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अफसरों के संरक्षण में शातिर तस्कर ने सिस्टम को बनाया पंगु

भूपेंद्र की शराब तस्करी के अंदाज ने आबकारी और पुलिस के सिस्टम को ही बेबस कर दिया था। दोनों विभागों में उसकी अंदर तक पहुंच थी। अफसरों और राजनीतिक संरक्षकों की मिलीभगत से तस्करी का फुलप्रूफ प्लान संचालित था। जांच एजेंसी अभी यह पता लगाने में जुटी है कि नामजदों के अलावा और कितने अधिकारी-कर्मचारी तस्कर से मिले हुए थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 10:06 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:46 AM (IST)
अफसरों के संरक्षण में शातिर तस्कर ने सिस्टम को बनाया पंगु
अफसरों के संरक्षण में शातिर तस्कर ने सिस्टम को बनाया पंगु

जागरण संवाददाता, सोनीपत : भूपेंद्र की शराब तस्करी के अंदाज ने आबकारी और पुलिस के सिस्टम को ही बेबस कर दिया था। दोनों विभागों में उसकी अंदर तक पहुंच थी। अफसरों और राजनीतिक संरक्षकों की मिलीभगत से तस्करी का फुलप्रूफ प्लान संचालित था। जांच एजेंसी अभी यह पता लगाने में जुटी है कि नामजदों के अलावा और कितने अधिकारी-कर्मचारी तस्कर से मिले हुए थे। उसके तस्करी के ट्रकों को पास कराने का सिस्टम क्या था? अधिकारियों की जांच खरखौदा से पंजाब तक होनी है। इसमें यह पता लगाया जाना है कि आखिर फैक्ट्री से शराब की तस्करी कराने में कितने अफसर शामिल थे।

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अंतरराज्यीय शराब तस्कर भूपेंद्र की जांच स्थानीय स्तर पर एसआइटी कर रही है। टीम तस्करी के लिए शराब आने, अलग तरह के पैकिग तैयार करने, अलग राज्यों की शराब बनाने और बेरोकटोक सप्लाई करने की गहनता से जांच कर रही है। इस जांच में रिमांड के दौरान भूपेंद्र से मिली जानकारी को मुख्य आधार बनाया जा रहा है। हरियाणा के साथ ही दिल्ली, एनसीआर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात तक शराब तस्करी में भूपेंद्र का एकछत्र राज था। उसने अधिकारियों की मिलीभगत से अन्य तस्करों को रास्ते से हटा दिया था।

भूपेंद्र की सबसे बड़ी कामयाबी फैक्ट्री से शराब की तस्करी कराना था। पुलिस सूत्रों की माने तो वह पंजाब स्थित डिस्टलरी से सीधे शराब की तस्करी कराता था। इसमें पंजाब का एक विधायक उसकी सहायता करता था। वहां से शराब लाकर उसको मनमाने ब्रांड और प्रदेश की शराब तैयार कर लेता था। भूपेंद्र के शराब के ट्रक डिस्टलरी से सीधे खरखौदा आते थे। इसके लिए फर्जी रवन्ना और अधिकारियों की मिलीभगत का सहयोग लिया जाता था। एसआइटी इस मामले में डिस्टलरी पहुंचकर जांच कर सकती है। इसके साथ ही अभी शराब की खाली बोतल उपलब्ध कराने, शराब के अलग-अलग ब्रांड के लेबल छापने वाली प्रेस की तलाश की जा रही है। सूत्रों का तो दावा है कि भूपेंद्र और बर्खास्त पुलिस इंस्पेक्टर जसबीर असली लेबल प्राप्त करने में पारंगत थे।

एसआइटी का प्रयास है कि पहले बर्खास्त इंस्पेक्टर जसबीर की गिरफ्तारी हो जाए। उससे पूछताछ में काफी हद तक तस्वीर साफ हो जाएगी। भूपेंद्र से पूछताछ का एसआइटी को पर्याप्त समय नहीं मिल सका। चार दिन की रिमांड में वह दो दिन अस्पताल में ही रह गया। ऐसे में जसबीर से गहन पूछताछ की जाएगी। इसके लिए अधिकारियों की मदद से सवाल तैयार कर लिए गए हैं। जसबीर से पूछताछ के बाद ही पंजाब के विधायक, स्थानीय राजनेताओं, आबकारी और पुलिस के अफसरों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। हमको शराब तस्करी की पूरी चेन सर्च करनी है। इसके लिए खरखौदा से लेकर पंजाब तक प्रत्येक बिदु हमको देखना होगा। कोई अधिकारी हो या राजनेता, जो शामिल होगा पकड़ा जाएगा। शराब की गिनती पूरी हो चुकी है। हमारी तीन टीमें जसबीर की तलाश में लगी हैं, जल्द ही उसको गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

- जितेंद्र सिंह, डीएसपी, प्रभारी एसआइटी


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