मानव से जुड़े हैं गीता के सभी अध्याय : स्वामी ज्ञानानंद
श्रीकृष्ण कृपा सेवा समिति एवं जीओ गीता परिवार जगाधरी-यमुनानगर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दिव्य गीता सत्संग में स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि जीवन में मुख्य रूप से तीन क्षमताएं हैं।
संवाद सहयोगी, जगाधरी :
श्रीकृष्ण कृपा सेवा समिति एवं जीओ गीता परिवार जगाधरी-यमुनानगर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दिव्य गीता सत्संग में स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि जीवन में मुख्य रूप से तीन क्षमताएं हैं। आत्मा चेतना सब में समान रूप से हैं। एक सामान्य प्राणी से लेकर ब्रह्मा जी तक चेतना सब में एक है। गीता का समग्र जीवन चार को मिलाकर है। शरीर जो दिखता है, मन जो विचार करता है। उसके बाद बुद्धि, जो निर्णय करने की क्षमता रखती है। शरीर के लिए गीता का कर्मयोग है। शरीर के द्वारा होने वाले कर्म बंधन न बने उसके लिए कर्मयोग है। वैज्ञानिक प्रक्रिया है गीता।
गीता के सभी अध्याय मानव जीवन से जुड़े हैं। गीता के प्रथम अध्याय में कहा गया कि हे कुंती पुत्र अर्जुन यह शरीर ही क्षेत्र है।किसान का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि जैसा बीज बोया जाएगा, वैसा ही काटा जाएगा। हे मानव तुम अपने कर्म को धर्म बना ले। आज सब कुछ शरीर के लिए हो रहा है।
उन्होंने कहा कि गीता केवल सामान्य पुस्तक नहीं है। गीता करूणामयी, ममतामयी मां है। संत विनोबा भावे कहते हैं, मेरा शरीर मां के दूध पर जीतना फलित हुआ है, उतना ही गीता से। गीता मेरे लिए मां है। मेरा शरीर जितना मां के दूध पर पला है, मेरी बल व बुद्धि गीता से मिला है। महात्मा गांधी कहते हैं, जीवन में जब भी निराशा आई, तब अपना सिर गीता मां की गोद में रख देता हूं। अपनी ¨चताएं वहां उड़ेल देता हूं।