Move to Jagran APP

आबादी में चल रहीं फैक्ट्रियां, हो सकता हादसा

आबादी में चल रहीं फैक्ट्रियां हो सकता हादसा जागरण संवाददाता यमुनानगर दिल्ली की फैक्ट्री में लगी आग ने कुछ मिनटों में ही 43 लोगों की जान ले ली। ऐसा हादसा शहर की किसी फैक्ट्री में नहीं हो सकता ये सोचना भी बेमानी होगा। यहां तो ऐसा हादसा होने की संभावना दिल्ली से भी ज्यादा है क्योंकि औद्योगिक इकाइयां शहर की तंग गलियों में चल रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 08:16 AM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 08:16 AM (IST)
आबादी में चल रहीं फैक्ट्रियां, हो सकता हादसा
आबादी में चल रहीं फैक्ट्रियां, हो सकता हादसा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : दिल्ली की फैक्ट्री में लगी आग ने कुछ मिनटों में ही 43 लोगों की जान ले ली। ऐसा हादसा शहर की किसी फैक्ट्री में नहीं हो सकता ये सोचना भी बेमानी होगा। यहां तो ऐसा हादसा होने की संभावना दिल्ली से भी ज्यादा है, क्योंकि औद्योगिक इकाइयां शहर की तंग गलियों में चल रही हैं। जगाधरी की तो शायद ही कोई ऐसी गली होगी, जिसमें फैक्ट्री न चल रही हो। जहां दमकल गाड़ी पहुंचना तो दूर हादसा होने पर एंबुलेंस भी नहीं जा सकी। जिन अधिकारियों पर सुरक्षा मानकों को पूरा कराने की जिम्मेदारी है उन्होंने ही नियम तोड़ने की पूरी छूट दे रखी है। बीते कुछ वर्षों में हुए हादसों से भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है। आबादी के बीच चल रही फैक्ट्रियों को किस अधिकारी ने एनओसी दी ये भी गंभीर मामला है। शहर में चल रही चार हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां

loksabha election banner

जगाधरी का मेटल उद्योग विश्वभर में प्रसिद्ध है। हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व देने वाली इन फैक्ट्रियों में सुरक्षा के इंतजाम बिल्कुल ही नहीं है। सबसे ज्यादा बुरा हाल जगाधरी में है, क्योंकि सभी फैक्ट्रियां आबादी के बीच हैं। फैक्ट्रियों में बड़े-बड़े बॉयलर, गैस सिलेंडर चल रहे हैं। कई बार हुए धमाकों से जगाधरी शहर दहल भी चुका है। जिसमें कई मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं। यहां तक की फैक्ट्रियों के साथ लगते घरों में दरारें भी आई। लोग अपनी आवाज उठाते हैं तो डरा धमका कर उन्हें चुप करवा दिया जाता है। शहर में इस वक्त चार हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं जिनमें एक लाख से ज्यादा मजदूर काम करते हैं। लेकिन रिकार्ड में इनकी संख्या 20 हजार के आसपास ही है। कई फैक्ट्रियां तो ऐसी हैं जिनमें 100 से 300 कर्मचारी काम कर रहे हैं। बाहर फैक्ट्री का नाम भी नहीं लिखते

ट्विनसिटी की इंडस्ट्री देश-विदेश में भले ही अपनी छाप छोड़ रही हो, लेकिन यहां स्थित उद्योगों की अपनी कोई पहचान नहीं है। 70 प्रतिशत फैक्ट्री ऐसी हैं जिनके बाहर उनके नाम का बोर्ड नहीं है। इंडस्ट्री नियम के मुताबिक गेट पर फैक्टरी का नाम, पूरा पता और टेलीफोन नंबर लिखना अनिवार्य है। अधिकारी दावा करते हैं वे फैक्ट्रियों में जाकर चेकिग करते हैं। जब उन्हें बाहर गेट पर फैक्ट्री का नाम तक नहीं दिखता तो अंदर क्या कार्रवाई की जाती होगी। कई बार तो अंदर चल रही मशीनरी की आवाज सुनकर ही पता चलता है कि यहां फैक्ट्री है। कई मजदूर आ गए थे चपेट में

सितंबर माह में ही इंडस्ट्री एरिया में स्थित एल्यूमीनियम फैक्ट्री में 400 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर में गैस लीक होने से आग लग गई थी। आग की चपेट में 13 मजदूर आए थे जिनमें से आठ की हालत गंभीर होने पर उन्हें चंडीगढ़ पीजीआइ रेफर करना पड़ा था। दमकल गाड़ियों ने मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया था। इसी तरह फरवरी 2011 को दड़वा में प्लाइवुड फैक्ट्री में बॉयलर फटने से एक बच्चे की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे। जगाधरी में ही छोटी लाइन पर चार साल पहले फैक्ट्री में बायलर फट गया था। नोटिस जारी करते हैं : प्रमोद दुग्गल

जिला दमकल अधिकारी प्रमोद दुग्गल का कहना है कि जिन फैक्ट्रियों में आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम नहीं होते उन्हें नोटिस जारी कर देते हैं। यह सही है कि तंग गलियों में भी फैक्ट्रियां चल रही हैं। जहां बड़ी गाड़ी नहीं जा सकती वहां छोटी गाड़ियां भेजते हैं। विभाग के पास 2000 लीटर वाली तीन, 500 लीटर वाली एक गाड़ी व 15-15 लीटर के सिलेंडर वाली पांच बाइक हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.