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मुआवजे पर तकरार, एनएचएआइ के रिजनल कार्यालय की कुंडी लगा धरने पर बैठे किसान, तब सुनी गई बात

महीपाल व राजेश तिगरी ने कहा कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद एनएचएआई किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने में आनाकानी कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 05:49 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 06:19 AM (IST)
मुआवजे पर तकरार, एनएचएआइ के रिजनल कार्यालय की कुंडी लगा धरने पर बैठे किसान, तब सुनी गई बात

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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कोर्ट के आदेशों के बाद कलानौर से कैल तक अधिगृहीत 425 एकड़ जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा न दिए जाने के विरोध में किसानों ने एक बार फिर आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। बुधवार को भारतीय किसान यूनियन ने एनएचएआइ पंचकूला के रिजनल ऑफिस के बाहर धरना दिया। किसान दो घंटे तक धरने पर बैठे रहे, लेकिन कोई भी बात सुनने के लिए नहीं आया। उसके बाद किसानों का धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने कार्यालय का दरवाजा बाहर से बंद कर कुंडी में रूमाल से गांठ मारी दी। कर्मचारी व अधिकारी अंदर रह गए। तब करीब चार बजे किसानों की बात सुनी गई। एनएचएआइ के पीडी कृष्ण कुमार व सेक्टर चार के थाना प्रभारी ललित कुमार किसानों के बीच पहुंचे। उन्होंने पांच सदस्यों के प्रतिनिधि मंडल से बात की। उच्चाधिकारियों से बात करने के लिए एक सप्ताह समय किसानों से मांगा। तब पांच घंटे बाद किसान कार्यालय के सामने से हटे। साथ ही एलान कर दिया कि यदि एक सप्ताह में मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू नहीं की तो बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। यह है मामला

वर्ष 2011 में कलानौर-पंचकूला बाईपास के लिए जमीन का अधिग्रहण किया। यमुना नगर की सीमा में यह कैल गांव तक है। करीब 425 एकड़ जमीन एक्वायर की गई थी। कैल से कलानौर तक के 23 किलोमीटर लंबे बाईपास पर 470 करोड़ रुपये का खर्च आया है। जनवरी 2013 में अवार्ड हुआ था। सामान्य जमीन का 25 लाख रुपये प्रति एकड़, प्राइम लैंड का 30 लाख और नगर निगम एरिया में आई जमीन का मुआवजा 35 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया था। उसके बाद किसान कोर्ट में चले गए। काफी संघर्ष के बाद कोर्ट ने साढे़ 42 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा तय किया। मतलब बढ़े हुए साढे़ सात लाख, साढे़ 12 लाख और साढे़ 17 लाख रुपये के लिए किसान आंदोलनरत है। गत वर्ष जून माह में किसानों ने लंबा आंदोलन किया था। इस दौरान यह फैसला लिया गया था कि इस मामले में कोर्ट का निर्णय मान्य होगा। उसके बाद फरवरी 2020 में कोर्ट ने किसानों के हक में फैसला सुनाया। बावजूद इसके किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया। कोर्ट के आदेशों की हो रही अवहेलना

भाकियू संगठन सचिव हरपाल सुढल, गुरविद्र सिंह गधौला, बलदेव सिंह, जरनैल सिंह, हरदीप सिंह, दलबीर सिंह, कृष्ण पाल, गंभीर सिंह, महीपाल व राजेश तिगरी ने कहा कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद एनएचएआइ किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने में आनाकानी कर रही है। यह कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। मुआवजे में शर्तों का पेंच फंसाया जा रहा है। किसान इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। किसानों को कोर्ट के निर्णय के मुताबिक बढ़ा हुआ मुआवजा चाहिए। यदि एक सप्ताह में एनएचएआइ ने मुआवजा नहीं दिया तो दोबारा आंदोलन छेड़ दिया जाएगा।


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