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कुपोषण की अति संवेदनशील श्रेणी में आए सोनीपत के 200 बच्चे

छोटे बच्चों पर कुपोषण की मार पड़ रही है। बाल विकास विभाग के सर्वे के अनुसार कुपोषण की चपेट में छह हजार से ज्यादा बच्चे हैं। इनमें से 194 बच्चों को अफसरों ने अति संवेदनशील की श्रेणी में रखा है। इनपर मौत का खतरा मंडरा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 01:25 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 08:23 AM (IST)
कुपोषण की अति संवेदनशील श्रेणी में आए सोनीपत के 200 बच्चे
कुपोषण की अति संवेदनशील श्रेणी में आए सोनीपत के 200 बच्चे

जागरण संवाददाता, सोनीपत : छोटे बच्चों पर कुपोषण की मार पड़ रही है। बाल विकास विभाग के सर्वे के अनुसार कुपोषण की चपेट में छह हजार से ज्यादा बच्चे हैं। इनमें से 194 बच्चों को अति संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है। इनको स्वस्थ करना चुनौती बन गया है। अफसरों ने बच्चों की लगातार निगरानी करने और पोषाहार के साथ ही अनुकूल माहौल देना शुरू किया है। जरूरत के अनुसार इनको दवाइयां और फल-दूध दिए जा रहे हैं।

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सरकार ने कुपोषण को खत्म करने को अभियान चलाया हुआ है। इसके लिए बाल विकास विभाग प्रत्येक गर्भवती महिला का रिकार्ड रखता है और बच्चे के पैदा होने के साथ ही उसकी लगातार निगरानी शुरू हो जाती है। खासतौर से पांच साल तक बच्चों का लगातार स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। बाल विकास विभाग के सर्वे में जिले के 194 बच्चे अति संवेदनशील की श्रेणी में आए हैं। इनका वजन औसत से खतरनाक स्तर तक कम है।

खतरनाक कुपोषण के शिकार सबसे ज्यादा बच्चे राई क्षेत्र में हैं। दूसरे स्थान पर मुंडलाना और तीसरे पर गोहाना है। सबसे कम कुपोषित बच्चे सोनीपत ग्रामीण द्वितीय में हैं। अति कुपोषित श्रेणी के इन बच्चों का जीवन बचाने की चुनौती अफसरों के सामने है। स्थिति यह है कि इनके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम है, जिससे ये जल्दी-जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। यह है स्थिति-

क्षेत्र असामान्य अति गंभीर

कथूरा- 261 08

गन्नौर 1003 22

राई 826 48

सोनीपत ग्रामीण 1 303 21

सोनीपत ग्रामीण 2 278 05

मुंडलाना 541 36

गोहाना 750 31

खरखौदा 748 13

सोनीपत शहर 1150 10 कुल 5862 194 गंभीर अति कुपोषित श्रेणी में अभी 194 बच्चे हैं। इन पर लगातार सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी नजर रख रही हैं। जल्द ही इनको खतरे की श्रेणी से बाहर कर लिया जाएगा। जल्द बेहतर परिणाम के लिए लोगों के सहयोग की जरूरत है। अति संवेदनशील श्रेणी के बच्चों को प्रदूषण वाले क्षेत्रों से दूर रखने की अपील की गई है।

- सुनीता सब्बरवाल, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी


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