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कृषि विभाग का किसानों की शिकायतों पर संज्ञान, DAP और यूरिया के साथ गैरजरूरी सामान दिया तो लाइसेंस होगा सस्पेंड

हरियाणा में सीजन में जिस खाद की डिमांड अधिक होती है विक्रेता उसी खाद के साथ किसानों को अन्य गैर जरूरी उत्पादन देना शुरू कर देते हैं। लेकिन अबकी बार शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए विभाग के उप निदेशकों को कार्रवाई के लिए लिखा है।

By Jagran NewsEdited By: Naveen DalalPublished: Tue, 22 Nov 2022 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 22 Nov 2022 04:19 PM (IST)
कृषि विभाग का किसानों की शिकायतों पर संज्ञान, DAP और यूरिया के साथ गैरजरूरी सामान दिया तो लाइसेंस होगा सस्पेंड
रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने दिए कार्रवाई के आदेश, डीएपी के साथ थमाया जाता है नैना यूरिया।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में डीएपी और यूरिया के साथ गैर जरूरी सामान थौपने वाली कंपनियों व विक्रेताओं की अब खैर नहीं है। ऐसा करने वालों के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने सभी कृषि एंव किसान कल्याण विभाग के उप निदेशकों को कार्रवाई के लिए लिखा है। स्पष्ट किया गया है कि किसान को सब्सीडी युक्त खाद के साथ अन्य उत्पाद जबरदस्ती देना पूर्ण रूप से अवैध है। इससे न केवल किसान पर आर्थिक बोझ पड़ता है बल्कि इस दिशा में तय नियमों की भी अवहेलना हो रही है। बता दें कि खाद के साथ गैर जरूरी उत्पाद संबंधित कंपनियों की ओर से विक्रेताओं को दिया जाता है और विक्रेता इसको किसानों के सिर मढ़ देते हैं।  

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जिले में 635 विक्रेता

कृषि एंव किसान कल्याण विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 635 खाद व दवाई विक्रेताओं के लाइसेंस हैं। 70 हजार से अधिक किसान हैं। सीजन में यूरिया की यदि बात की जाए तो करीब 65 हजार एमटी व डीएपी की करीब 10 हजार एमटी की खपत रहती है। सीजन में जिस खाद की डिमांड अधिक होती है, विक्रेता उसी खाद के साथ किसानों को अन्य गैर जरूरी उत्पादन देना शुरू कर देते हैं। अबकी बार डीएपी के साथ नैनाे यूरिया दिया गया। डीएपी के एक बैग की कीमत 1350 रुपये है जबकि किसान को मजबूरी में 240 रुपये का नैनाे यूरिया भी खरीदना पड़ा। ऐसा ही खेल यूरिया खाद की डिमांड बढ़ने पर खेला जाता है। सल्फर व दवाइयां भी किसान को जबरदस्ती दी जाती हैं। 

किसान संगठन उठा चुके मुद्दा 

खाद के साथ अन्य उत्पाद दिए जाने संबंधी शिकायतें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को मिल रही हैं। किसान संगठन भी ऐसी गतिविधियों के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी हैं। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष संजू गुंदियाना का कहना है कि सीजन में खाद कंपनियां किसानों का शोषण करती हैं। जरूरत न होने की स्थिति में भी किसानों को कई तरह के उत्पाद दिए जाते हैं। यदि किसान गैर जरूरी उत्पाद लेने से मना करें तो उनको आवश्यक उत्पाद देने से भी इंकार कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में गैर जरूरी उत्पाद लेना किसान की मजबूरी बन जाता है। इस संदर्भ में पूर्व में कई बार कृषि अधिकारियों से शिकायत भी की जा चुकी है। 

अधिकारी के अनुसार

विक्रेता खाद के साथ किसान को जबरदस्ती गैर जरूरी उत्पाद नहीं दे सकता। रसायन और उर्वरक मंत्रालय की ओर से इस दिशा में स्पष्ट आदेश जारी हो चुके हैं। यदि किसी विक्रेता ने ऐसा किया तो लाइसेंस सस्पेंड हो सकता है। 

---प्रदीप मील, उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।


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