सीएम फ्लाइंग ने ग्लू फैक्ट्री सील करने के लिए सेफ्टी इंस्पेक्टर को मिलाए फोन, नहीं पहुंचा कोई
सीएम फ्लाइंग की रेड ने ग्लू बनाने वाली फैक्ट्रियों की पोल खोल दी है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
सीएम फ्लाइंग की रेड ने ग्लू बनाने वाली फैक्ट्रियों की पोल खोल दी है। वीरवार की देर रात दो फैक्ट्रियों में छापेमारी की गई। टीम को फैक्ट्री मालिक ग्लू बनाने का लाइसेंस तक नहीं दे पाए। अधिकारियों की मेहरबानी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि रात को जब सीएम फ्लाइंग की टीम ने सेफ्टी इंस्पेक्टर को कॉल की, तो उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया। जबकि दूसरे न कहा कि जब तक ऊपर से आदेश नहीं आएगा तब तक कुछ नहीं करेंगे। इन्हीं दोनों को सील करने की कार्रवाई करनी थी। सीएम फ्लाइंग टीम के सब इंस्पेक्टर दिनेश कुमार ने बताया कि सीएम फ्लाइंग अंबाला व पंचकूला को सूचना मिली थी कि यमुनानगर में दो फैक्ट्रियों में ग्लू बनता है। इसमे यूरिया का प्रयोग होता है। सूचना के आधार पर यहां रेड की। फैक्ट्री मालिकों के पास लाइसेंस तक नहीं था। सेफ्टी इंस्पेक्टर ने कॉल तक रिसीव नहीं की। रेड की रिपोर्ट सीएम को भेजेंगे। वहीं फैक्ट्री मालिकों ने इस संबंध में कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। पर्यावरण क्लीयरनेंस भी नहीं था फैक्ट्री के पास
वीरवार की देर रात सीएम फ्लाइंग के सब इंस्पेक्टर दिनेश कुमार के नेतृत्व में टीम बाड़ी माजरा में मिराज और गुड्डू केमिकल पर छापेमारी की। दोनों ही फैक्ट्रियों के पास पर्यावरण क्लीयरनेंस भी नहीं था। वर्ष 2006 के बाद इसकी अनुमति केंद्र से लेनी पड़ती है। लेकिन दोनों के पास यह नहीं था। इसी तरह से जिले में चल रही ग्लू बनाने वाली अन्य फैक्ट्रियों के पास भी यह अनुमति नहीं है। यह अधिकारियों को भी नहीं पता था। दरअसल, जब फैक्ट्री में रेड पड़ी, तो व्यापारियों ने वन मंत्री के माध्यम से सीएम से बात की। जिसमें पता लगा कि दो भाइयों के बीच केमिकल बनाने की फैक्ट्री को लेकर विवाद है। जिसकी शिकायत राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण तक पहुंची है। जहां से पता लगा कि अब ग्लू व केमिकल बनाने का लाइसेंस केंद्र से मिलेगा। यदि यह फैक्ट्री बंद हो जाती है, तो प्लाईवुड का कारोबार ठप्प हो जाएगा। लक्कड़ मंडी भी बंद हो जाएगी। इसके लिए व्यापारियों ने सीएम से छह माह का समय भी मांगा। यह बोले-अधिकारी
कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर बीएस भान ने बताया कि छापेमारी के दौरान मौके पर थे। फैक्ट्री से टेक्निकल ग्रेड यूरिया के बैग मिले हैं। जांच के लिए फैक्ट्रियों से चार सैंपल लिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्यवाही की जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ निर्मल कश्यप ने बताया कि फैक्ट्री चलाने की एनओसी ली हुई थी। फिर भी केमिकल हवा में छोड़ा जा रहा था। जो आंखों के लिए नुकसानदायक है। फैक्ट्री मालिकों को नोटिस दिए जाएंगे।
दमकल अधिकारी प्रमोद दुग्गल ने बताया कि दोनों फैक्ट्रियों में नॉर्म्स पूरे नहीं थे। मौके पर रेत से भरी बाल्टियां व अन्य उपकरण भी नहीं मिले। जो परमिशन ली थी, वह भी खत्म हो चुकी है। अब फैक्ट्री मालिकों को नोटिस दिए जाएंगे। इसलिए यहां चलता है ग्लू का काम
जिला प्लाईवुड इंडस्ट्री का हब है। प्लाईबोर्ड चिपकाने में ग्लू का प्रयोग होता है। ग्लू बनाने में गड़बड़ी होती है। यूरिया से ग्लू बनता है। इसमें किसानों के छूट वाले यूरिया का भी प्रयोग होता है। सरकार ने ग्लू की फैक्ट्रियों में टेक्निकल ग्रेड के यूरिया का प्रयोग करने को मंजूरी दी हुई है, लेकिन वह व्यापारियों को महंगी पड़ती है।