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बूंदाबांदी से बढ़ी ठिठुरन, लुकाछिपी करते रहे सूर्यदेव

मौसम ने एक बार फिर करवट ली। धुंध के बाद सुबह एक बार धूप निकलने के बाद अचानक बादल छा गए। कभी धूप निकली तो कभी सूर्य देवता फिर बादलों में छिप गए। दोपहर के समय हुई हल्की बूंदाबांदी से मौसम ठंडा हो गया। अधिकतम तापमान 15 व न्यूनतम नौ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक शुक्रवार को बादल छाए रहने व शनिवार को फिर बूंदाबांदी की संभावना है। इस दौरान तापमान में भी गिरावट आएगी। न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस तक जाने की संभावना है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 09:14 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 09:14 AM (IST)
बूंदाबांदी से बढ़ी ठिठुरन, लुकाछिपी करते रहे सूर्यदेव
बूंदाबांदी से बढ़ी ठिठुरन, लुकाछिपी करते रहे सूर्यदेव

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मौसम ने एक बार फिर करवट ली। धुंध के बाद सुबह एक बार धूप निकलने के बाद अचानक बादल छा गए। कभी धूप निकली तो कभी सूर्य देवता फिर बादलों में छिप गए। दोपहर के समय हुई हल्की बूंदाबांदी से मौसम ठंडा हो गया। अधिकतम तापमान 15 व न्यूनतम नौ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक शुक्रवार को बादल छाए रहने व शनिवार को फिर बूंदाबांदी की संभावना है। इस दौरान तापमान में भी गिरावट आएगी। न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस तक जाने की संभावना है।

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जारी रहेगी ठंड

मौसम विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक ठंड से अभी निजात मिलने वाली नहीं है। शुक्रवार को अधिकतम 16 व न्यूनतम नौ, शनिवार को अधिकतम 15 तो न्यूनतम सात डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। रविवार को मौसम साफ व सोमवार को फिर बादल छाए रह सकते हैं। इस दौरान अधिकतम 17 व न्यूनतम छह डिग्री सेल्सियस, मंगलवार को अधिकतम अधिकतम 17 व न्यूनतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।

किसानों की मुश्किलें बढ़ी

क्षेत्र में रुक-रुककर हो रही बूंदाबांदी से जहां जन-जीवन अस्त-व्यस्त है, वहीं किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गेहूं व अन्य फसलों में पानी जमा होने के कारण प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ज्यादा असर सब्जी की फसलों पर देखा जा रहा है। गत दिनों हुई ओलावृष्टि से सब्जियों की फसलें पहले ही खराब हो चुकी हैं। अब यदि बारिश होती है तो नुकसान और भी बढ़ सकता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त पौधा संरक्षण अधिकारी डॉ. राकेश कुमार जांगड़ा का कहना है कि किसान खेतों में पानी जमा न होने दें।


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