बजट पर कैंची निगम के लिए विकास कराना
संजीव कंबोज यमुनानगर बजट पर सरकार की कैंची चलने से नगर निगम एरिया का विकास कराना चुनौती से कम नहीं होगा।
संजीव कंबोज, यमुनानगर: बजट पर सरकार की कैंची चलने से नगर निगम एरिया का विकास कराना चुनौती से कम नहीं होगा। कारण कुछ और नहीं बल्कि आय के संसाधनों का सीमित और विभिन्न प्रकार के करों की रिकवरी न होना है।
प्रदेश सरकार ने नगर निगमों को वित्तीय सहायता नहीं देने की घोषणा कर दी है। इसके तहत सरकार ने निगम को किसी भी तरह का अतिरिक्त बजट नहीं मिलेगा। निगम को खुद के संसाधनों से होने वाली आय से ही शहर में विकास कार्य कराने होंगे। निगम का सालाना बजट करीब 110 करोड़ रुपये है। 2018-2019 में रिकवरी की बात की जाए तो अधिकारी आधी भी नहीं करा पाए। इनकी सुस्ती रिकवरी पर भारी पड़ती है। वर्ष-2018-2019 में रही स्थिति
टैक्स बजट रिकवरी
प्रॉपर्टी टैक्स 50 करोड़ 16 करोड़
डेवलेपमेंट चार्ज पांच करोड़ 10 लाख 2 करोड़ 90 लाख
किराया चार करोड़ 50 लाख 3 करोड़ 70 लाख
तहबाजारी 30 लाख 13 लाख
फायर टैक्स 02 करोड़ 90 लाख
एक्साइज ड्यूटी 06 करोड़ साढे चार करोड़
लीज मनी 50 लाख 22 लाख 63 हजार (आंकड़े विभाग की वेबसाइट से लिए गए हैं) इनसेट
दूसरों को नसीहत देने वाले सरकारी विभाग खुद नगर निगम का प्रॉपर्टी टैक्स नहीं भर रहे है। ये सरकारी विभाग नगर निगम का 43 करोड़ रुपये से अधिक का प्रॉपर्टी टैक्स दबाए हैं। अधिकतर विभागों का वर्ष 2010 से प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है, लेकिन नगर निगम अधिकारियों की कार्रवाई केवल नोटिस भेजने तक सिमट रही है। इन सरकारी विभागों पर लंबे समय से मेहरबानी दिखाई जा रही है। दूसरी ओर निगम अधिकारी विकास कार्यों के लिए बजट न होने का हवाला देते नहीं थकते। सबसे अधिक बकाया रेलवे विभाग पर है। दुकानों के किराये पर भी कुंडली
यमुनानगर शहर में नगर निगम की कुल 1200 दुकानें हैं। इनमें 200 से अधिक दुकानें ऐसी हैं जिन्होंने लंबे समय से किराया अदा नहीं किया। करीब 80 लाख रुपये बकाया है। इसी प्रकार जगाधरी में करीब 300 दुकानें हैं। यहां किराया अदा न करने वाले दुकानदारों पर करीब 20 लाख रुपये बकाया है। एग्रीमेंट के मुताबिक हर माह किराया अदा करना होता है। बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर अब तक ऐसे दुकानदारों पर मेहरबानी क्यों बरती जा रही है। जमीन को सुरक्षा नहीं दे पाए अधिकारी
नगर निगम अपनी ही जमीन को सुरक्षा नहीं दे पाया। हर बैठक में सरकारी जमीन की चहारदीवारी या तारबंदी का मुद्दा उठा, लेकिन हाउस की आठ बैठकें केवल बहस में बीत गई। अब हालात यह हैं कि लगभग हर वार्ड में कई-कई एकड़ जमीन लावारिस पड़ी है। कहीं अवैध कब्जे हो रहे हैं तो कहीं तैयारी की जा रही है। हाउस की बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बावजूद नगर निगम अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पार्षद सीधे तौर पर अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि गत माह कुछ एकड़ में पौधे जरूर लगाए गए, लेकिन बाकी जमीन उसी हालत में है। बता दें कि नगर निगम की 1100 एकड़ जमीन है। ट्विन सिटी का विकास ही हमारी प्राथमिकता है। नगर निगम के पास आय के संसाधन काफी हैं। अधिक से अधिक रिकवरी कराई जाएगी। इसके अलावा आय के अन्य संसाधन भी तलाशे जा रहे हैं। हमारा प्रयास रहेगा कि इस निर्णय से विकास पर असर न पड़े।
मदन चौहान, मेयर नगर निगम।