पराली जलाने से रोकने के लिए गांवों में अधिकारी तैनात
पराली जलाने के कई मामले सामने आने के बाद अफसर सख्त हो गए हैं। कृषि निदेशक के आदेश पर अफसरों को अब गांवों के नाम सहित जिम्मेदारी दी गई है। इनको रोजाना अपनी रिपोर्ट कंट्रोल रूम को भेजनी होगी।
जागरण संवाददाता, सोनीपत: प्रदेश में पराली जलाने के कई मामले सामने आने के बाद अधिकारी सख्त हो गए हैं। कृषि निदेशक के आदेश पर अफसरों को अब गांवों के नाम सहित जिम्मेदारी दी गई है। इनको रोजाना अपनी रिपोर्ट कंट्रोल रूम को भेजनी होगी। इसकी समीक्षा शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय में कमिश्नर भी करेंगे। गांवों में जागरूकता के लिए हर तीसरे दिन पराली नियंत्रण कमेटी की बैठक कराने का भी निर्णय लिया गया है।
सर्दी बढ़ने के साथ ही एनसीआर में प्रदूषण का खतरा बढ़ जाएगा। धान की पराली जलाने से बनने वाले धुएं के चलते स्मॉग का खतरा रहत है। इसको लेकर अभी से विशेषज्ञ चितित हैं। पराली जलाने से रोकने के लिए गांवों में कमेटियों का गठन किया गया है। इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ ही संवेदनशील श्रेणी के 30 गांवों को हाई रिस्क जोन में रखा गया है। प्रदेश में करनाल सहित कई जिलों से पराली जलाने के मामले सामने आने के बाद अफसरों ने निगरानी को और सख्त कर दिया है।
कृषि निदेशक अजीत बालाजी जोशी ने अब नए सिरे से कड़े आदेश जारी किए हैं। इनके अनुसार अफसरों की जिम्मेदारी तय कर उनको गांव आवंटित कर दिए गए हैं। जिले के 340 गांवों की जिम्मेदारी को 68 अफसरों की ड्यूटी लगाई गई है। इनको रोजाना शाम को कृषि उपनिदेशक कार्यालय में कंट्रोल रूम को अपने क्षेत्र में पराली न जलाने की रिपोर्ट भेजनी होगी। गांवों में हर तीसरे दिन जागरूकता समितियों की बैठक कराई जाएगी। अब गांवों के नाम सहित निगरानी अफसर तैनात किए गए हैं। इनको अपने गांवों पर लगातार निगरानी रखनी होगी। पराली जलाने का मामला सामने आने पर निगरानी अफसर भी जिम्मेदार होगा। इस संदर्भ में शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय में कमिश्नर बैठक भी लेंगे। प्रयास किया जा रहा है कि सोनीपत में पराली जलाने का मामला सामने न आए।
- डॉ. अनिल सहरावत, कृषि उप निदेशक