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श्रद्धा, आस्था और शालीनता का संगम कपालमोचन, स्नान के बाद की जाती भगवान शिव की आरती

कपालमोचन एक ऐसा पवित्र स्थान है जहां किसी एक धर्म नहीं बल्कि सभी देवी-देवताओं को मानने वाले लोग आते हैं। एक तरफ सिख समुदाय के लोग जहां गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं तो इसके बाद वे गऊ बछा घाट पर जाकर भगवान शिव की आरती उतारते हैं। फिर सूरजकुंड सरोवर पर जाकर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 06:10 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:33 AM (IST)
श्रद्धा, आस्था और शालीनता का संगम कपालमोचन, स्नान के बाद की जाती भगवान शिव की आरती
श्रद्धा, आस्था और शालीनता का संगम कपालमोचन, स्नान के बाद की जाती भगवान शिव की आरती

जागरण संवाददाता, कपालमोचन : कपालमोचन एक ऐसा पवित्र स्थान है, जहां किसी एक धर्म नहीं, बल्कि सभी देवी-देवताओं को मानने वाले लोग आते हैं। एक तरफ सिख समुदाय के लोग जहां गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं, तो इसके बाद वे गऊ बच्छा घाट पर जाकर भगवान शिव की आरती उतारते हैं। फिर सूरजकुंड सरोवर पर जाकर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। वहीं हिदू लोग विभिन्न प्रकार का सामान बेच रहे हैं तो मुस्लिम समुदाय के लोग कुंडी और पीढ़ी बेचते दिखते हैं, जिसकी सबसे ज्यादा डिमांड मेले में रहती है। पांच दिन तक कपालमोचन में ठहरने के दौरान श्रद्धालु जिस शालीनता का परिचय देते हैं वो काबिले तारीफ है। वहीं जिला प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं के सम्मान में अपनी पलकें बिछाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

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कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने से पहले श्रद्धालुओं ने खरीदारी की। कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करने के दौरान लोगों को एक दूसरे से बिछड़ने का डर लगा रहता है। इसलिए वे एक दूसरे का पल्लू पकड़ कर चलते हैं। स्नान के दौरान काफी संख्या में लोग एक दूसरे से बिछड़े भी इसके लिए सूचना केंद्र पर लोगों का जमावड़ा लगा रहा। सूचना केंद्र ने छह सौ लोगों को परिवार से मिलाया।

मार्शल आर्ट में बनाया बेस कैंप

मेला प्रशासन की ओर मेले में श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य सुविधा को देखते हुए इस बार मार्शल आर्ट में बैस कैंप बनाया गया है। सीधा लाभ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं को मिला। अवगत हो कि पिछले वर्ष एक वृद की अचानक तबीयत खराब हो जाने की वजह से बिलासपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में से मेला परिसर मे वापिस ले जाते समय पुलिस प्रशासन ने रास्ते में रोक परिजनों के पास जाने से मना कर दिया था, जिससे श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था।


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