बिना टैक्स दिए चुनाव में नहीं चलेंगी दूसरे राज्यों की टैक्सियां
चुनावों में राज्य का टैक्स देने के बाद ही दूसरे राज्यों के कामर्शियल वाहन चल सकेंगे। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद अब अफसरों का सबसे ज्यादा ध्यान टैक्सियों पर है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत: चुनावों में राज्य का टैक्स देने के बाद ही दूसरे राज्यों के कमर्शियल वाहन चल सकेंगे। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद अब अफसरों का सबसे ज्यादा ध्यान टैक्सियों पर है। चुनावों में परमिशन देने के लिए सबसे पहले टैक्सियों से राज्य के अस्थायी टैक्स भुगतान के कागजात मांगे जा रहे हैं। ज्यादातर टैक्सियों के पास हरियाणा का नो-ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं है। अब परमिशन लेने से पहले वाहन मालिकों को सौ रुपये रोजाना का टैक्स जमा कराना होगा।
नियमानुसार दूसरे राज्यों में व्यावसायिक वाहन चलाने के लिए वहां की परमिशन की जरूरत होती है। इसके लिए वाहन मालिक को संबंधित राज्य का टैक्स जमा कराना होता है। यदि वाहन किसी राज्य के बीच से होकर निकल रहे रास्तों से होकर भी जाता है, तो उसको टैक्स अदा करने की जरूरत होती है। बिना टैक्स अदा किए निकलने वाले वाहन को सीज करने के बाद जुर्माना लगाने का प्रावधान है। यह मोटर व्हीकल एक्ट में है और काफी समय से है, लेकिन इसका पालन ज्यादा गंभीरता से नहीं होता था।
अब चुनावी सीजन में व्यावसायिक वाहनों पर शिकंजा कस दिया गया है। चुनाव प्रचार में लगे कमर्शियल वाहनों को पहले टैक्स जमा कराने को कहा जा रहा है। आयोग ने इसके लिए कड़े निर्देश जारी कर दिए हैं। चुनावों में वाहन संचालन के लिए जिन वाहनों को परमिशन दी जा रही है, उसकी सूचना रोजाना चुनाव आयोग को भी भेजनी पड़ रही है। अभी तक ऐसे 147 वाहनों के लिए परमिशन मांगी गई थी, जोकि दूसरे राज्यों के थे। इन सभी की परमिशन रोकने के साथ ही टैक्स जमा कराने को नोटिस जारी कर दिए गए हैं।
चुनाव प्रचार के लिए सबसे ज्यादा परमिशन निरस्त ऐसे वाहनों की हुई है, जिन्होंने बीमा और प्रदूषण नहीं कराया हुआ है। बड़ी संख्या में ऐसे वाहन मिल रहे हैं, जिनके पास बीमा ही नहीं है। कई वाहन ऐसे भी परमिशन रिकार्ड में आए हैं, जिनके पास बीमा तो है, लेकिन वह 21 अक्टूबर से पहले ही खत्म हो रहा है। ऐसे वाहनों की परमिशन भी रोक दी गई हैं, जिनके बीमा और प्रदूषण प्रमाण पत्र 21 अक्टूबर से पहले ही खत्म हो रहे हैं। वाहन संचालन के लिए सामान्य हालात में भी सभी कागजात का पू्रा होना आवश्यक है। अब चुनाव परमिशन को आने वालों की जांच करने के दौरान खामियां सामने आ रही हैं। यह चेकिग सामान्य हालात में भी चलती रहती है, लेकिन अब ज्यादा कर दी गई है। ऐसे में दूसरे राज्यों से आने वाली टैक्सियों को सौ रुपये रोजाना का स्टेट टैक्स देना अनिवार्य है। इसके साथ ही बीमा और प्रदूषण आदि के कागजात भी पूरे होने जरूरी हैं। टेंपो से 25 रुपये रोजाना स्टेट टैक्स लिया जा रहा है।
- सचिन कुमार ढुल, सड़क सुरक्षा अधिकारी- परिवहन विभाग