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शुगर मिलों में गन्ना डालने के बाद भी किसानों के हाथ, न रेट और न गन्ने के भुगतान पर निर्णय, अटके 80 करोड़

हरियाणा में गन्ने की फसल के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। पिछले साल 90 हजार एकड़ पर गन्ने की फसल थी जबकि इस बार 97 हजार एकड़ पर है। धान व गेहूं की फसल में लगातार हो रहे नुकसान के कारण किसान गन्ने की फसल को अधिक हैं।

By Jagran NewsEdited By: Naveen DalalPublished: Wed, 30 Nov 2022 02:19 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 02:19 PM (IST)
शुगर मिलों में गन्ना डालने के बाद भी किसानों के हाथ, न रेट और न गन्ने के भुगतान पर निर्णय, अटके 80 करोड़
करीब एक लाख क्विंटल की पेराई हर दिन हो रही है।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर : शुगर मिलों में गन्ना डालने के बावजूद के बावजूद किसानों के हाथ खाली हैं। बड़ी मिलों में शुमार सरस्वती शुगर मिल की यदि बात की जाए तो अब तक आठ नवंबर को पेराई सीजन शुरू हो गया था। करीब एक लाख क्विंटल की पेराई हर दिन हो रही है।

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22 लाख क्विंटल से अधिक गन्ने की हो चुकी पेराई, 380 रुपये प्रति क्विंटल पंजाब में हो चुका तय 

अब तक अब तक करीब 22 लाख क्विंलट गन्ने की पेराई हाे चुकी है। गत वर्ष के रेट के ही मुताबिक करीब 80 करोड़ रुपये का गन्ना मिल द्वारा खरीदा जा चुका है। 22 दिन बीत जाने के बावजूद न तो सरकार ने गन्ने का  रेट घोषित किया है जिसके चलते मिल स्तर पर भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। 

पंजाब राज्य में तय हो चुका रेट 

गन्ने की फसल के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। गत वर्ष 90 हजार एकड़ पर गन्ने की फसल थी जबकि इस बार 97 हजार एकड़ पर है। धान व गेहूं की फसल में लगातार हो रहे नुकसान के कारण किसान गन्ने की फसल को अधिक तरजीह दे रहे हैं। विशेषतौर पर यमुना नदी के साथ लगते गांवों में गन्ने के प्रति किसानों का रुझान अधिक है। किसानों के मुताबिक पड़ोसी राज्य पंजाब में गन्ने का भाव 380 रुपये प्रति क्विंटल हो चुका है। इस साल गन्ने के लागत मूल्य में भारी वृद्धि हुई है। पिछले साल की तुलना में प्रति एकड़ 15 हजार से अधिक लागत बढ़ी है। भाव 400 रुपये प्रति क्विंटल से कम नहीं होना चाहिए। सरकार जल्द गन्ने के भाव की घोषणा करे, ताकि किसानों में जो भाव को लेकर असमंजस है, वह खत्म हो सके।

14 दिन में भुगतान जरूरी 

भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान का कहना है कि किसानों को गन्ने का भुगतान न होने के कारण आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।  शुगर एक्ट के अनुसार 14 दिन में गन्ने का भुगतान करना अनिवार्य है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। अन्य फसलाें की भांति गन्ने का भाव भी सीजन के शुरू होने से पहले घोषित किया जाना चाहिए। इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है।

गेहूं की फसल के लिए दवाई व खाद की जरूरत होती है। लेकिन गन्ने का भुगतान न होने से किसानों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है। यह सरकार की किसान के प्रति की अनदेखी है कि उसको बिजाई के समय भाव नहीं मिलता। फसल कटाई के समय सरकार गन्ने का भाव घोषित नहीं करती।  उनकी मांग है कि जल्दी से जल्दी गन्ने का लाभकारी मूल्य घोषित किया जाए। जिससे किसान को भुगतान शुरू हो सके।

रुक गए आवश्यक कार्य 

किसान रामबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने सात ट्राली डाल दी। अभी तक भुगतान शुरू नहीं हुआ। उन्हेड़ी कि किसान शेर सिंह ने 10 ट्राली व खजूरी के प्रताप सिंह ने आठ और जगदीश खजूरी ने 10 ट्राली गन्ने की डाल दी है। अभी तक गन्ने का भुगतान को लेकर असमंजस बनी हुई है। सरकार बेशक किसान हितैषी होने का दम भर  रही हो, लेकिन गन्ने के रेट को लेकर किसानों की अनदेखी की जा रही है। भुगतान न होने के कारण अति आवश्यक कार्य रुक गए हैं। इस वर्ष गन्ने के भाव में प्रति एकड़ 15000 रुपये अधिक लागत आई है। इसलिए यदि किसान को लाभकारी मूल्य नहीं मिला गन्ने की खेती से किसान का मोहभंग हो जाएगा।

रेट घोषित होने का इंतजार 

सरस्वती शुगर मिल के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट (केन) का कहना है कि सरकार की ओर से गन्ने का रेट घोषित नहीं हुआ है। जिसके चलते भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। जैसे ही सरकार रेट घोषित करेगी, उसके बाद आगामी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। किसान हित में पेराई सीजन शुरू करवाया जा चुका है।


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