बोर्ड परीक्षा में व्यस्त शिक्षा विभाग, अन्य परीक्षाओं में बरती जा रही लापरवाही
अमित कौशिक सोनीपत शिक्षा विभाग सभी परीक्षाओं में पारदर्शिता बरतने का दावा तो कर रहा है मगर इसके लिए गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जिले के राजकीय स्कूलों में पहली से आठवीं नौवीं व 11वीं की परीक्षाओं में उसी स्कूल के शिक्षक परीक्षा में ड्यूटी दे रहे हैं जो उन्हें रोजाना पढ़ाते हैं। ऐसे में शिक्षक खुद से पारदर्शिता बरतेंगे ऐसी संभावना नहीं दिखती। गौरतलब है कि इससे पहले इन कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाओं में स्कूलों के शिक्षक अन्य स्कूलों में जाकर परीक्षा ड्यूटी देते थे। मगर इस बार शिक्षा विभाग का सारा ध्यान 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में ही लगा हुआ है जिसकी वजह से प्राइमरी व मिडिल कक्षाओं से लेकर नौवीं व 11वीं कक्षा की परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल उठता है।
अमित कौशिक, सोनीपत
शिक्षा विभाग सभी परीक्षाओं में पारदर्शिता बरतने का दावा तो कर रहा है, मगर इसके लिए गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जिले के राजकीय स्कूलों में पहली से आठवीं, नौवीं व 11वीं की परीक्षाओं में उसी स्कूल के शिक्षक परीक्षा में ड्यूटी दे रहे हैं जो उन्हें रोजाना पढ़ाते हैं। ऐसे में शिक्षक खुद से पारदर्शिता बरतेंगे ऐसी संभावना नहीं दिखती।
गौरतलब है कि इससे पहले इन कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाओं में स्कूलों के शिक्षक अन्य स्कूलों में जाकर परीक्षा ड्यूटी देते थे। मगर इस बार शिक्षा विभाग का सारा ध्यान 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में ही लगा हुआ है जिसकी वजह से प्राइमरी व मिडिल कक्षाओं से लेकर नौवीं व 11वीं कक्षा की परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल उठता है। दरअसल राजकीय स्कूलों के शिक्षक अपना रिकॉर्ड अच्छा दिखाने के लिए बच्चों को नकल गतिविधि से नहीं रोकेंगे जिससे नकल रहित परीक्षा की धज्जियां तो खुद ही उड़ेंगी। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) के एक पदाधिकारी ने बताया कि पिछले वर्ष भी अन्य स्कूलों के शिक्षकों की ही परीक्षा ड्यूटी लगाई गई थी, मगर इस बार इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। वहीं संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी जिले सिंह ने बताया कि पहले पांचवीं कक्षा का जिला स्तर पर पेपर होता था तब शिक्षक परिवर्तित कराते थे। इसके अलावा शिक्षकों को परिवर्तित नहीं किया जाता है। बच्चों ने कहा, मैम ने कराई मदद
मॉडल टाउन स्थित राजकीय मिडिल स्कूल में बुधवार को अंग्रेजी की परीक्षा देकर लौट रहे चौथी कक्षा के बच्चों ने बताया कि उनके पेपर में वही मैम ड्यूटी दे रही थी, जो रोजाना उनकी कक्षा लेती हैं। एक विद्यार्थी ने बताया कि परीक्षा के दौरान कई बच्चों को उत्तर समझ नहीं आ रहे थे तो मैम ने उनकी मदद की। एक छात्रा ने बताया कि मैम सभी से खुद ही पूछ रही थी कि अगर किसी सवाल के जवाब में कोई दिक्कत आ रही है तो चुपचाप मुझे बताएं, मैं मदद कर देती हूं। बुधवार को परीक्षा देकर लौट रहे प्राइमरी कक्षाओं के सभी बच्चों के चेहरे खिले हुए थे। अगर स्कूल नहीं तो कम से कक्षाएं तो बदली जानी चाहिए
शिक्षा विभाग पर यह सवाल उठता है कि अगर किसी कारणवश अन्य स्कूलों के अध्यापकों की ड्यूटी नहीं लगाई जा सकी तो कम से कम इतनी योजना तो तैयार की जानी चाहिए कि शिक्षक कक्षाएं बदलकर ही परीक्षा ड्यूटी दें। बता दें कि शिक्षक के रिकॉर्ड में उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चों के परिणाम संबंधी नंबर भी जुड़ते हैं जोकि उन्हें भविष्य में फायदा पहुंचाते हैं। अगर बच्चों को उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक ही परीक्षा दिला रहे हैं तो स्वाभाविक तौर पर वह चाहेंगे कि बच्चा परीक्षा में बेहतर करे चाहे इसके लिए नकल का ही सहारा क्यों न ले।