Tokyo Olympic: दिवंगत मां की फोटो लगी लाकेट पहनकर मैदान में उतरे थे सुमित कुमार, परिजनों ने बताई वजह
Olympic Medal Winner Indian Hockey Player Sumit Kumar Story ओलिंपिक में ब्रांज जीतने वाली इंडियन हाकी टीम के स्टार खिलाड़ी सुमित मां-बाप के संघर्ष को सफल कर दिया। गुड लक के लिए सुमित अपनी स्वर्गीय मां की फोटो लगी लाकेट पहन कर मैच में उतरा।
सोनीपत [दीपक गिजवाल]। ओलिंपिक में ब्रांज जीतने वाली इंडियन हाकी टीम के स्टार खिलाड़ी सुमित मां-बाप के संघर्ष को सफल कर दिया। गुड लक के लिए सुमित अपनी स्वर्गीय मां की फोटो लगी लाकेट पहन कर मैच में उतरा। सुमित ने ये लाकेट अपनी मां के झुमके तुड़ा कर बनवाया था। सुमित को उम्मीद थी कि इससे उनका भाग्य चमकेगा।सुमित ने घर पर रखे लाकेट को बीच ओलिंपिक में टाक्यो मंगवाया था। ओलिंपिक से करीब छह माह पहले सुमित की मां का निधन हो गया था। मां के झुमके से बने लाकेट के बारे में बात कर सुमित के पिता, भाई व भाई भावुक हो गए।
सुमित के बड़े भाई जय सिंह ने बताया कि 6 माह पहले उनकी माता का देहांत हो गया था और उनकी मां का सपना था कि सुमित ओलिंपिक में खेले। आज सुमित ने कांस्य पदक जीतकर उनका और उनकी मां का सपना पूरा किया है। मां के झुमके से जो सुमित के लाकेट बनवाया है। उसमें मां का फोटो लगवा रखा है। जब वो ओलिंपिक में गया था तो कहकर गया था कि मां उसके साथ है और अबकी बार हम मेडल जरूर लेकर आएंगे।मां के प्रति सुमित का बेहद लगाव रहा है।
लाकेट के बारे में बात शुरू होने पर सुमित के पिता प्रताप की आंखे भी नम हो गई। जय सिंह ने कहा कि सुमित ने कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की है। सुमित के भाई ने बताया कि आस्ट्रेलिया से हार के बाद टीम निराश थी। एक दिन सुमित का फोन आया। सुमित ने मां की याद आने की बात कही।
वहीं, मां की फोटो लगा लाकेट टाक्यो भिजवाने को कहा। जिसके बाद भाई ने लाकेट को टाक्यो पहुंचाया। सुमित मां को भी अक्सर टाक्यो ओलिंपिक में साथ ले जाने को कहता था, लेकिन बदकिस्मती से मां सुमित की ये उपलब्धि देखने के लिए हमारे बीच नहीं है।
बेहद गरीबी में बीता है सुमित का बचपन
सुमित का बचपन बेहद गरीबी में बीता है। एक वक्त पर खाने तक के लाले थे। पिता प्रताप सिंह मुरथल के होटलों में मजदूरी करते थे। वहीं, तीनों भाई सुमित, अमित और जयसिंह अपने पिता का बोझ कम करने के लिए उनके साथ होटलों में मजदूरी करते। सुमित के पिता प्रताप सिंह अपने परिवार की संघर्ष की कहानी बताते हुए कहते हैं कि उनके बेटे ने जी जान लगाकर मेहनत की है। आज उसी मेहनत का नतीजा है कि उसकी टीम ने ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचा है।
सुमित को खिलाड़ी बनाने के लिए उसके दोनों बड़े बेटे और उसने होटल में मजदूरी की। सुमित ने भी उनका साथ दिया और होटल में मजदूरी की है। दोस्तों ने भी सुमित का जमकर साथ दिया और इस काबिल बनाया कि आज उसकी मौजूदगी में टीम में जर्मनी को हराते हुए कांस्य पदक जीता है।