सड़क पर बेसहारा पशु और घर पर बंदरों के उत्पात से सहमे शहरवासी
शहरवासियों को इन दिनों घर में बंदर डरा रहे हैं तो सड़क पर बेसहारा पशुओं की वजह से लोगों की जान जोखिम में है। जिले को कैटल फ्री घोषित करने वाले अधिकारी लोगों की शिकायत पर भी जागने को तैयार नहीं है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : शहरवासियों को इन दिनों घर में बंदर डरा रहे हैं तो सड़क पर बेसहारा पशुओं की वजह से लोगों की जान जोखिम में है। जिले को कैटल फ्री घोषित करने वाले अधिकारी लोगों की शिकायत पर भी जागने को तैयार नहीं है।
निगम प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद सड़कों पर बेसहारा पशुओं की संख्या कम होने के बजाए बढ़ रही है। हालत ये हैं कि शहर की लगभग हर सड़क पर पशु कब्जा जमाए बैठे रहते हैं। रात के समय ये पशु हादसों का सबब भी बनते हैं। इसी तरह शहर से बंदरों को दूर करने के लिए लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद आज भी शहर के अंदर घरों की छतों पर बंदरों का उत्पात देखा जा सकता है। लोग परेशान हैं, शिकायत के लिए निगम कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन सुनवाई से लेकर ठोस कार्रवाई कुछ हो नहीं रही। निगम का दावा हवा-हवाई
शहर की सड़कों को कैटल फ्री करने का नगर निगम का दावा हवा-हवाई ही है। शहर की अंदरूनी गलियों में ही नहीं बल्कि लगभग हर चौक चौराहे पर पशु सड़कों पर विचरण करते नजर आते हैं। कई बार तो दो पशुओं के आपस में भिड़ने से आसपास से गुजरने वाले लोग भी चोटिल हो जाते हैं। इसके अलावा छोटे-मोटे हादसे तो आए दिन होते रहते हैं। गोवंश के कारण जान गंवाने वालों के स्वजन आज भी सड़कों पर घूमते बेसहारा पशुओं को देखकर सहम जाते हैं और उनके जख्म हरे हो जाते हैं। बार-बार मांग के बावजूद सड़कों से पशुओं का जमावड़ा खत्म नहीं हो रहा है। पशुओं के मरने का इंतजार करता है निगम :
नगर निगम ने गांव कुमासपुर और हरसाना कलां में नंदीशाला बनाई हैं, जिनमें बेसहारा पशुओं को रखा जाता है। अब वहां क्षमता पूरी होने की वजह से पशु नहीं भेजे जा रहे थे। वहां रखे गए पशुओं के मर जाने से अब 300 पशुओं की जगह बनी है। ऐसे में अब जल्द ही शहर से 300 पशु पकड़ कर नंदीशालाओं में भेजे जाएंगे। पशु रखने की जगह न होने की वजह से अधिकारियों को पशुओं के मरने का इंतजार करना पड़ रहा है। बंदर पकड़ने का दिया है ठेका :
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शहर में बंदर पकड़ने के लिए ठेका दिया गया है। ठेकेदार को 1050 रुपये प्रति बंदर के हिसाब से भुगतान किया जाता है। निगम का दावा है कि अब तक 600 बंदर पकड़े जा चुके हैं और शहर में करीब दो हजार बंदर हैं। बंदर पकड़ने का अभियान जारी है, लेकिन शहर की स्थिति इससे उलट है। शहर के लगभग सभी मोहल्लों, खासकर सेक्टरों में बंदरों के उत्पात से हर कोई परेशान हैं। सेक्टर में तो कई लोगों ने बंदर से बचने के लिए अपने घर को ही लोहे की सलाखों से पिजरा बना लिया है। बेसहारा पशुओं को लेकर निगम की व्यवस्था :
- निगम के पास दो नंदीशाला हैं
- नंदीशालाओं में 1,758 पशु रह रहे हैं
- पशु पकड़ने का टेंडर हो चुका है खत्म
- दो साल में 14 लोगों की मौत बेसहारा पशुओं के कारण हुई
- पशु पकड़ने के लिए निगम प्रति पशु अदा करता है 650 रुपये जिले में हो चुके हैं बड़े हादसे :
- 23 दिसंबर, 2019 : खरखौदा के दिल्ली मार्ग स्थित सब्जी मंडी के पीछे सब्जी विक्रेता बलदेव को सांड ने हमला कर बुरी तरह से घायल कर दिया। रोहतक पीजीआइ में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। - 8 अक्टूबर, 2019 : दशहरे पर आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में सांड घुस आया और कई महिलाओं और बुजुर्गों को टक्कर मारी। पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद उसे भीड़ से बाहर भगाया। - 1 अगस्त, 2019 : गांव अगवानपुर के पास गांव उदेशीपुर निवासी अशोक की बाइक को रोड पर घूम रहे एक सांड ने अचानक टक्कर मार दी। हादसे में वे बुरी तरह से घायल हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई। - 20 जुलाई, 2019 : गांव सेवली में गली से गुजर रहे पूर्व सरपंच राजेंद्र सिंह को बेसहारा घूम रहे एक सांड ने उठाकर पटक दिया। इसके बाद सांड ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। - 27 अप्रैल, 2019 : खरखौदा के एकता चौक पर वार्ड-15 निवासी 34 वर्षीय सोनू को सांड ने उठाकर पटक दिया। बाद में पीजीआइ, रोहतक में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
जगह की कमी के कारण पशु पकड़ने का अभियान रोका गया था। अब जल्द ही शहर से 300 पशु पकड़ कर नंदीशालाओं में भेजे जाएंगे। साथ ही बंदर पकड़ने और कुत्तों की नसबंदी का अभियान भी दोबारा शुरू किया जाएगा।
साहब सिंह, मुख्य सफाई निरीक्षक, नगर निगम।