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टैक्टर-ट्राली पंजीकृत नहीं, घरेलू वाहन अनफिट, वाणिज्यिक की जांच महज खानापूर्ति

सड़क हादसों में हर सालों लाखों लोग जान गंवा देते हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण वाहनों का अनफिट होना भी है। संबंधित विभाग नियमों को लेकर कितना सजग है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1 हजार ट्रैक्टर-टाली में से महज 1-2 ही पंजीकृत हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:24 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 07:24 PM (IST)
टैक्टर-ट्राली पंजीकृत नहीं, घरेलू वाहन अनफिट, वाणिज्यिक की जांच महज खानापूर्ति
टैक्टर-ट्राली पंजीकृत नहीं, घरेलू वाहन अनफिट, वाणिज्यिक की जांच महज खानापूर्ति

जागरण संवाददाता, सोनीपत : सड़क हादसों में हर सालों लाखों लोग जान गंवा देते हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण वाहनों का अनफिट होना भी है। संबंधित विभाग नियमों को लेकर कितना सजग है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1 हजार ट्रैक्टर-टाली में से महज 1-2 ही पंजीकृत हैं। इनको चला रहे चालकों के लाइसेंस की भी कभी जांच नहीं होती। अब तक वाहन की फिटनेस की जांच भी मैन्युअल ही होती आई है। इसलिए वाणिज्यिक वाहनों को फिटनेस प्रमाण-पत्र देते वक्त खानापूर्ति ही की जाती है। हालांकि अब स्थिति सुधरने की उम्मीद है। जिला के वाहनों की फिटनेस जांच रोहतक में कंप्यूटराइज्ड तरीके से होगी।

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सड़कों पर 30-35 प्रतिशत वाहन अनफिट दौड़ रहे हैं। इसके पीछे ही वजह है साल में एक बार फिटनेस की पड़ताल करना। नियम के मुताबिक नए वाहन का दो वर्ष के बाद और पुराने वाहनों की एक वर्ष के बाद फिटनेस की पड़ताल की जाती है। वर्ष में एक बार जिस वाहन को परिवहन विभाग से फिटनेस प्रमाण पत्र मिल जाता है, उसे साल भर कोई पूछने वाला नहीं। इसके चलते अनफिट वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। विभाग एक-दूसरे का मामला बता जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। परिवहन विभाग के अधिकारी लाइट और ब्रेक लाइट की जांच का कार्य पुलिस का बता खुद को बचा लेता है। वहीं, पुलिस इसे परिवहन विभाग का कार्य बता कंडम हो चुके वाहनों की ओर कोई ध्यान नहीं देती। नियमानुसार फिटनेस के लिए गाड़ियों की निगरानी कर ही विभाग द्वारा प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, जहां प्रमुख रूप से लाइट, इंजन, कोहरे के समय होने वाले फाग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट व कलर रिफ्लेक्टर होने का प्रावधान है, जबकि शहर में दौड़ वाहनों में से बेहद कम संख्या में ऐसे वाहन हैं जो इन नियमों को पूरा करते हैं।

कार, मोटरसाइकिल व बड़े वाहनों की फिटनेस संबंधित जांच हर साल करानी होती है। ऐसा न होने पर वाहनों के चालान भी काटे जाते है। वहीं, रिफ्लेक्टर टेप व अन्य सुरक्षा के उपकरण न लगे होना भी यातायात नियमों का उल्लंघन माना जाता है। पहले मैन्युअल जांच में चूक होने की संभावना थी, लेकिन अब रोहतक में कंप्यूटराइजड तरीके से वाहनों की फिटनेस की जांच होगी। इससे स्थिति में काफी सुधार होगा।

- राजेश कुमार, सड़क सुरक्षा अधिकारी, सोनीपत।


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