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पराली न जलाएं, यह बेहतरीन कंपोस्ट : उपायुक्त

उपायुक्त डॉ. अंशज सिंह ने कहा कि पर्यावरण व स्वास्थ्य के संरक्षण के लिए धान व गेहूं के अवशेषों को जलाना बंद करना होगा। ये अवशेष बेहतरीन कंपोस्ट हैं। इन्हें मिट्टी में मिलाकर बेहतरीन खाद फसलों को देनी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 04:28 PM (IST)
पराली न जलाएं, यह बेहतरीन कंपोस्ट : उपायुक्त
पराली न जलाएं, यह बेहतरीन कंपोस्ट : उपायुक्त

जागरण संवाददाता: उपायुक्त डॉ. अंशज सिंह ने कहा कि पर्यावरण व बेहतर स्वास्थ्य के लिए धान व गेहूं के अवशेषों को जलाना बंद करना होगा। ये अवशेष बेहतरीन कंपोस्ट हैं। इन्हें मिट्टी में मिलाकर बेहतरीन खाद फसलों को देनी है। वह शुक्रवार को गांव रहमाना में फसल अवशेष प्रबंधन को शुरू किए गए जागरूकता पखवाड़े के मौके पर किसानों को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि नासमझी में धान, गेहूं व अन्य फसलों के अवशेषों को जला देते हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान होता है जिससे हम कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। हमें यह संकल्प लेना है कि फसलों के अवशेषों को नहीं जलाया जाएगा। रहमाना के ग्रामीणों से उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सेटेलाइट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार रहमाना गांव में सबसे ज्यादा धान के अवशेष जलाए गए थे। इस गांव के लोग भविष्य में अवशेषों को न जलाएं। इसके लिए सबसे पहला जागरूकता कैंप इसी गांव में लगा रहे हैं। जल्द ही ग्रामीणों को सम्मानित करने के एक कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसडीएम विजय सिंह ने कहा कि हरित क्रांति के बाद हमने फसलों में अधिक दवाओं व खाद का प्रयोग करना शुरू कर दिया। इससे समस्या यह हुई कि देसी खादों का प्रयोग करना बंद कर दिया। इन दवाओं के प्रभाव से कैंसर के मामले बढ़ने शुरू हो गए। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि धान व गेहूं की फसल के अवशेषों को जलाने की बजाए, इन्हें आधुनिक कृषि यंत्रों के जरिए जुताई कर खेतों में मिला दें। यह अवशेष आपके खेतों के लिए खाद का काम करेंगे।

कृषि उपनिदेशक डा. अनिल सहरावत ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर 20 सितंबर से पांच अक्टूबर तक जागरूकता पखवाड़ा के तहत कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों से पराली न जलाने की अपील की जाएगी। जिले के 30 गांव ऐसे हैं, जो पिछले वर्षों में पराली जलाने पर हरसैक द्वारा जारी चित्रों व जांच के बाद रेड जोन में शामिल किए गए थे। जिनमें पिछले वर्ष पराली जलाने के संबंध में किसानों पर कार्रवाई की गई थी। रेड जोन में आने वाले गांव में किसानों को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूक किया जाएगा। इन सभी गांवों में पराली पलटन का गठन किया गया है। इस पलटन में एनएसएस, एनसीसी, एनजीओ व गांव के पांच-पांच प्रमुख व्यक्तियों को शामिल किया गया है। कार्यक्रम के समापन पर उपायुक्त ने किसानों को पराली न जलाने की शपथ भी दिलवाई।

कार्यक्रम में आधुनिक कृषि यंत्रों की जानकारी दी गई। इस दौरान कार्यक्रम स्थल पर आधुनिक कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी व खेल विभाग द्वारा आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता का अवलोकन भी उपायुक्त ने किया। कार्यक्रम में तकनीकी सहायक डा. देवेंद्र कुहाड़, एसडीओ राकेश हुड्डा सहित कई अधिकारी व गांव के लोग मौजूद थे।


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