पैडमैन नहीं जनाब यहां पैडवूमेन कहिए
अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन ने महिलाओं को ऐसे विषय पर बोलने का साहस दिया जिसकी स्थान शर्म और चुप्पी ने ले रखा था। फिल्म से प्रेरित होकर सामाजिक संगठन स्प्रेड स्माइल फाउंडेशन की वूमेंस टीम ने सेनेटरी पैड बाटने का अभियान शुरू किया।
डीपी आर्य, सोनीपत
वर्ष 2018 में आई अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन ने महिलाओं को ऐसे विषय पर बोलने का साहस दिया, जिसका स्थान शर्म और चुप्पी ने ले रखा था। फिल्म से प्रेरित होकर सामाजिक संगठन स्प्रेड स्माइल फाउंडेशन ने मीनू अग्रवाल की अगुवाई में सेनेटरी पैड बांटने का अभियान शुरू किया। इस अभियान को दो साल पहले आओ बहन चुप्पी तोड़ें के नारे के साथ शुरू किया था। संस्था की पांच महिलाओं ने इस अभियान को शुरू किया था, अब इसमें 57 महिलाएं शामिल हैं। अब यह संस्था केवल सेनेटरी पैड बांटने तक ही सीमित नहीं है, यह माहवारी स्वच्छता का जागरूकता अभियान बन गया है।
केवल सामान्य परिवारों में ही नहीं, अपितु शिक्षित व उच्च घरानों की महिलाएं भी माहवारी स्वच्छता पर बात करने से संकोच करती हैं। संगठन की पदाधिकारी बताती हैं कि माहवारी स्वच्छता का ध्यान न रखने और सेनेटरी पैड की बजाय कपड़े का प्रयोग कर लेने से कई गंभीर बीमारियां हो जाती हैं। उसके बावजूद महिला और पुरुष इसको गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं। यह सोचकर संस्था ने इसको जनांदोलन बनाने का निर्णय लिया। संस्था की पदाधिकारी ने बताया कि फिल्म पैडमैन से उन्हें साहस मिला और आखिरकार अभियान शुरू कर दिया। महिलाओं को फोन पर दी जाती है जरूरी सलाह
स्प्रेड स्माइल फाउंडेशन के बैनर के साथ आओ बहन चुप्पी तोड़ें अभियान शुरू किया गया। संगठन की ओर से सेक्टर 12, 14, 15, 23 और औद्योगिक क्षेत्रों की श्रमिक बस्तियों में झुग्गी में रहने वाली महिलाओं व युवतियों को सेनेटरी पैड दिया जा रहा है। इसके साथ ही महिलाओं को साबुन और डेटॉल लोशन बांटा जाता है। इसके अलावा महिलाओं की जानकारी के लिए स्वास्थ्य कैंपों का आयोजन किया जाता है। महिलाओं को हर महीने सेनेटरी पैड दिए जाते हैं। इसके अलावा वह संस्था की महिला पदाधिकारियों को फोन करके जरूरी सलाह ले सकती हैं। पांच महीनों में पांच हजार पैड बांटे
झुग्गियों में रहने वाली जो महिलाएं सेनेटरी पैड लेने से शर्मा रही थीं, उन्हें संगठन ने आवाज दी है। अब वह खुलकर बात करने लगी हैं। इसका अभियान का संचालन मीनू अग्रवाल कर रही हैं। वूमेन टीम की सदस्य प्राची, वंदना, युक्ति, आरती व तान्या लगातार झुग्गियों और श्रमिक बस्तियों में जाती हैं। इस साल पांच महीनों के दौरान ये महिलाएं पांच हजार से अधिक सेनेटरी पैड बांट चुकी हैं। महिलाओं को माहवारी संक्रमण के कारण कई प्रकार के गंभीर रोग हो जाते हैं। दुख का विषय यह है कि ज्यादातर महिलाएं अपनी इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेती हैं। वह इस पर चर्चा भी नहीं करती हैं। हमारा काम पैड और दवाई बांटने से ज्यादा संकोच व शर्म खत्म कराकर महिलाओं को आवाज देना है, जिससे वह खुद पहल कर जागरूक हो सकें।
- मीनू अग्रवाल, प्रवक्ता, जीवीएम गर्ल्स कॉलेज व आओ बहन चुप्पी तोड़ें अभियान की संचालक