अफसरों के टेबल पर अटकी सीएम की घोषणाएं
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सत्ता से जनता को काफी उम्मीद थी। नेताओं ने खूब वादे किए। सीएम
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
सत्ता से जनता को काफी उम्मीद थी। नेताओं ने खूब वादे किए। सीएम ने भी एक के बाद एक तीन सौ से ज्यादा घोषणाएं कर डाली। साढ़े चार साल गुजर गए। समय के साथ उम्मीद भी धूमिल होती गई। काम कछुआ गति से चल रहा है। अब तक के कार्यकाल में कुल 317 घोषणाओं में से केवल 77 घोषणाएं ही पूरी हो पाई हैं। 157 अभी ठंडे बस्ते में हैं। 79 पर अधिकारी काम चल रहा ये बताकर कॉलम पूरा करने के प्रयास में हैं। ऐसी घोषणाओं की संख्या भी कम नहीं है जो सीएम मनोहर लाल ने पहले सत्ता हाथ में लगते ही थी, लेकिन आज भी उन पर काम शुरू नहीं हुआ। योजनाओं को धरातल न मिलने से सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। इन योजनाओं को नहीं मिली जमीन
शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ट्रांसपोर्ट नगर बनाने की घोषणा की थी। ऐसी व्यवस्था न होने के कारण ट्रक हाईवे पर खड़े होते थे। आज तक इस घोषणा पर अमल नहीं हुआ। बाद में जमीन नहीं मिलने के कारण नगर निगम अधिकारियों ने इस घोषणा को रद कर दिया। जगाधरी जल प्रदूषण की समस्या को देखते हुए विस अध्यक्ष कंवरपाल की सिफारिश पर छछरौली अनाज मंडी से सीएम ने कॉमन इन्फ्लूंस ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने की घोषणा की थी, लेकिन यह घोषणा जनस्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के बीच ही फंसकर रह गई। नहीं बन पाया ट्रांसपोर्ट नगर
सीएम की घोषणा के बावजूद ट्विन सिटी में ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बन पाया। इसके अलावा नगर निगम के नालों को एसटीपी तक भी डायवर्ट नहीं किया जा सका है। सीएम घोषणाओं को पूरा करने में नगर निगम फिसड्डी साबित हो रहा है, क्योंकि नगर निगम से संबंधित तीन दर्जन से अधिक घोषणाएं हुई, जिनमें से केवल आधा दर्जन ही ही पूरी हो पाई। पूरी होने वाली चार घोषणाओं के तहत केवल बोर्ड ही लगाया जाना था। बोर्ड लगवाने में भी उपलब्धि गिनाई जा रही है। ये बोर्ड आज भी गिरे पड़े हैं। गोमाता से प्रेम, गो सेंचुरी बनाने से इनकार
प्रदेश सरकार भले ही गीता और गोरक्षा को महत्व दे रही हो, लेकिन अधिकारी इस बारे गंभीर नहीं हैं, क्योंकि मलिकपुर बांगर में 100 एकड़ जमीन पर गोसेंचुरी बनाने की घोषणा सीएम ने छछरौली में की थी। मुख्यमंत्री की इस घोषणा से गोरक्षा की उम्मीद जगी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब दो वर्ष बाद अधिकारियों ने इसे असंभव बता दिया है। उनका तर्क है कि इसके लिए जमीन उपलब्ध नहीं है यदि है तो उस पर विवाद है। यह घोषणा पशु पालन विभाग की ओर से पूरी कराई जानी थी। लौहगढ़ व आदिबद्री स्थल को टूरिज्म हब के रूप में विकसित किए जाने की योजना भी अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। सीएम मनोहर लाल ने स्वयं इन स्थानों को टूरिस्ट हब बनाने की घोषणा की थी। लौहगढ़ व आदिबद्री क्षेत्र में राज्य स्तरीय कार्यक्रम भी हो चुका है। मंच से यह भी कहा गया था कि इस एरिया को टूरिस्ट हब बनाने के लिए बजट की नहीं आने दी जाएगी। अधिकारी केवल मन से काम करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह योजना अभी भी पें¨डग हैं। लौहगढ़ किलानुमा लाइ¨टग लगाई जानी थी। ये योजनाएं भी अभी अधूरी हैं। कपाल मोचन-लौहगढ़ रोड पर मेमोरियल गेट लगाया जाना था, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया कि इस कार्य को कौन सा विभाग करेगा। शुगर मिल भी नहीं हुई शिफ्ट
सीएम मनोहर लाल ने दशहरा ग्राउंड में आयोजित रैली में सरस्वती शुगर मिल को भी शिफ्ट किए जाने की घोषणा की थी। यह घोषणा मात्र घोषणा ही बनकर रह गई। अधिकारियों से यदि सवाल किया जाए तो यही जवाब मिलता है कि उनको इस घोषणा के बारे में कोई जानकारी नहीं है।