338 मेडिकल लैब हो जाएंगी बंद, 22 को नोटिस
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- जिले में चल रही 350 मेडिकल लैब, स्वास्थ्य विभाग ने तैयार किया रिकार्ड
- अब बिना एमबीबीएस के नहीं चल पाएंगी लैब, नौसिखिए नहीं कर सकेंगे टेस्ट
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नियमों को ताक पर रखकर चल रही क्लीनिकल लैब पर शिकंजा कसने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग ने शुरुआत कर दी है। जिले में कुल 350 लैब चल रही हैं जिनमें से 22 को नोटिस दिया जा चुका है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक 338 लैब ऐसी हैं जिनपर पैथोलॉजिस्ट व एमबीबीएस नहीं हैं। इनका बंद होना तय है। नियमों के अनुकूल ही लैब चल सकेंगी। बता दें कि जिले में ऐसी लैब की संख्या कम नहीं है जिनपर नौसिखिए काम कर रहे हैं और लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है।
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रिपोर्ट पर एमीबीएस या एमडी ही कर सकेंगे हस्ताक्षर
स्वास्थ्य विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी की ओर से जारी निर्देशों के मुताबिक पैथ लैब पर एमबीबीएस या एमडी का होना जरूरी है। ये ही रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकेंगे। चीफ सेक्रेटरी द्वारा यह आदेश जारी किए जाने के बाद संबंधित सिविल सर्ज ने इनका रिकार्ड जुटाना शुरू किया। क्योंकि अब से पहले स्वास्थ्य विभाग पर जिले में चल रही मेडिकल लैब का रिकार्ड ही नहीं था। विभिन्न अस्पतालों के अंदर भी ऐसी लैब चल रही हैं।
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इसलिए लिया निर्णय
पैथोलॉजिस्ट एसोसिएशन ने 2014 में कोर्ट में अपील की गई कि गली मोहल्ले में लैब चलाने वालों के लिए लीगल पॉलिसी बनाई जाए। 2015 में रिवीजन डाली गई। उसके बाद कोर्ट ने सरकार को लीगल पॉलिसी बनाकर लागू करने के आदेश दिए। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में काम नहीं किया। उसके बाद अधिकारी हरकत में आए। हालांकि यह केस अभी कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटेरी ने क्लीनिक लैब के लिए पॉलिसी तैयार लागू करने के आदेश जारी किए हुए हैं।
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गली-मुहल्लों में चल रही लैब
ट्विन सिटी के साथ-साथ कस्बों में भी लैब की भरमार है। गली मुहल्लों में चल रही है और लैब जो लोग टेस्ट कर रहे हैं, उनके लिए एजुकेशन का भी कोई पैमाना नहीं है। यहां तक कि दसवीं पास सैंपल ले भी रहे रहे हैं और जांच भी कर रहे हैं। यह लोग गंभीर बीमारियों की रिपोर्ट तैयार करते हैं। रिपोर्ट पर कई बार सवालिया निशान भी लग चुके हैं। डिप्लोमा के ही टेस्ट किए जा रहे हैं। बता दें कि एक ही टेस्ट के रेट भी अलग अलग निधारित हैं। कहीं एक टेस्ट 10 रुपये में हो जाता है तो कहीं 50 रुपये लिए जा रहे हैं।
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अकुशल नहीं कर सकेंगे स्वास्थ्य जांच
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक क्लीनिकल लैब में जांच के बाद जो रिपोर्ट तैयार होगी, उस रिपोर्ट पर कम से कम एमबीबीएस डॉक्टर के साइन होंगे। उसकी मौजूदगी में रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यदि कोई व्यक्ति या संस्थान क्लीनिकल लैब चलाता है तो उसकी भी वह भी एमबीबीएस या उससे अधिक होनी चाहिए। साथ ही स्टेट या नेशनल मेडिकल कांउसिल में उसका नाम दर्ज होना जरूरी है। अकुशल लोग अब टेस्ट नहीं कर पाएंगे। मापदंडों के मुताबिक ही स्टाफ की क्वालीफिकेशन होगी और स्टॉफ केवल जांच कर सकता है। रिपोर्ट को जारी नहीं कर सकता। जारी करने के लिए एमबीबीएस डॉक्टर की हस्ताक्षर होंगे। यदि ऐसा नहीं होता तो आपराधिक केस दर्ज होगा।
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लैब संचालक कर रहे विरोध
लैब पर एमबीबीएस की अनिवार्यता को लेकर लैब संचालक विरोध कर चुके हैं। जिला स्तर पर ज्ञापन सौंपने के अलावा मुख्यमंत्री को भी यह पॉलिसी लागू न करने की मांग को लेकर ज्ञापन दे चुके हैं। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार की यह पॉलिसी लागू होने के बाद हजारों लैब संचालक बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त करने के पश्चात ही टैक्निशियन लैब चला रहे हैं।
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जिले में 350 लैब हैं। विभागीय जांच के बाद 22 को बंद करने के नोटिस दिए जा चुके हैं। बिना एमबीबीएस के क्लीनिकल लैब नहीं चल सकेंगी। अन्य लैब की जांच भी की जा रही है।
डॉ. कुलदीप ¨सह, सिविल सर्जन, यमुनानगर।