ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना लक्ष्य, बस उसी पर फोकस : बजरंग
अकसर खिलाड़ी किसी चैंपियनशिप से लौटने के बाद थकान दूर करने के लिए कुछ दिन आराम करते हैं। थकान मिटने के बाद ही अगले लक्ष्य पर ध्यान देते हैं, लेकिन पहलवान बजरंग पूनिया ऐसा नहीं सोचते हैं। एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीत कर लौटे बजरंग ने अगले लक्ष्य के लिए पसीना बहाना शुरू कर दिया है। वह गांव बलि ब्राह्मणान में अपने गुरु ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त की अकादमी में अभ्यास करने में जुट गए हैं
अकसर खिलाड़ी किसी चैंपियनशिप से लौटने के बाद थकान दूर करने के लिए कुछ दिन आराम करते हैं। थकान मिटने के बाद ही अगले लक्ष्य पर ध्यान देते हैं, लेकिन पहलवान बजरंग पूनिया ऐसा नहीं सोचते हैं। एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीत कर लौटे बजरंग ने अगले लक्ष्य के लिए पसीना बहाना शुरू कर दिया है। वह गांव बलि ब्राह्मणान में अपने गुरु ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त की अकादमी में अभ्यास करने में जुट गए हैं। अकादमी में बजरंग अपने गुरु योगेश्वर से मैट पर पसीना बहा रहे हैं। शुक्रवार को यहां दैनिक जागरण के संवाददाता परमजीत ¨सह ने बजरंग पूनिया से उनके अगले टारगेट व अन्य विषयों पर विस्तार से बातचीत की। आपका अगला लक्ष्य क्या है और उसके लिए कैसी तैयारी होगी?
मेरा लक्ष्य 2020 में टोकियो में होने वाले ओलंपिक खेलों में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। लक्ष्य पूरा होने तक आराम के बारे में सोच नहीं सकता हूं। मेरा सिर्फ और सिर्फ कुश्ती पर ध्यान है। अक्टूबर में विश्व चैंपियनशिप होनी है, उसकी तैयारी के लिए कोच शोको के साथ अगले सप्ताह जार्जिया जाना है। तब तक जितना समय है उसका सदुपयोग करते हुए अपने गुरु योगेश्वर दत्त के साथ अभ्यास करूंगा। प्रदेश सरकार की खेल नीति पर सवाल उठ रहे हैं, इस बारे में क्या कहेंगे?
यह सवाल आप खेल छोड़ चुके वरिष्ठ खिलाड़ियों से पूछें तो बेहतर होगा। जब भी कोई खेल नीति बने सरकार को सीनियर खिलाड़ियों से बातचीत जरूर करनी चाहिए। सीनियर खिलाड़ी बता सकते हैं कि कैसे बेहतर हो सकता है और नीति का अधिक से अधिक फायदा खिलाड़ियों तक पहुंच सकता है। अगर आपको प्रदेश सरकार डीएसपी पद के लिए ऑफर करे तो आप क्या करेंगे?
मैं रेलवे में नौकरी करता हूं। रेलवे ने शुरू से ही मेरा बहुत साथ दिया है। मेरा रेलवे की नौकरी छोड़ने का कोई विचार नहीं है। रेलवे में जल्द मुझे प्रोन्नति मिलने वाली है। मेरा सिर्फ और सिर्फ खेल पर ध्यान है। फिलहाल प्रदेश सरकार से मुझे नौकरी के लिए किसी तरह का ऑफर नहीं मिला है, जिसके चलते मैंने कुछ सोचा नहीं है। भारत में खेल सुविधाएं बेहतर हैं या विदेशों में, क्या कहेंगे?
दोनों ही जगह खेल सुविधाएं अच्छी हैं। विदेशों में अभ्यास करने के लिए पार्टनर अच्छे मिल जाते हैं। वहां खेलने का अलग अनुभव मिलता है, जिसका फायदा बड़ी प्रतियोगिताएं जीतने में मिलता है। शादी कब करेंगे, अपनी पसंद से होगी या घर वालों की ?
मैंने शादी के बारे में अब तक कुछ सोचा ही नहीं है। टोकियो ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक लाने का लक्ष्य है। इसी लक्ष्य पर ध्यान है और पूरा होने के बाद ही शादी के बारे में सोचूंगा। मेरे माता-पिता जिससे चाहेंगे उसी से शादी करूंगा। आपका कुश्ती में सबसे फेवरेट दांव कौन सा है?
मैदान में आने पर मौके के अनुसार ही दांव-पेंच आजमाने पड़ते हैं। फिर भी मेरा फेवरेट दांव ईरानी है। मौका मिलते ही इस दांव को आजमाता हूं।