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अफसरशाही में फंसकर रह गई सीईटीपी की योजना, नालियों में बहकर यमुना में गिर रहे केमिकल

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मेटल नगरी से निकल रहे केमिकल युक्त पानी के शुद्धिकरण की योज

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 11:21 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 11:21 PM (IST)
अफसरशाही में फंसकर रह गई सीईटीपी की योजना, नालियों में बहकर यमुना में गिर रहे केमिकल
अफसरशाही में फंसकर रह गई सीईटीपी की योजना, नालियों में बहकर यमुना में गिर रहे केमिकल

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मेटल नगरी से निकल रहे केमिकल युक्त पानी के शुद्धिकरण की योजना अफसरशाही में फंसकर रह गई। विधानसभा अध्यक्ष कंवर पाल की सिफारिश पर सीएम मनोहर लाल ने जगाधरी में कॉमन इन्फ्लूंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) बनाए जाने की घोषणा की थी, लेकिन उसके लिए अधिकारी आज तक जमीन की व्यवस्था नहीं कर पाए।

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बता दें कि जगाधरी में मेटल की छोटी-बड़ी 1500 औद्योगिक इकाइयां हैं। बर्तन तैयार करते समय विभिन्न धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। काफी मात्रा में वेस्ट निकलता है जो नालियों में बह रहा है। कुछेक को छोड़कर बाकि में ईटीपी की भी व्यवस्था नहीं है। इनसेट

एक दूसरे के पाले में फेंकते गेंद

इस परियोजना की गेंद अधिकारी एक दूसरे विभाग के पाले में फेंक रहे हैं। जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस योजना पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड काम करेगा। यदि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सुने तो जवाब मिलता है कि नगर निगम ने अभी जमीन उपलब्ध नहीं कराई है। कसूरवार कौन है, यह तो जांच का विषय है, लेकिन इस फेर में शहरवासियों का स्वास्थ्य जरूर फंस रहा है। उच्चाधिकारी भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। सभी इकाइयां नहीं रजिस्ट्रड

जगाधरी शहर में बर्तन बनाने की करीब डेढ़ हजार इकाइयां हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास केवल करीब डेढ़ सौ का ही रिकॉर्ड है। यहां चम्मच से लेकर बड़े कढ़ाहे तक बनते हैं। अधिकांश में पानी को ट्रीट करने की व्यवस्था नहीं है। डिस्चार्ज हो रहे पानी में निकिल, ¨जक, कॉपर, क्रोमिमय जैसी भारी धातुएं होती हैं। नालों का पानी यमुना में गिर रहा है और इस केमिकल युक्त पानी से न केवल जलीय जीव जंतु प्रभावित होते हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। इनसेट

निकिल, ¨जक, कॉपर, क्रोमिमय जैसी धातुओं की अधिक मात्रा हमारे शरीर में जहर का काम करती हैं। विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण भी बनती हैं। स्वास्थ्य पर इनका असर न पड़े, इसके लिए सभी औद्योगिक इकाइयों में ईटीपी का होना जरूरी है। यदि पानी ट्रीट होकर नदियों में गिरेगा तो प्रदूषण नहीं होगा। आमजन को भी चाहिए कि ऐसा कोई काम करे, जिससे प्रदूषण का खतरा बढ़े।

डॉ. अनिल अग्रवाल, अग्रवाल अस्पताल। फोटो : 5

इनसेट

जगाधरी में चल रही मैटल इकाइयों में ईटीपी लगवाए जा रहे हैं। जिनमें नहीं हैं, उनको नोटिस दिया गया है। हमारा प्रयास है कि सभी इकाइयों में यह व्यवस्था हो। ताकि जल प्रदूषण न हो। जगाधरी में सीईटीपी भी लगाए जाने की योजना है। इसके लिए भी जमीन की तलाश की जा रही है। उम्मीद है जल्दी ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा।

बलराज अहलावत, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। इनसेट

फोटो : 6

सीएम अनाउंसमेंट के तहत जगाधरी में सीईटीपी बनवाए जाने की योजना है। अभी इसके लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो रही है। प्रयास किए जा रहे हैं कि जल्द ही इस परियोजना पर काम शुरू हो जाए। प्रदूषण की समस्या को देखते हुए सीईटीपी होना जरूरी है।

आनंद स्वरूप, एक्सईएन नगर निगम।


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