कर्मियों का पैसा निजी काम में लगाने वाली 75 संस्थानों पर ईपीएफ का शिकंजा
जिले के 75 संस्थान ऐसे हैं जो कर्मचारियों का ईपीएफ निजी काम में इस्तेमाल कर रहे हैं।
पोपीन पंवार, यमुनानगर:
जिले के 75 संस्थान ऐसे हैं जो कर्मचारियों का ईपीएफ निजी काम में इस्तेमाल कर रहे हैं। अपने बनाए नियम के हिसाब से कर्मचारियों को पैसा देते हैं। नौकरी जाने के खतरे की वजह से कर्मचारी भी उनकी मनमानी सहन करते हैं। अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( ईपीएफओ) ने इन संस्थानों की सूची तैयार की है, जिसमें शहर के नामी स्कूल, कॉलेज और बड़े संस्थानों के नाम है। इन पर अब 406 और 409 धारा में कार्रवाई करने की तैयारी हो रही है। बी-कैटेगरी में शामिल किए हैं इनके नाम
प्लाईवुड और मेटल के काम में मशहूर जिले में तीन लाख से ज्यादा श्रमिक चार हजार संस्थान (फर्म, फैक्ट्रियां, कंपनी, शिक्षण संस्थान और अन्य) में काम कर रहे हैं। विभाग के रिकॉर्ड में इनमें से मात्र 24 हजार कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की सुविधा मिल रही है। इसकी तरह से 32 हजार ईएसआइ का लाभ मिल रहा है। ईपीएफओ के अधिकरियों ने जांच की तो पता चला कि कर्मचारियों के साथ ईपीएफ में हेराफेरी हो रही है। विभाग ने कार्रवाई के लिए ए, बी और सी कैटेगरी में बनाई। अभी तक 238 फर्म ए कैटेगरी और 75 संस्थानों को बी कैटेगरी में लिया है। ए कैटेगरी की फर्मों पर कार्रवाई के लिए जिले स्तर के अधिकारियों को उच्चाधिकारियों से किसी भी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती। इसमें नोटिस जारी करने, केस दर्ज करवाने, वारंट जारी करने व गिरफ्तारी सहित अन्य कार्रवाई का प्रावधान है। बी कैटेगरी में वे फर्म आती है जो कर्मचारियों का ईपीएफ चार से पांच माह बाद जमा कराते हैं। इस अंतराल में कर्मचारियों के पैसे को अपने काम में लेते हैं। ये नियमानुसार गलत है। माह की 15 तारीख को कर्मचारियों के हक का पैसा मिलना चाहिए। देरी से पैसे जमा कराने पर कर्मचारी को नुकसान है। बता दें कि ईपीएफओ ने वर्ष 2018-19 के लिए ब्याज की दर में 0.10 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अब ईपीएफ पर 8.65 फीसदी ब्याज मिलेगा। पिछले साल ये दर 8.55 फीसदी थी। केस दर्ज कराया जाएगा इन फर्मों पर
ईपीएफ कमिश्नर मयंक बंसल ने बताया कि जिले में काफी फर्मे ईपीएफ में गड़बड़ी कर रही है। उनकी कैटेगरी के हिसाब से लिस्ट तैयार कर रहे हैं। बी कैटेगरी वाली फर्मो पर केस दर्ज कराने के लिए उच्चाधिकारियों से अनुमति मांगी गई है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस लिस्ट में शहर के नामी शिक्षण संस्थान और फर्म के नाम हैं।