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गन्ने की नर्सरी तैयार करने पर किसान को मिलेंगे प्रति एकड़ पांच हजार : डा. सूरजभान

गन्ने की फसल के प्रति किसानों का खासा रुझान है। उत्पादन में जिला प्रदेश में पहले नंबर पर है। बावजूद इसके गन्ना उत्पादक किसानों को नई किस्में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यह कमी किसानों को काफी खल रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 08:38 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 08:38 AM (IST)
गन्ने की नर्सरी तैयार करने पर किसान को मिलेंगे प्रति एकड़ पांच हजार : डा. सूरजभान

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गन्ने की फसल के प्रति किसानों का खासा रुझान है। उत्पादन में जिला प्रदेश में पहले नंबर पर है। बावजूद इसके गन्ना उत्पादक किसानों को नई किस्में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यह कमी किसानों को काफी खल रही है। गन्ने की स्वस्थ पैदावार और नई किस्मों को बीज उपलब्ध करवाने के लिए विभाग की ओर से क्या प्रयास किए जा रहे हैं? गन्ना उत्पादक किसानों को किस तरह प्रोत्साहित किया जा रहा है? इन तमाम बातों को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता संजीव कांबोज ने अतिरिक्त गन्ना विकास अधिकारी डा. सूरजभान से बातचीत की। बातचीत के अंश इस प्रकार हैं? :-

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सवाल : क्षेत्र में गन्ने की फसल का रकबा कितना हैं? और बढ़ावा देने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं? जवाब : करीब 90 हजार एकड़ में गन्ने की फसल खड़ी है। रकबा बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। शरदकालीन बिजाई पर तीन हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान भी दिया जाता है। सवाल : कितने एरिया में गन्ने की शरदकालीन बिजाई की जाती हैं? और इसके क्या फायदे हैं? जवाब : पांच-छह हजार एकड़ में गन्ने की शरदकालीन बिजाई की जाती है। अक्टूबर माह में गन्ने की बिजाई शुरू हो जाती है। इसमें इंटरक्रापिग की जा सकती है। इसके दोहरा लाभ गन्ने की फसल के साथ लहसुन, प्याज, गेहूं या सरसों की फसल ली जा सकती है। सवाल : गन्ने की 238 किस्म कीट व बीमारियों की चपेट में आ रही है। उत्पादक किसानों को नुकसान हो रहा है। सवाल : गन्ने की पुरानी किस्म 238 के रकबे को दूसरी किस्मों में तब्दील किया जा रहा है। नई किस्म 15023 किसानों को उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अलावा गन्ने की 119, 118 व 160 की बिजाई पर भी जोर दिया जा रहा है। सवाल : गन्ने की नई किस्में इजाद करने की दिशा में क्या प्रयास किए जा रहे हैं? जवाब : इस बार गन्ने की नई किस्में तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। करीब दो हजार एकड़ के लिए नई किस्मों का बीज उपलब्ध करवाने की योजना है। यह बीज पूरी तरह उपचारित किया जाएगा। उसके बाद किसानों को मुहैया करवाया जाएगा। सवाल : सिगल बड विधि से गन्ने की बिजाई के क्या फायदे हैं? क्या यह क्षेत्र के किसानों के लिए कारगर है? जवाब : जी हां, गन्ने की सिगल बड विधि क्षेत्र के किसानों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है। काफी किसान इस विधि से गन्ने की बिजाई कर रहे हैं। इस विधि से बिजाई करने पर प्रति एकड़ गन्ने का बीज कम लगता है। पैदावार भी अव्वल रहती है और गन्ने के साथ दूसरी फसल भी ली जा सकती है। सवाल : क्या क्षेत्र के किसान गन्ने की नर्सरी भी तैयार कर सकती हैं? जवाब : किसान गन्ने की नर्सरी तैयार कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसका प्रयोग अपने खेत में भी कर सकते हैं और अच्छा कारोबार भी है। किसान को एकड़ की नर्सरी तैयार करने के लिए पांच हजार रुपये बतौर अनुदान भी दिया जाता है। 25-30 दिन नर्सरी तैयार हो जाती है। इसको क्यारियों में भी तैयार किया जा सकता है और ट्रे में भी। सवाल : जिला में नियमों को ताक पर रखकर गन्ना क्रशर चलते हैं। जवाब : जिले में 125 गन्ना क्रशर हैं। सभी को हिदायत जारी की जा चुकी है कि एनजीटी की गाइड लाइन का पालन करें। गत दिनों कुछेक को नोटिस भी जारी किए गए थे। हमारा प्रयास है कि एक क्रशर प्रदूषण का कारण न बनें।


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