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डाक्टरों के साथ हो रही हिसक घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय कानून बनाने की मांग

अस्पतालों में डाक्टरों के साथ हो रही हिसक घटना का विरोध जताया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 07:33 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 07:33 AM (IST)
डाक्टरों के साथ हो रही हिसक घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय कानून बनाने की मांग

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : अस्पतालों में डाक्टरों के साथ हो रही हिसक घटना के विरोध में आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने नेशनल डिमांड डे मनाया। इस दौरान हिसक घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय सुरक्षा कानून की मांग उठाई गई। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि आइएमए की मांग नहीं मानी गई, तो 18 जून को सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे हड़ताल रखी जाएगी। हालांकि इस दौरान आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी। इस संबंध में आइएमए ने प्रेसवार्ता की।

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आइएमए की जिला प्रधान डा. सुनीला सोनी ने कहा कि सवा साल से दुनिया कोविड से जूझ रही है। डाक्टर फ्रंटलाइन वर्कर बनकर कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद डाक्टरों पर हमले हो रहे हैं। यह गलत है। स्टेट के अपने कानून है। ऐसी हिसा करने वालों पर तुरंत कार्रवाई नहीं हो पाती। इसके लिए पीएनडीटी एक्ट की तरह केंद्रीय कानून होना चाहिए। जिसमें अस्पतालों की सुरक्षा व जल्द से जल्द हिसा करने वाले आरोपितों पर कार्रवाई हो। पूर्व आइएमए प्रधान डा. योगेश जिदल का कहना है कि कोरोना को सरकार ने राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया। इस दौरान किसी भी डाक्टर के साथ मारपीट को राजद्रोह माना जाएगा। इसके बावजूद डाक्टरों के साथ मारपीट हो रही है। जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हालात यह है कि अब डाक्टर मरीज को देखने से घबरा रहे है। यदि मरीज के स्वजन ऊंची आवाज में बात करते हैं, तो डाक्टर उसे रेफर कर देता है। जबकि हम हर मरीज की जान बचाने चाहते है। आइएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राजन शर्मा का कहना है कि डाक्टरों के भी परिवारों से लोग मरे हैं। करीब 1500 साथी हमारे खो चुके हैं। इन डाक्टरों के परिवार वालों के लिए वेलफेयर फंड की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक मात्र 168 को ही यह लाभ मिला है। हालात यह है कि युवा वर्ग डाक्टर नहीं बनना चाहता। कई जगह ऐसी भी घटनाएं हुई है। जहां मरीज की मौत होने पर स्टाफ भाग गया। इसलिए ही सुरक्ष ाकानून की मांग उठाई जा रही है। आइएमए की ओर से सरकार को मांग की गई है कि केंद्रीय अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर संरक्षण अधिनियम आइपीसी और सीआरपीसी टैग के साथ हो। प्रत्येक अस्पताल में मानकीकरण और सुरक्षा में वृद्धि हो। अस्पताल को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। डाक्टरों के साथ मारपीट करने के आरोपितों पर फास्ट ट्रैक मोड के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए। इस दौरान डा. लोकेश गर्ग, डा. रवि, डा. आर मसीह, डा. विक्रम भारती आदि भी मौजूद रहे।


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