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डीटीपी के होर्डिग ने उड़ाई लोगों की नींद, आशियाना बिखरने की सता रही चिता

जिला के दो लाख से अधिक लोगों का दिन का चैन व रातों की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि इन्हें अपना आशियाना बिखरने की चिता सताने लगी है। जिला नगर योजनाकार (डीटीपी) ने तहसील एसडीएम बीडीपीओ बस स्टैंड पटवारखाना समेत अन्य जगहों पर 23 ऐसे बड़े होर्डिंग लगवाए हैं। इन होर्डिंग पर अवैध कॉलोनियों के नाम व खसरा नंबर लिखे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 09:19 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 09:19 AM (IST)
डीटीपी के होर्डिग ने उड़ाई लोगों की नींद, आशियाना बिखरने की सता रही चिता
डीटीपी के होर्डिग ने उड़ाई लोगों की नींद, आशियाना बिखरने की सता रही चिता

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जिला के दो लाख से अधिक लोगों का दिन का चैन व रातों की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि इन्हें अपना आशियाना बिखरने की चिता सताने लगी है। जिला नगर योजनाकार (डीटीपी) ने तहसील, एसडीएम, बीडीपीओ, बस स्टैंड, पटवारखाना समेत अन्य जगहों पर 23 ऐसे बड़े होर्डिंग लगवाए हैं। इन होर्डिंग पर अवैध कॉलोनियों के नाम व खसरा नंबर लिखे हैं। साथ ही लोगों से ये भी कहा गया है कि वे इन अवैध कॉलोनियों में प्लॉट न खरीदें और न ही निर्माण करें। होर्डिंग देखने के बाद से दहशत में लोग :

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डीटीपी जिलाभर में जो होर्डिंग लगवाए हैं उन पर भले ही ये लिखा हो कि कोई भी व्यक्ति इनमें प्लॉट न खरीदे और न ही निर्माण करे। प्लॉट खरीदने वालों पर कोई असर हो या न हो लेकिन जिन्होंने पहले से इन कॉलोनियों में घर व आलीशान कोठियां बना रखी हैं वो जरूर दहशत में हैं। इन कॉलोनियों में इसी बात की चर्चा हो रही है कि उनका घर किसी भी वक्त गिर सकता है, क्योंकि सरकार के रिकार्ड में उनकी कॉलोनी अवैध है। रातभर ये सोचते रहते हैं कि पता नहीं कब अधिकारी जेसीबी मशीन लेकर उनके घर को गिराने पहुंच जाएं। फैल रहा अवैध कॉलोनियों का मकड़जाल :

जिला में अवैध कॉलोनियों का मकड़जाल तेजी से फैल रहा है। गत वर्ष प्रदेश सरकार 69 अवैध कॉलोनियों को चिह्नित कर वैध किया था। इससे अलग 100 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां तो केवल शहरी क्षेत्र में हैं। वर्ष 2019 में ही डीटीपी कार्यालय ने जिला में 34 नई अवैध कॉलोनियों को चिह्नित किया। इनमें से 28 कॉलोनियों में किए गए निर्माण को ढहा दिया गया है। इसी साल शहरी क्षेत्र में 30 नई अवैध कॉलोनियां मिली थी जिनमें से 26 तोड़ी जा चुकी हैं। जबकि 2013 से 2018 तक केवल 16 कॉलोनियों को ही तोड़ा गया था। लोग बोले अवैध कॉलोनियों में क्यों दी सुविधाएं :

लोगों का कहना है कि जब इन कॉलोनियों में प्लॉट बेचे जा रहे थे तब अधिकारी कहां थे। तब प्लॉट बेचने वालों को पकड़ा क्यों नहीं। समाजसेवी बिलासपुर निवासी डॉ. यशपाल चौधरी का कहना है कि लोग जीवनभर बचत करके किसी तरह प्लॉट खरीद कर उसमें अपना घर बनाते हैं। अब इन कॉलोनियों को अवैध बताया जा रहा है। यदि प्रशासन शुरुआत में ही अवैध रूप से प्लॉट बेचने वालों पर कार्रवाई करे तो हजारों घरों को टूटने से बचाया जा सकता है। ऐसा तो नहीं हो सकता कि जब कॉलोनी में प्लॉट बेचे जा रहे थे और अधिकारियों को पता न चला हो। उस वक्त तो जानबूझ कर कार्रवाई नहीं करते। यदि ये कॉलोनियां अवैध थी तो इनमें लोगों को बिजली, पानी के कनेक्शन क्यों दिए। कई कॉलोनियों में तो पंचायतों ने पक्की गलियां बना दी हैं। अब यदि घर टूटते हैं तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। हमारा मकसद जागरूक करना है : अमित मधोलिया

डीटीपी अमित मधोलिया ने बताया कि भविष्य में अवैध कॉलोनियों पर अंकुश लगाया जा सके इसके लिए जागरुकता अभियान चलाया है। कार्यालय की तरफ से 23 जगहों पर होर्डिंग लगाए गए हैं। साथ ही 15 हजार पंपलेट अखबारों के माध्यम से घरों तक पहुंचाए गए। सरस मेले में भी 50 हजार पंपलेट लोगों में बांटे गए हैं। अवैध कॉलोनियों के होर्डिंग लोगों को जागरूक करने के लिए लगाए गए हैं।


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