यमुना सहित अन्य नदियों पर बाढ़ से बचाव के होंगे 19 काम
फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक में सीएम मनोहर लाल ने जिले की विभिन्न नदियों पर आठ करोड़ रुपये की लागत से होने वाले 19 कार्यो पर चर्चा की। ये काम यमुना, टांगरी, सोम व पथराला सहित अन्य कई नदियों पर करवाए जाने हैं। हालांकि इन कार्यो को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दे दी है, लेकिन औपचारिक रूप से पत्र-व्यवहार होने के बाद ही ¨सचाई विभाग की ओर इन्हें शुरू कराया जाएगा।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक में सीएम मनोहर लाल ने जिले की विभिन्न नदियों पर आठ करोड़ रुपये की लागत से होने वाले 19 कार्यो पर चर्चा की। ये काम यमुना, टांगरी, सोम व पथराला सहित अन्य कई नदियों पर करवाए जाने हैं। हालांकि इन कार्यो को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दे दी है, लेकिन औपचारिक रूप से पत्र-व्यवहार होने के बाद ही ¨सचाई विभाग की ओर इन्हें शुरू कराया जाएगा।
बैठक में यमुनानगर से ¨सचाई विभाग के एसई अरुण बिश्नोई व एक्सइएन हरीदेव कांबोज पहुंचे। बता दें कि 13 जनवरी को दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया। क्योंकि बैठक के आयोजन में देरी बरती जा रही थी। बैठक के बाद ही आगामी कार्रवाई शुरू होती है।
इन गांवों को बाढ़ का खतरा
माली माजरा, नवाजपुर, लाक्कड़, लेदी, बेलगढ़, टापू कमालपुर, होदरी, लापरा, बीबीपुर, मांडेवाला, खानूवाला, आंबवाली, टिब्बड़ियों, काटरवाली, रामपुर गेंडा, रणजीत पुर, भंगेड़ा, मलिकपुर, रणजीतपुर, मुजाफत, नगली, प्रलादपुर, पौबारी, संधाला, संधाली, लालछप्पर, मॉडल टाऊन करेहड़ा, उन्हेड़ी, संधाला, संधाली, गुमथला सहित दर्जनों गांवों में हर वर्ष बाढ़ का खतरा बना रहता है।
यमुनानगर संवेदनशील
बाढ़ के लिहाज से यमुनानगर जिला बहुत संवेदनशील है। यहां यमुना नदी सहित अन्य कई नदियां जमकर कहर बरपाती हैं। क्षेत्र के गांवों में खड़ी फसलें बर्बाद हो जाती हैं। पानी की धार के साथ जमीन भी बह जाती है, लेकिन बाढ़ बचाओ के कार्य हर बार बरसात का मौसम आने पर शुरू होते हैं। इसी बीच बरसात शुरू होने पर नदी में पानी आ जाता है। जिसके बाद अधिकारी बहाना बना देते हैं कि बाढ़ बचाव के किए गए कार्य यमुना नदी में पानी आने से बह गए। इतना ही नहीं कार्य के साथ मशीनरी तक का नुकसान भी गिना देते हैं।
बैठक के बाद होते हैं काम शुरू
हरियाणा फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक में प्रदेश भर की नदियों पर होने वाले कामों पर चर्चा होती है। बैठक में काम मंजूर होने के बाद फाइल चीफ इंजीनियर के पास फाइल दोबारा जाती है। फिर एस्टीमेट बनते हैं। उसके बाद टेंडर कॉल 20 से 30 दिन और इसे पास होने में 20 से 25 दिन लग जाते हैं। उसके बाद पत्थर एक स्थान पर एकत्र कर उसकी पैमाइश की जाती है। तब तक बरसात शुरू हो जाती है और पैसे पानी में बह जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में सात माह से अधिक का समय लग जाता है।
हर वर्ष खर्च होते करोड़ों
बाढ़ से बचाव के लिए नदियों पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। वर्ष 2011-12 में साढे़ 13 करोड़ 2012-13 : आठ करोड़ रुपये 2013-14 : साढे़ दस करोड़ 2014-15 : 17 करोड़ 2015-16 : 11 करोड़ 2016-17 : नौ करोड़ 2017-18 : 14 करोड़ 2018 - 19 : आठ करोड़ रुपये अनुमानित हैं।
यमुना नदी पर होते अधिक काम
हथनीकुंड बैराज से गुमथला तक यमुना नदी की लंबाई करीब 70 किलोमीटर है। यहां दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां प्रतिवर्ष बाढ़ का खतरा बना रहता है। अधिकतर काम यमुना पर ही होते हैं। इसी प्रकार सोम नदी की लंबाई 42 व पथराला की 40 किलोमीटर है। इन नदियों से प्रभावित होने वालों में भी दर्जनों गांव शामिल हैं।
19 काम बहुत कम
नदियों पर 19 काम बहुत कम हैं। बाढ़ बचाव कार्यो को लेकर तो केवल औपचारिकता होती है। इस बार ही नहीं बल्कि हर बार ऐसा ही होता है। केवल जठलाना क्षेत्र में ही 20 से ऊपर कामों की जरूरत है। नदियों में आने वाली बाढ़ से बचाव को लेकर सरकार को गंभीर होने की जरूरत है। अब तक कार्य शुरू हो जाने चाहिए थे, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी अभी बैठकों में ही व्यस्त हैं।
रामबीर ¨सह चौहान, जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ।
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बाढ़ बचाओ कार्यो को लेकर मंगलवार को राज्यस्तरीय बैठक हुई। इसमें नदियों पर होने वाले विभिन्न कामों पर चर्चा हुई है। यमुनानगर जिले में 19 कामों को मंजूरी मिली है। ये काम करीब आठ करोड़ रुपये से होने हैं। जल्दी ही इन्हें शुरू करवा दिया जाएगा।
हरीदेव कांबोज, एक्सइएन, ¨सचाई विभाग।