वीं रखी गई है लेकिन इस भर्ती एमए, बीएससी, एमबीए तक कर चुके युवक भी आवेदन कर रहे हैं।
केवल तीन माह की होगी नौकरी
रोडवेज ने प्रदेश में परिचालकों के 905 व चालकों के 504 अस्थायी पदों के लिए आवेदन मांगा है। परिचालक को 19900 रुपये व चालक को 25500 रुपये दिए जाएंगे। सरकार द्वारा जो भर्ती की जा रही है वह अधिकतम तीन माह के लिए होगी। उसमें यह शर्त भी जोड़ी गई है कि तीन माह या इससे पहले जब भी स्थायी चालक-परिचालक नौकरी पर ज्वाइन कर लेंगे तो उन्हें बिना कोई नोटिस दिए नौकरी से हटा दिया जाएगा। फार्म भरने की अंतिम तारीख 25 अक्टूबर है। नौकरी भले ही तीन माह के लिए हो फिर भी काफी तादाद में आवेदक आ रहे हैं।
आठवें दिन चली रोडवेज की 67 बसें
आठवें दिन रोडवेज की 67 बसें ही चल पाई। जबकि स्कूलों की एक भी बस नहीं चल पाई। स्कूल खुलने के कारण किसी भी स्कूल ने अपनी बस रोडवेज को नहीं दी। जबकि प्राइवेट की 60 से अधिक बसें चल रही हैं। इस तरह 137 से अधिक बसें सड़कों पर चल रही हैं। जबकि दूसरे राज्यों की बसें अलग से हैं। बसों के चलने से यात्रियों की परेशानी कुछ कम हुई है। वहीं बसे चलने से बस स्टैंड पर अब यात्रियों की भीड़ बढ़ने लगी है। कोई भी कर्मचारी बसों को रोकने की कोशिश न करे इसके लिए बस स्टैंड के अंदर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
आठ दिन में डिपो को एक करोड़ का नुकसान
आठ दिन से चल रही हड़ताल के कारण यमुनानगर डिपो को एक करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। डिपो के बेड़े में 160 बसें हैं। एक दिन में रोडवेज को 14 लाख रुपये की आमदनी होती है। क्योंकि तीन-चार दिन से रोडवेज की कुछ बसें चली हैं। इसलिए एक करोड़ रुपये के नुकसान की बात अधिकारी कह रहे हैं।