बंदरों के डर से पिजरों में कैद सेक्टरों के लोग
शहर के लोगों को बंदरों से निजात दिलाने में नगर निगम नाकाम रहा तो लोग खुद प्रबंध कर रहे हैं। शहर के सेक्टर-14 में बंदर लोगों के लिए खौफ का पर्याय बन गए है। सेक्टर में बंदर तो खुलेआम घूमते हैं लेकिन लोग जरूर अपने आपको घरों में कैद करने पर मजबूर हो गए हैं।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : शहर के लोगों को बंदरों से निजात दिलाने में नगर निगम नाकाम रहा तो लोग खुद प्रबंध कर रहे हैं। शहर के सेक्टर-14 में बंदर लोगों के लिए खौफ का पर्याय बन गए है। सेक्टर में बंदर तो खुलेआम घूमते हैं, लेकिन लोग जरूर अपने आपको घरों में कैद करने पर मजबूर हो गए हैं। बंदरों का आतंक इतना है कि छतों पर रखा सामान बंदर उठाकर रफूचक्कर हो जाते हैं। इसके चलते लोगों ने अपने घरों की छत और चारदीवारी को लोहे के जाल से कवर करवाना शुरू कर दिया है। शहर के काफी घरों की छत पर अब इस तरह के जाल नजर आने लगे हैं। आलम यह है कि खुले में बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोगों ने अपने घरों को पिजरा बना लिया और खुद को ही उसमें बंद कर लिया है।
सेक्टर में घूम रहे बंदर मौका मिलते ही घरों के अंदर भी प्रवेश कर जाते हैं और खाने-पीने की चीजें सहित अन्य सामान को भी नुकसान पहुंचा देते हैं। इस दौरान यदि बंदरों को वहां कोई दिख जाए तो उस पर भी हमला कर उन्हें काट लेते हैं। यही नहीं घर के बाहर अकेले बच्चे तक को जाने में डर लगता है। लोगों का कहना है कि प्रशासन व नगर निगम भी इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। बुजुर्ग दो महीने से अस्पताल में भर्ती :
बिजली निगम से चीफ इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त सेक्टर-14 निवासी ओपी ग्रोवर करीब दो महीने पहले सुबह टहलने के निकले थे। इसी दौरान बंदरों के झुंड ने उनको घेर लिया। बंदरों से बचने के प्रयास में वह गिर गए। उनके कंधे की हड्डी सहित कई हड्डी टूट गई। दो महीने से वे बिस्तर पर ही है।
ये भी बने हैं बंदरों के शिकार :
सेक्टर-14 में बंदरों का इतना आतंक है कि यहां लोगों का घरों से भी निकलना मुश्किल हो गया है। बंदर ने हमला कर घायल कर दिया। घर में भी डर लगता है कि बंदर अंदर न घुस आए। बंदरों के डर से छुट्टी के दिन भी बच्चे सारा दिन घर अंदर ही बैठे रहते हैं। अधिकारियों को इन्हें पकड़ने के बारे में कहा जा चुका है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है।
- शालिनी, सेक्टरवासी।
सेक्टर-14 में हमेशा बंदरों को घूमते देखा जा सकता है। हर रोज यहां चार-पांच लोगों को बंदर काट लेते हैं। कई दिन पहले अचानक बंदर ने हमला कर दिया, जिसमें मैं गंभीर रूप से घायल हो गई। शरीर के कई हिस्सों पर चोट आई है। फिलहाल इलाज चल रहा है। बंदर हर वक्त खतरा बनकर मंडराते रहते है। इनका समाधान किया जाना चाहिए।
- शिल्पी, सेक्टरवासी
जल्द ही बंदरों को पकड़ने के लिए टेंडर लगाया जाएगा। मंजूरी के लिए वाइल्ड वेलफेयर एसोसिएशन को फाइल भेज रखी है। मंजूरी मिलते ही बंदर पकड़ने का काम शुरू करवाया जाएगा।
- साधुराम, मुख्य सफाई निरीक्षक, नगर निगम।