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स्कूलों पर मेहरबानी, प्रबंधन ने खुद को व्यस्त बताया तो लौट आए अधिकारी

जागरण संवाददाता यमुनानगर प्राइवेट स्कूल के संचालकों पर कार्रवाई करने से अफसर बच रहे हैं। इसकी बानगी यह है कि सोमवार को कन्हैया सिंह चौक के नजदीक स्थित निजी स्कूल में जांच करने के लिए बीईओ पहुंचे तो प्रबंधन ने व्यस्त होने की बात कह दी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 02:05 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 06:33 AM (IST)
स्कूलों पर मेहरबानी, प्रबंधन ने खुद को व्यस्त बताया तो लौट आए अधिकारी
स्कूलों पर मेहरबानी, प्रबंधन ने खुद को व्यस्त बताया तो लौट आए अधिकारी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर:

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प्राइवेट स्कूल के संचालकों पर कार्रवाई करने से अफसर बच रहे हैं। इसकी बानगी यह है कि सोमवार को कन्हैया सिंह चौक के नजदीक स्थित निजी स्कूल में जांच करने के लिए बीईओ पहुंचे तो प्रबंधन ने व्यस्त होने की बात कह दी। इसके बाद बीईओ चुपचाप लौट आए। इस स्कूल की किताबें रूपनगर में बेची जा रही हैं। वहां दुकान पर किताब लेने पहुंची महिला के साथ दुकानदार ने बदसलूकी की थी। महिला का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने किताबों के साथ जबरन दी जा रही स्टेशनरी न लेने की बात कही थी। महिला ने इसकी शिकायत 100 नंबर पर की तो पुलिस पहुंची, लेकिन दुकानदार ने दुकान बंद कर दी। इस मामले में बीईओ जय सिंह जुल्का बुधवार को जांच करने पहुंचे थे। यहां प्रबंधन ने उन्हें बृहस्पतिवार को आने की बात कह दी। बीईओ जय सिंह जुल्का का कहना है कि वह संत निश्चल सिंह स्कूल में गए थे, लेकिन प्रबंधन के व्यस्त होने की वजह से गुरुवार का समय दिया है। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्राइवेट स्कूल संचालक किस कदर अफसरों पर हावी हैं।

दरअसल, एक अप्रैल को रूपनगर में पास प्राइवेट स्कूल की किताबों की दुकान पर हंगामा हो गया था। यहां एक महिला अपनी बच्ची के साथ किताबें लेने के लिए आई थी। आरोप है कि जबरन स्टेशनरी भी दुकान संचालक दे रहा था, जबकि वह लेने से मना कर रहे थे। इस पर दुकान संचालक ने उन्हें धक्का देकर बाहर निकाल दिया। बाद में जब बच्ची जिद करने लगी तो उन्होंने स्टेशनरी भी लेने की बात कही। आरोप है कि इस पर संचालक ने बदसलूकी की और किताबें भी नहीं दी। दुकान भी बंद कर ली। इस पर महिला ने 100 नंबर पर कॉल की तो पुलिस पहुंची। पुलिस ने दुकान तो खुलवाई, लेकिन संचालक ने किताबें देने से मना कर दिया था। खूब चल रही किताबों और यूनिफार्म के नाम पर लूट

इन दिनों एडमिशन का दौर चल रहा है। किताबों और यूनिफार्म के नाम पर अभिभावकों को ठगा जा रहा है। अधिकारी न तो कोई कार्रवाई करते हैं और न ही कोई जांच करते हैं। प्राइवेट स्कूलों की किताबें भी केवल निर्धारित दुकान से मिलती है। इस वजह से भीड़ लगी रहती है। कुछ प्राइवेट स्कूलों ने अलग से अस्थायी दुकानें बना दी हैं। जहां पर अभिभावकों की भीड़ लगी रहती है। यही हालात यूनिफार्म की दुकानों पर हैं। मॉडल टाउन में दुकान खुलने से पहले ही अभिभावक पहुंचने शुरू हो जाते हैं। देर रात तक लाइन में लगकर अभिभावकों को ड्रेस खरीदनी पड़ रही है। ड्रेस के नाम पर भी स्कूलों का कमीशन तय होता है। जिस वजह से यह ड्रेस महंगे दामों में अभिभावकों को खरीदनी पड़ रही है। डीसी को डीईओ ने यह दी रिपोर्ट

डीसी ने डीईओ से किताबों के नाम पर हो रही लूट के बारे में रिपोर्ट तलब की थी। बुधवार को यह डीईओ आनंद चौधरी की ओर से रिपोर्ट दी गई। जिसमें कहा गया कि चांदपुर में विकास बुक डिपो पर जांच की गई। यहां पर सभी अभिभावकों को बिल दिए जा रहे थे। दुकान का रजिस्ट्रेशन है और उसके पास जीएसटी नंबर भी है। यह दुकान पंजाब शॉप और कॉमर्शियल इस्टेबलिस्टमेंट एक्ट 1958 के सेक्शन 13 के तहत रजिस्टर्ड है। इस दुकान पर परशुराम पब्लिक स्कूल जगाधरी, स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल सेक्टर 17 जगाधरी, न्यू हैप्पी पब्लिक स्कूल यमुनानगर, न्यू हैप्पी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की किताबें मिल रही है। जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कोई भी किताब एमआरपी से अधिक पर नहीं बेची जा रही है, बल्कि 10 फीसदी की छूट दी जा रही है। किसी भी तरह की कॉमर्शियल एक्टिविटी नहीं मिली है।


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