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पति की शहादत पर नाज: संतोष

शहीद नरेंद्र ¨सह की पत्नी संतोष का कहना है कि पति की शहादत पर नाज है, देश सेवा में उन्होंने अपनी जान दे दी। अगर सरकार चाहे तो उसके दोनों बेटे भी सीमा पर खड़े होकर देश की सेवा करने के लिए तैयार है। उसके तो दोनों बेटे ही सेना में जाना चाहते हैं, जोकि अपने पिता से अकसर इस बात का जिक्र भी किया करते थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 07:37 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 07:55 PM (IST)
पति की शहादत पर नाज: संतोष
पति की शहादत पर नाज: संतोष

हरीश भौरिया, खरखौदा:

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शहीद नरेंद्र ¨सह की पत्नी संतोष का कहना है कि पति की शहादत पर नाज है, देश सेवा में उन्होंने अपनी जान दे दी। अगर सरकार चाहे तो उसके दोनों बेटे भी सीमा पर खड़े होकर देश की सेवा करने के लिए तैयार हैं। उसके तो दोनों बेटे ही सेना में जाना चाहते हैं, जोकि अपने पिता से अक्सर इस बात का जिक्र भी किया करते थे। सरकार ही अब मेरे बच्चों को संभाले।

संतोष ने सिसकते हुए कहा कि पति ने देशसेवा में अपने प्राणों की आहुति दे दी, भारत मां का कर्ज चुकता किया है, लेकिन पाक की नापाक हरकत ने उन्हें काफी गहरा जख्म दिया है। मेरा तो सब कुछ ही छिन गया है। उन्होंने बताया कि मंगलवार की सुबह ही फोन पर नरेंद्र ¨सह ने आखिरी बार उनसे बात की थी। घर व बच्चों का हालचाल पूछने के बाद बताया था कि नहाने के बाद उन्होंने खाना खाया है और वह अब पीओ के लिए निकलेंगे। पीओ का क्या मतलब होता है वह यह तो नहीं जानती लेकिन अक्सर पति पीओ पर जाने की बात कहा करते थे। जवाब दो कब तक लोगे बदला: मोहित

संस, खरखौदा: पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद शहीद नरेंद्र सिंह के बेटे मोहित ने कहा कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है। लेकिन, हर बार ऐसा होता रहेगा तो कैसे काम चलेगा। आखिरकार हमें कब तक सहन करना पड़ेगा। हमें सरकार की तरफ से एक संतोषजनक जवाब चाहिए कि जो बर्बरता उन्हें अपने पिता के साथ देखने को मिली है, जिस निर्दयता से मेरे पिता के साथ यह कृत्य किया गया है उसका जवाब पाकिस्तान को कब तक दे दिया जाएगा। मोहित ने कहा कि ऐसा करना बहुत ही कायराना है, इससे मैं दुखी नहीं आहत हूं और चाहता हूं कि सेना इस बर्बरता का मुंह तोड़ जवाब दे।

मोहित ने कहा कि वह बीएसएफ से मांग करते हैं कि एक शहीद के परिवार को जो सुविधाएं मिलती है उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध करवाया जाए। इन सबके लिए उन्हें इधर-उधर भटकना न पड़े। मेरे पिता ने देश के लिए शहादत दी है तो हमें अब किसी से भीख ना मांगनी पड़े। मोहित ने अपनी मां को दी जाने वाली सुविधाओं के साथ ही अपने छोटे भाई अंकित के लिए नौकरी की मांग की।


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