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40 फीसद भट्ठों पर ईंटें खत्म, बाकी पर दो माह का बचा स्टाक

जिले के भट्ठों पर ईंटों का स्टाक धीरे-धीरे खत्म होने लगा है। कुल 96 ईंट भट्ठों में से 40 फीसद ऐसे हैं जिन पर बेचने के लिए ईंट नहीं बची है। जिससे लोगों को निर्माण कार्यों के लिए ईंट खरीदने में दिक्कत हो रही है। ईंटों के लिए लोगों को न केवल दूसरे गांवों के भट्ठों पर भागदौड़ करनी पड़ रही है बल्कि महंगी भी खरीदनी पड़ रही है। कई भट्ठों पर तो एक हजार ईंटों का रेट 6500 रुपये को भी पार कर गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 07:37 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 07:37 AM (IST)
40 फीसद भट्ठों पर ईंटें खत्म, बाकी पर दो माह का बचा स्टाक
40 फीसद भट्ठों पर ईंटें खत्म, बाकी पर दो माह का बचा स्टाक

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जिले के भट्ठों पर ईंटों का स्टाक धीरे-धीरे खत्म होने लगा है। कुल 96 ईंट भट्ठों में से 40 फीसद ऐसे हैं जिन पर बेचने के लिए ईंट नहीं बची है। जिससे लोगों को निर्माण कार्यों के लिए ईंट खरीदने में दिक्कत हो रही है। ईंटों के लिए लोगों को न केवल दूसरे गांवों के भट्ठों पर भागदौड़ करनी पड़ रही है बल्कि महंगी भी खरीदनी पड़ रही है। कई भट्ठों पर तो एक हजार ईंटों का रेट 6500 रुपये को भी पार कर गया है। जिन भट्ठों पर ईंट है वहां केवल डेढ़ से दो माह का ही स्टाक बचा है।

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अभी तक नहीं बुलाई लेबर :

इन दिनों भट्ठों पर ईंटों की पथेर का काम शुरू हो जाता था। परंतु अभी तक किसी भी भट्ठे पर ईंटों की पथेर का काम शुरू नहीं हुआ है। कच्ची ईंटे बनाने के लिए भट्ठों पर ज्यादातर लेबर उत्तर प्रदेश व बिहार से आती है। क्योंकि कोयले की बढ़ती कीमतों ने ईंट भट्ठा संचालकों की परेशानी बढ़ा दी है। भट्ठों पर ईंट पकाने के लिए जो कोयला प्रयोग होता है उसकी कीमत सात हजार से 23 हजार रुपये मीट्रिक टन पर पहुंच गई है। इतने महंगे रेट पर कोई भी भट्ठा संचालक कोयला खरीदने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि अभी दूसरे राज्यों से लेबर को भट्ठों पर नहीं बुलाया गया है। महंगी ईंटों से बिगड़ा निर्माण का बजट :

बिलासपुर निवासी अशोक ने बताया कि उसने खाली प्लाट में चार दुकानों का निर्माण शुरू किया था। उसने निर्माण से पहले खर्च का जो एस्टीमेट बनाया था वह पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। सबसे महंगी ईंट मिल रही है। इसके अलावा सीमेंट का कट्टा 350 से 370 रुपये, सरिया 6200 रुपये प्रति क्विंटल व रेत 2300 रुपये प्रति सैकड़ा मिल रहा है। भट्ठे पर ईंट लेने जाते हैं तो संचालक कहते हैं कि अब स्टाक लेकर रख लो। कुछ दिनों बाद महंगी ईंट मिलेगी और स्टाक भी खत्म हो जाएगा। इस बात की चिता सताने लगी है कि कहीं आने वाले दिनों में निर्माण कार्य बीच में ही न लटक जाए। ईंटों की मांग बढ़ी है : रणबीर कांबोज

ईंट भट्ठा एसोसिएशन यमुनानगर के जिला प्रधान रणबीर कांबोज का कहना है कि सभी भट्ठा संचालकों ने निर्णय लिया था कि एक दिसंबर से भट्ठों को शुरू कर देंगे। परंतु अब ऐसा होने वाला नहीं है। सभी कोयले का रेट कम होने का इंतजार कर रहे हैं। जनवरी में मौसम ज्यादा खराब रहता है। कोहरा व ठंड अधिक होने से कच्ची ईंट सूखती नहीं है। इसलिए फरवरी के बाद से ही भट्ठे चलाए जाने की उम्मीद है। इसमें देरी के कारण ही भट्ठों पर ईंटों का स्टाक तेजी से कम हो रहा है। ईंटों की डिमांड अधिक है लेकिन उत्पादन नहीं है। इसलिए डेढ़ से दो माह का स्टाक ही बचा है।


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