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किसानों ने ली शपथ : खेतों में करेंगे फसल अवशेषों का प्रबंधन

पराली का समाधान है समझदारी अभियान के तहत चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र दामला में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 07:27 AM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 07:27 AM (IST)
किसानों ने ली शपथ : खेतों में करेंगे फसल अवशेषों का प्रबंधन

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : पराली का समाधान है समझदारी अभियान के तहत चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र दामला में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। इसमें केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डा. एनके गोयल, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डा. सत्यवीर सिंह, मुख्य तकनीकी सहायक डा. मंगल सिंह व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. अजीत सिंह ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन बारे जानकारी दी। इस दौरान किसानों ने कहा कि भविष्य में वे खेतों में फसल अवशेष नहीं जलाएंगे और दूसरे किसानों को भी इस बारे प्रेरित करेंगे। इस दौरान बीएससी (एग्रीकल्चर) के विद्यार्थी महक शर्मा, साक्षी, विपुल कुमार व नीरज भी उपस्थित रहे। फसल प्रबंधन किसानों के हित में

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किसान अनिल कुमार दामला, किसान राज कुमार, किसान प्रीती लाल बकाना, किसान सुरेश मुस्तफाबाद, नाहरपुर से आकाश बख्शी, मुस्तफाबाद देश राज, नरेंद्र बकाना, विष्णु व प्रिस का कहना है कि सरकार खेत में पराली न जलाने पर दबाव दे रही है। यह किसानों व पर्यावरण के हित में है। यदि खेतों में ही फसल अवशेषों का प्रबंधन करते हैं तो भूमि के अंदर मित्र कीट नहीं जलते। दुर्घटनाओं की आशंका भी कम रहती है। किसानों के पास इसके विकल्प भी मौजूद होने चाहिए। किसान मजबूरी में पराली जलाते हैं। खेतों से बाहर निकालने के लिए मजदूर नहीं मिलते। इसके लिए किसानों को अलग से आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए। किसान समझें नैतिक जिम्मेदारी :

वरिष्ठ संयोजक डा. एनके गोयल का कहना है कि खेतों में फसल अवशेष जलाना पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। अवशेष जलाने से पर्यावरण में जहरीली गैसें घुलती हैं। धान के अवशेषों के बीच ही हैप्पी सीडर या सुपर सीडर से गेहूं की बिजाई की जा सकती है। इसलिए किसान फसल अवशेष न जलाएं। इसे अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझें। यदि हर व्यक्ति अपना दायित्व निभाएगा तो भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। किसानों को फसल अवशेष जलाने नहीं चाहिए, बल्कि इनको खेतों में ही दबा देना चाहिए। बेहतर खाद भी तैयार होगी। उनके मुताबिक फसल अवशेष जलाने से 100 फीसद नाइट्रोजन, 25 फीसद फास्फोरस, 20 फीसद पोटाश व 60 फीसद सल्फर का नुकसान होता है।


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